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MahaLaxmi Vrat 2021: धन वर्षा के लिए मां लक्ष्मी को करें खुश, आज से शुरू हो रहे व्रत की जानें पूजा विधि-मुहूर्त

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Published : Sep 13, 2021, 11:10 AM IST

Updated : Sep 13, 2021, 11:47 AM IST

महालक्ष्मी व्रत का प्रारंभ सोमवार, 13 सितंबर 2021 से हो रहा है. 16 दिनों तक चलने वाले इस व्रत का समापन मंगलवार, 28 सितंबर 2021 को होगा. इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है. 16वें दिन महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन किया जाता है.

Mahalaxmi Vrata 2021
महालक्ष्मी व्रत 2021

हैदराबाद। हिंदू धर्म में महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Fast) की बहुत मान्यताएं हैं. इस व्रत के रखने से मां लक्ष्मी की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. महालक्ष्मी व्रत हर साल भाद्रपद की शुक्ल अष्टमी से शुरू होता है, और 16 दिनों तक चलता है. इस व्रत में मां लक्ष्मी की विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना (Mahalaxmi Worship) की जाती है. शास्त्रों के अनुसार, महालक्ष्मी व्रत से जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं. मान्यता हैं कि जिस घर की महिलाएं इस व्रत को रखती हैं, उस घर में पारिवारिक शांति हमेशा बनी रहती है.

16 दिनों तक चलता है मां लक्ष्मी का व्रत (16 Days Fast of Mahalaxmi)
इस बार महालक्ष्मी व्रत का प्रारंभ सोमवार, 13 सितंबर 2021 से हो रहा है. 16 दिनों तक चलने वाले इस व्रत का समापन मंगलवार, 28 सितंबर 2021 को होगा. इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है. 16वें दिन महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन किया जाता है.

महालक्ष्मी व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त (Mahalaxmi Fast Shubh Muhurut)

  • व्रत प्रारम्भः सोमवार, 13 सितम्बर 2021
  • व्रत पूर्णः मंगलवार, 28 सितम्बर 2021
  • अष्टमी तिथि प्रारम्भः 03:10 सांयकाल, 13 सितम्बर
  • अष्टमी तिथि समाप्तः 01:09 दोपहर, 14 सितम्बर

महालक्ष्मी व्रत के चौघड़िया मुहूर्त

  • दिन की चौघड़िया मुहूर्तः 06:05 सुबह
  • रात्रि की चौघड़िया मुहूर्तः 6:29 शाम
  • अमृत कालः 06:05 सुबह से 07:38 सुबह तक

महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि (Mahalaxmi Vrat Puja Vidhi)

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान कर पूजा स्थल को साफ कर लें.
  • एक मंच पर महालक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें.
  • इस व्रत में सोलह तार का डोरा लेकर उसमें सोलह गांठ लगाई जाती हैं.
  • डोरे को हल्दी की गांठ से घिसकर पीला रंग दिया जाता है.
  • डोरे को हाथ की कलाई में बांधा जाता है.
  • यह व्रत आश्विन कृष्ण अष्टमी तक चलता है.
  • व्रत पूरा हो जाने पर वस्त्र से एक मंडप बनाएं.
  • उसमें लक्ष्मीजी की प्रतिमा रखें, प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं.
  • व्रत 16 दिनों तक चलता है, इसलिए सोलह प्रकार से पूजा करें.
  • रात्रि में तारागणों को पृथ्वी के प्रति अर्घ्य दें और लक्ष्मी की प्रार्थना करें.
  • इसके बाद हवन करें, उसमें खीर की आहुति दें, चन्दन, ताल, पत्र, पुष्पमाला, अक्षत, दुर्वा, लाल सूत, सुपारी, नारियल और विभिन्न प्रकार के फल नए सूप में सोलह-सोलह की संख्या में रखें.
  • फिर दूसरे सूप से ढक दें और लक्ष्मीजी को समर्पित करें.
  • लक्ष्मी जी की आरती कर ब्राह्मणों को भोजन कराएं.

इन मंत्रों से मां लक्ष्मी को करें प्रसन्न (Mahalaxmi Puja Mantra)

  1. लक्ष्मी बीज मंत्र-
    ऊं ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः, ऊं ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः
  2. महालक्ष्मी मंत्र-
    ओम श्रीं श्रीं कमले, कमलालये प्रसीद प्रसीद,
    ओम श्रीं श्रीं, महालक्ष्मीये नमः
  3. लक्ष्मी गायत्री मंत्र-
    ऊं श्री महालक्ष्मीये च विद्महे विष्णु पटनाय च धिमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयत् ऊं

महालक्ष्मी पूजा के दौरान पढ़ें यह कथा (Mahalaxmi Maa Katha)
एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था. वह हर दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की अराधना करता था. एक दिन उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे दर्शन दिए और ब्राह्मण से एक वरदान मांगने के लिए कहा. तब ब्राह्मण ने उसके घर मां लक्ष्मी का निवास होने की इच्छा जाहिर की. तब भगवान विष्णु ने ब्राह्मण को लक्ष्मी प्राप्ति का मार्ग बताया. भगवान विष्णु ने कहा कि मंदिर के सामने एक स्त्री आती है और वह यहां आकर उपले थापती है. तुम उसे अपने घर आने का आमंत्रण देना वह मां लक्ष्मी हैं.

भगवान विष्णु ने ब्राह्मण से कहा कि जब मां लक्ष्मी स्वयं तुम्हारे घर पधारेंगी तो घर धन-धान्य से भर जाएगा. यह कहकर भगवान विष्णु अंतर्ध्यान हो गए. अगले दिन ब्राह्मण सुबह-सुबह ही मंदिर के पास बैठ गया. लक्ष्मी मां उपले थापने के लिए आईं तो ब्राह्मण ने उनसे घर आने का निवेदन किया. ब्राह्मण की बात सुनकर माता लक्ष्मी समझ गईं कि यह विष्णुजी के कहने पर ही हुआ है.

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लक्ष्मी मां ने ब्राह्मण से कहा कि मैं तुम्हारे साथ चलूंगी, लेकिन तुम्हें पहले महालक्ष्मी व्रत करना होगा. 16 दिन तक व्रत करने और 16वें दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से तुम्हारी मनोकामना पूरी हो जाएगी. ब्राह्मण ने मां लक्ष्मी के कहे अनुसार व्रत किया और मां लक्ष्मी को उत्तर दिशा की ओर मुख करके पुकारा. इसके बाद मां लक्ष्मी ने अपना वचन पूरा किया. माना जाता है कि तभी से महालक्ष्मी व्रत की परंपरा शुरू हुई थी.

Last Updated : Sep 13, 2021, 11:47 AM IST
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