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शिवराज सरकार के खिलाफ किसानों का हल्ला बोल, 1 से 7 जून तक दूध, सब्जी सप्लाई बंद करेंगे

राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ लामबंद हो गया है. महासंघ ने 1 से 7 जून के बीच मध्य प्रदेश में दूध फल सब्जी आदि की सप्लाई बंद करने की घोषणा कर दी है. यानि चुनावी साल में एक बार फिर शिवराज सरकार की मुसीबतें बढ़ सकती हैं.

mp farmers protest
शिवराज सरकार के खिलाफ मैदान में उतरेंगे किसान
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Published : Mar 27, 2023, 3:12 PM IST

Updated : Mar 27, 2023, 4:08 PM IST

शिवराज सरकार के खिलाफ मैदान में उतरेंगे किसान

भोपाल। विधानसभा चुनाव के पहले शिवकुमार कक्का जी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ ने सरकार के खिलाफ मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है (Kisan mazdoor Mahasangh Announcement). महासंघ ने अपनी मांगों को लेकर 1 से 7 जून के बीच प्रदेश में दूध फल सब्जी आदि की सप्लाई बंद करने का ऐलान किया है. महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार कक्का जी ने कहा कि ''दिल्ली में किए गए किसान आंदोलन के बाद सरकार ने कई वादे किए थे लेकिन वह सरकार ने पूरे नहीं किए. यहां तक की किसानों के खिलाफ लगाए गए पुलिस केस को भी केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार ने वापस नहीं लिया है''.

मध्यप्रदेश में सबसे कम दिया जा रहा है मुआवजा: शिवकुमार कक्का जी ने राजस्व विभाग द्वारा मशीनों से किए जा रहे सीमांकन में विसंगति का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि ''जो किसान और आदिवासी 50 से 70 सालों से जमीन पर खेती कर रहे हैं उन्हें सीमांकन के नाम पर बेदखल किया जा रहा है, इसको लेकर सरकार को संज्ञान लेना चाहिए''. उन्होंने कहा कि ''मध्यप्रदेश में पूरे देश में सबसे कम भूमि अधिग्रहण कानून में मुआवजा मिलता है. मध्यप्रदेश में किसानों को सिर्फ 2 गुना मुआवजा दिया जाता है, जबकि देश के बाकी प्रदेशों में 4 गुना तक मुआवजा दिया जा रहा है. इस तरह की कई मांगे हैं जो महासंघ सरकार के सामने रख चुका है, लेकिन सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही. इसके विरोध में 1 जून से 7 जून तक पूरे प्रदेश में दूध फल सब्जी की सप्लाई बंद की जाएगी. क्योंकि 2019 में जून माह में ही सरकार ने किसानों पर गोली चलवाई थी, जिसमें कई किसानों की मौत हुई थी''.

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यह हैं किसान मजदूर महासंघ की मुख्य मांगें

  1. प्रदेश में हुई अतिवृष्टि और ओलावृष्टि से प्रभावित फसलों का सर्वे तत्काल कराए जाए. प्रथम दृष्टया के आधार पर राहत राशि की पहली किस्त किसानों के खातों में डाली जाए.
  2. मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि 50 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान पर 32000 रूपया हेक्टेयर के हिसाब से राशि दी जाएगी. लेकिन सरकार बताए कि 50 फ़ीसदी से कम नुकसान होने पर कितनी राहत राशि दी जाएगी.
  3. मंडियों में गेहूं, चना, प्याज, आलू और कपास समर्थन मूल्य से नीचे बिक रहा है. इसलिए सरकार तत्काल निर्यात पर लगी रोक को हटाए.
  4. किसानों से बिजली के बकाया बिल की वसूली को तत्काल रोका जाए.
  5. सभी किसानों को 2 लाख तक के कृषि ऋण से मुक्त किया जाए.
  6. कृषि यंत्रों, उपकरणों और खाद कीटनाशकों को जीएसटी से मुक्त रखा जाए.
  7. प्रदेश में किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर लगे मुकदमे वापस लिए जाएं और शहीद परिवार को मुआवजा राशि तथा उसके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए.
  8. प्रदेश में भूमि अधिग्रहण पर 4 गुना मुआवजा दिया जाए.
  9. गन्ने का समर्थन मूल्य ₹360 प्रति क्विंटल करते हुए एक गन्ने की बकाया राशि का भुगतान तत्काल कराया जाए.

शिवराज सरकार के खिलाफ मैदान में उतरेंगे किसान

भोपाल। विधानसभा चुनाव के पहले शिवकुमार कक्का जी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ ने सरकार के खिलाफ मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है (Kisan mazdoor Mahasangh Announcement). महासंघ ने अपनी मांगों को लेकर 1 से 7 जून के बीच प्रदेश में दूध फल सब्जी आदि की सप्लाई बंद करने का ऐलान किया है. महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार कक्का जी ने कहा कि ''दिल्ली में किए गए किसान आंदोलन के बाद सरकार ने कई वादे किए थे लेकिन वह सरकार ने पूरे नहीं किए. यहां तक की किसानों के खिलाफ लगाए गए पुलिस केस को भी केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार ने वापस नहीं लिया है''.

मध्यप्रदेश में सबसे कम दिया जा रहा है मुआवजा: शिवकुमार कक्का जी ने राजस्व विभाग द्वारा मशीनों से किए जा रहे सीमांकन में विसंगति का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि ''जो किसान और आदिवासी 50 से 70 सालों से जमीन पर खेती कर रहे हैं उन्हें सीमांकन के नाम पर बेदखल किया जा रहा है, इसको लेकर सरकार को संज्ञान लेना चाहिए''. उन्होंने कहा कि ''मध्यप्रदेश में पूरे देश में सबसे कम भूमि अधिग्रहण कानून में मुआवजा मिलता है. मध्यप्रदेश में किसानों को सिर्फ 2 गुना मुआवजा दिया जाता है, जबकि देश के बाकी प्रदेशों में 4 गुना तक मुआवजा दिया जा रहा है. इस तरह की कई मांगे हैं जो महासंघ सरकार के सामने रख चुका है, लेकिन सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही. इसके विरोध में 1 जून से 7 जून तक पूरे प्रदेश में दूध फल सब्जी की सप्लाई बंद की जाएगी. क्योंकि 2019 में जून माह में ही सरकार ने किसानों पर गोली चलवाई थी, जिसमें कई किसानों की मौत हुई थी''.

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यह हैं किसान मजदूर महासंघ की मुख्य मांगें

  1. प्रदेश में हुई अतिवृष्टि और ओलावृष्टि से प्रभावित फसलों का सर्वे तत्काल कराए जाए. प्रथम दृष्टया के आधार पर राहत राशि की पहली किस्त किसानों के खातों में डाली जाए.
  2. मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि 50 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान पर 32000 रूपया हेक्टेयर के हिसाब से राशि दी जाएगी. लेकिन सरकार बताए कि 50 फ़ीसदी से कम नुकसान होने पर कितनी राहत राशि दी जाएगी.
  3. मंडियों में गेहूं, चना, प्याज, आलू और कपास समर्थन मूल्य से नीचे बिक रहा है. इसलिए सरकार तत्काल निर्यात पर लगी रोक को हटाए.
  4. किसानों से बिजली के बकाया बिल की वसूली को तत्काल रोका जाए.
  5. सभी किसानों को 2 लाख तक के कृषि ऋण से मुक्त किया जाए.
  6. कृषि यंत्रों, उपकरणों और खाद कीटनाशकों को जीएसटी से मुक्त रखा जाए.
  7. प्रदेश में किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर लगे मुकदमे वापस लिए जाएं और शहीद परिवार को मुआवजा राशि तथा उसके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए.
  8. प्रदेश में भूमि अधिग्रहण पर 4 गुना मुआवजा दिया जाए.
  9. गन्ने का समर्थन मूल्य ₹360 प्रति क्विंटल करते हुए एक गन्ने की बकाया राशि का भुगतान तत्काल कराया जाए.
Last Updated : Mar 27, 2023, 4:08 PM IST
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