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'लव जिहाद' पर प्रज्ञा ठाकुर ने की फांसी की मांग, उमा भारती बोलीं देश में धर्मांतरण की नहीं जरूरत

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Published : Nov 28, 2020, 4:56 PM IST

Updated : Nov 28, 2020, 6:24 PM IST

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लव जिहाद पर आर-पार

प्रदेश में लव जिहाद को लेकर बनने वाले कानून पर राजनीतिक गलियारों में सरगर्मियों तेज हो गई हैं. इसी कड़ी में सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने लव जिहाद करने वालों के लिए फांसी और उम्र कैद की सजा की मांग की है. तो वहीं पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कहा था कि भारत में धर्मांतरण की जरूरत नहीं है. पढ़िए पूरी खबर

भोपाल। सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने लव जिहाद करने वालों के लिए उम्र कैद और फांसी की सजा देने की मांग की है. सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का कहना है कि लव जिहाद के मामले में 10 साल की सजा कम है. ऐसे मामलों में आरोपियों को उम्र कैद होनी चाहिए. उनका कहना है कि लव जिहाद के लिए बड़ी मात्रा में फंडिंग होती है. इसकी विस्तृत जांच भी होनी चाहिए. साथ ही इसको लेकर वे संसद में भी कानून बनाने की मांग करेंगी. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने शुक्रवार को एक बयान दिया था कि भारत में धर्मांतरण की जरूरत नहीं है.

लव जिहाद पर आर-पार

उम्रकैद की होनी चाहिए सजा

भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने लव जिहाद करने वालों के लिए सजा की मांग उठाते हुए कहा कि ऐसे मामलों में 10 साल की सजा कम है. आरोपियों को उम्रकैद या फांसी होनी चाहिए. सांसद का कहना है कि लव जिहाद करने के लिए दूसरे देशों से बड़ी संख्या में फंडिंग होती है. जिससे भोली-भाली लड़कियों को अपने चंगुल में फंसाया जाए. उसके लिए पर्याप्त संसाधन उन्हें मिल सकें. इसके लिए सरकार फंडिंग को लेकर विस्तृत जांच करें. यही नहीं साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का कहना है कि वे लव जिहाद के मामलों को लेकर एक डाटा भी इकट्ठा करेंगी और संसद में लव जिहाद को लेकर कानून बनाने की मांग भी करेंगी.

यह एक षड्यंत्र है

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का कहना है कि यह एक षड्यंत्र है. जिस तरीके से आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए फंडिंग की जाती है. ठीक वैसे ही लव जिहाद को लेकर भी फंडिंग की जाती है और यह बहुत बड़ा षड्यंत्र है.

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कुछ दिनों से मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में लव जिहाद के मामले सामने आ रहे हैं. इस को लेकर सरकार ने भी आने वाले सत्र में विधेयक बनाने की बात कही है, जिसे धर्म स्वतंत्रय अधिनियम 2020 नाम दिया गया है.

धर्मांतरण की जरूरत नहीं

पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने लव जिहाद के लिए मध्य प्रदेश में बनने वाले कानून को लेकर कहा है कि 'इस देश में धर्मांतरण की जरुरत ही नहीं है क्योंकि यहां पर हिंदुओं को गीता के साथ ही कुरान-बाइबील, मंदिर-मस्जिद में माथा टेकने का अधिकार है'. हमारा संविधान धर्म निरपेक्ष है, इसलिए यहां धर्मांतरण की जरूरत नहीं है.

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क्या है लव जिहाद

लव जिहाद दो शब्दों से मिलकर बना है. लव अंग्रेजी भाषा से लिया गया है और जिहाद अरबी शब्द है. जिहाद का मतलब किसी भी उद्देश्य को पूरा करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देना. जब एक धर्म विशेष को मानने वाले छल, फरेब और झूठ का सहारा लेकर अपने प्यार के जाल में दूसरे धर्म की लड़की को फंसाकर उसका धर्मांतरण और फिर उससे शादी करते हैं, तो इसे ही लव जिहाद कहा गया है. हालांकि, लव जिहाद को तब तक मान्यता नहीं मिली, जब तक खुद सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया.

मध्य प्रदेश में तैयार मासौदा

मध्य प्रदेश सरकार ने एमपी धर्म स्वातंत्र्य विधेयक का मसौदा तैयार कर लिया है. इस कानून के तहत लव जिहाद के आरोपी को 10 साल की सजा का प्रावधान तय किया गया है. साथ ही इस विधेयक में शादी करवाने वाली संस्था का पंजीयन भी निरस्त किए जाने के प्रावधान हैं. इससे पहले पांच साल की सजा का प्रवधान किए जाने पर विचार किया जा रहा था.

आगामी विधानसभा सत्र में धर्म स्वातंत्र्य विधेयक लाने की तैयारी है. प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने धर्म स्वातंत्र्य विधेयक-2020 का मसौदा तैयार करने के लिए भोपाल स्थित मंत्रालय में बैठक की. इसमें सजा का प्रावधान पांच साल से बढ़ाकर 10 साल करने पर सहमति बनी है.

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आरोपी को होगी 10 साल की सजा

प्रस्तावित 'मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य विधेयक' में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कानून की तर्ज पर ही सजा का प्रावधान किया गया है. बहला-फुसलाकर या फिर जबरन धर्मांतरण और विवाह करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान है. इसके साथ ही धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं और उन्हें वित्तीय सहायता देने वाली संस्थाओं के पंजीयन निरस्त होंगे. विधेयक का प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट में लाया जाएगा.

संस्थाओं पर क्या कार्रवाई होगी ?

तय हुआ कि ऐसी गतिविधियों को संचालित करने वाली संस्थाओं को वित्तीय सहायता देने वाली संस्थाओं के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. बगैर आवेदन धर्मांतरण कराने वाले धर्मगुरुओं को भी पांच साल की सजा होगी.

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क्या होंगे शादी के नियम ?

धर्मांतरण के बाद होने वाले विवाह से एक महीने पहले जिला कलेक्टर कार्यालय में आवेदन करना होगा. कलेक्टर दोनों पक्षों और उनके परिजनों को नोटिस देकर तलब करेगा. उनसे लिखित बयान भी लिए जाएंगे, कि विवाह या धर्मांतरण के लिए जोर-जबरदस्ती तो नहीं की जा रही है. इसके बाद ही कलेक्टर अनुमति देंगे. अगर बिना आवेदन प्रस्तुत किए किसी काजी, मौलवी या पादरी धर्म परिवर्तन और विवाह कराते हैं तो ऐसे लोगों के खिलाफ पांच साल की सजा का प्रावधान तय किया गया है.

परिजन कर सकेंगे शिकायत

बहला-फुसलाकर या धोखे में रखकर विवाह और धर्मांतरण कराने के मामले में पीड़ित, उसके माता-पिता और परिजन शिकायत कर सकते हैं. यह अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होगा. इस तरह से धर्मांतरण या विवाह आरोपी को स्वयं ही प्रमाणित करना होगा, कि वो बगैर किसी दबाव के, बगैर किसी धमकी के, किसी लालच के बिना किया गया है. इस कानून के तहत विवाह को शून्य भी कराया जा सकेगा.

सरकार समझेगी कानून की बारीकी

'मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य विधेयक' को फाइनल रूप देने से पहले सरकार अन्य राज्यों में अध्ययन दल भेजकर कानून की बारीकियां समझेगी. उसके बाद ही इस मसौदे को तैयार माना जाएगा और उसे कैबिनेट में पास कराने के बाद विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा.

Last Updated :Nov 28, 2020, 6:24 PM IST
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