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MPHRC Action: बाल विवाह रोकने पहुंची टीम की सुरक्षा क्यों नहीं, विदिशा कलेक्टर व SP से जवाब तलब

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Published : May 4, 2023, 9:18 AM IST

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग प्रदेश में घटित हो रही घटनाओं को लेकर काफी सख्त है. आयोग लगातार विभिन्न माध्यमों से प्राप्त होने वाली जानकारी के आधार पर सख्त टिप्पणियां कर रहा है. विदिशा जिले में बाल-विवाह रोकने पहुंची टीम को 200 लोगों ने घेर लिया था. टीम ने थाने में घुसकर अपनी जान बचाई थी. आयोग ने विदिशा एसपी व कलेक्टर से इस मामले में जवाब मांगा है.

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग
MPHRC विदिशा कलेक्टर व एसपी SP से जवाब तलब

भोपाल। विदिशा जिले के लटेरी के कोकनगांव में सोमवार को बाल-विवाह की सूचना पर पहुंची चाइल्ड लाइन की टीम को 200 से ज्यादा लोगों ने घेर लिया. अचानक हुई घटना से घबराई टीम ने लटेरी पुलिस थाने में जाकर अपनी जान बचाई, लेकिन परिजन वहां भी पहुंच गए और पुलिस थाने का घेराव किया. देर रात तक हंगामा होता रहा. बाद में थाना प्रभारी ने जैसे-तैसे परिजनों को समझाकर विवाह रुकवाया. इस मामले में मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं एसपी से जांच कराकर दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के निर्देश दिए. कार्रवाई के बारे में तीन सप्ताह में जवाब भी मांगा गया है.

गुना एसपी से जवाब मांगा : गुना जिले के आरोन थानांतर्गत एक युवक के साथ बीते माह पुरानी रंजिश के चलते चार लोगों ने मारपीट कर दी. इस मामले में पीड़ित द्वारा कई शिकायतें करने के बाद भी पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई. पीड़ित बीते मंगलवार को जनसुनवाई में पहुंचा और कलेक्टर को दिये आवेदन में कहा कि मारपीट करने वाले आरोपी जितेन्द्र के ससुर जिला न्यायालय गुना में पदस्थ हैं. वह जितेन्द्र की मदद कर रहे हैं. इसी के चलते आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. इस मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने एसपी गुना से मामले की जांच के निर्देश दिए.

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तीन सप्ताह में दें जवाब : गुना शहर के हनुमान चौराहे पर हॉस्टल बचाओ संघर्ष समिति द्वारा मेस की सुविधा बंद करने के खिलाफ बीते मंगलवार को विरोध प्रदर्शन किया गया. यहां हॉस्टल अधीक्षक दो दिन से विद्यार्थियों के खाने की व्यवस्था नहीं कर रहे हैं. इस वजह से छात्रों को भूखे पेट सोने के लिये मजबूर होना पड़ रहा है. विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि शिक्षा पाने के लिये जिन मूलभूत आवश्यकताओं की जरूरत है, उन्हें तक उपलब्ध कराने में सरकार नाकाम रही है. मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर से मामले की जांच कराकर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.

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