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Foreign Minister S Jaishankar: संकट के समय भारतीय नागरिकों को देश वापस लाने के लिए भारत ने स्पष्ट विजन के तहत काम किया

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 30, 2023, 3:17 PM IST

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने प्रवासी भारतीयों की देखभाल पर जोर देते हुए कहा है कि संकट के समय दुनिया के विभिन्न हिस्सों से अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए 2015 से हर साल भारत ने बड़ा अभियान चलाया है. जयशंकर ने कहा कि संकट के समय भारतीय नागरिकों को देश लाने के लिए आपके पास तैयारी, सोच, योजना और संसाधन होने चाहिए. Foreign Minister S Jaishankar Bhopal

Foreign Minister S Jaishankar
भारतीय नागरिकों को देश वापस लाने के लिए भारत स्पष्ट विजन

भोपाल। भोपाल के टाउन हॉल में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, ''किसी भी समय, लगभग 13 लाख भारतीय छात्र भारत से बाहर हैं. लगभग 2-3 लाख भारतीय व्यापारी शिपिंग में लगे हुए हैं. लगभग 90 लाख लोग खाड़ी में रहते और काम करते हैं. हमारे लिए दुनिया आज एक वैश्विक कार्यस्थल है. सितंबर में नई दिल्ली में जी20 का आयोजन हुआ. लोगों को आश्चर्य हुआ था कि जब जी20 में इतने सारे संघर्ष और तनाव हैं तो हम शिखर सम्मेलन के पहले दिन एक संयुक्त बयान कैसे लाने में सक्षम हुए. जब मैं सितंबर के अंत में संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए न्यूयॉर्क गया तो सभी अफ्रीकी नेता आये और मुझसे कहा कि भारत के कारण ये हो सका."

हमेशा आतंकवाद का विरोध किया : जयशंकर ने कहा "आज एक अच्छी सरकार और मजबूत प्रशासन अपने लोगों के लिए खड़ा है. जिस प्रकार घर में सुशासन आवश्यक है, उसी प्रकार विदेश में भी सही निर्णय आवश्यक है. हम आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाते हैं क्योंकि हम आतंकवाद से पीड़ित हैं." बता दें कि जयशंकर की टिप्पणी ऐसे समय आई जब इजरायली बलों और हमास आतंकवादियों के बीच युद्ध विराम को लेकर वोटिंग हुई. भारत कनाडाई प्रस्ताव के पक्ष में था, जिसमें हमास द्वारा किए गए आतंकवादी हमलों की निंदा की गई. युद्ध विराम के प्रस्ताव पर मतदान से अनुपस्थित रहने वाले 45 देशों में आइसलैंड, भारत, पनामा, लिथुआनिया और ग्रीस शामिल हैं.

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दुनिया में भारत की छवि बदली : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा "मजबूत सरकार और अच्छी सरकार एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. पिछले कुछ दशकों में दुनिया में भारत की छवि काफी बदल गई है. जिस तरह से हमने महामारी को संभाला. उस दौरान विकसित देश बहुत तनावपूर्ण थे. उस समय भारत के पास 'मेड इन इंडिया' वैक्सीन बनाई गई. इसके साथ ही इसी तरह, जब हर दूसरा देश अपने लोगों के कल्याण की देखभाल करता है और उसके आर्थिक हितों के लिए, यूरोप के वही देश कह रहे हैं कि रूस से तेल न खरीदें. वे खुद इसे ले रहे थे और उन्होंने ऐसा शेड्यूल बनाया, जिससे उनकी अपनी आबादी पर कम से कम प्रभाव पड़े."

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