ETV Bharat / state

Deepawali 2022 : इस बार की दीपावली में आतिशबाजी की दुकानों में आधा स्टॉक ग्रीन पटाखों का, 30 फीसदी कम होगा प्रदूषण

दीपावली पर होने वाली जोरदार आतिशबाजी से होने वाले वायु प्रदूषण को देखते हुए इस बार 60 फीसदी ग्रीन पटाखे ही फूटेंगे. राजधानी के थोक पटाखा बाजार में करीब आधा माल ग्रीन पटाखों का ही आया है. राजधानी के हलालपुर स्थित पटाखा बाजार में सजी पटाखों की थोक दुकानों में करीब आधा माल ग्रीन पटाखों का है. इन पटाखों की खासियत यह है कि आम पटाखों के मुकाबले इनसे कम प्रदूषण होता है. साथ ही यह आवाज भी कम करते हैं. हालांकि यहां पहुंचने वाले ज्यादा आवाज के पटाखों की ही डिमांड कर रहे हैं. (Half stock of green crackers) (Fireworks shops Bhopal) (Pollution reduced 30 percent)

Half stock of green crackers
आतिशबाजी की दुकानों में आधा स्टॉक ग्रीन पटाखों का
author img

By

Published : Oct 21, 2022, 1:53 PM IST

Updated : Oct 28, 2022, 3:21 PM IST

भोपाल। पटाखा बाजार के थोक विक्रेताओं के मुताबिक इस बार पिछले सालों के मुकाबले बाजार अच्छा है. इस बार पटाखों का बाजार करीब 20 करोड़ तक जाने की उम्मीद है.राजधानी के हलालपुर स्थित पटाखा बाजार से राजधानी के आसपास के शहरों के लोग थोक में पटाखा खरीदने पहुंचते हैं. इनके द्वारा ग्रीन पटाखों के साथ ज्यादा आवाज वाले पटाखों की डिमांग की जा रही है. दरअसल, ग्रीन पटाखों की आवाज 120 डेसिमल तक ही होती है, जबकि आम पटाखों की आवाज 160 डेसिमल तक होती है, जो ध्वनि प्रदूशण के मानकों के हिसाब से नहीं होती. हालांकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक पटाखा दुकानों की लगातार चैकिंग की जा रही है और यहां पटाखों की टेस्टिंग की जाती है, ताकि यह तय मानक से ज्यादा आवाज के न हों.

ग्रान पटाखों की कीमत कुछ ज्यादा : उधर, हलालपुर के थोक बाजार में पटाखा लेने पहुंचे ग्राहक जितेन्द्र सिंह का कहना है कि ग्रीन पटाखे की कीमतें आम पटाखों से ज्यादा है. यह एक वजह है कि इसे खरीदने में लोग कई बार तैयार नहीं होते. बता दें कि ग्रीन पटाखों से 30 फीसदी तक कम प्रदूषण होता है. सीएसआईआर ने इन पटाखों को इस तरह से तैयार किया है, जिससे प्रदूषण कम से कम फैले. पटाखों में बोरियम नाइट्रेट का उपयोग किया जाता है, जबकि ग्रीन पटाखों में इनका उपयोग नहीं किया जाता.

क्या होते हैं ग्रीन पटाखे : ग्रीन पटाखों को पहचानने के लिए इन पर ग्रीन लोगो और क्यूआर कोड भी होता है. ग्रीन पटाखे का नाम लेते हैं, सवाल उठता है कि क्या इनका कलर ग्रीन होता है, इसलिए इन्हें ग्रीन पटाखे कहा जाता है. पाल्युशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी अभय सक्सेना बताते हैं कि ग्रीन पटाखों को एक तरह से आधुनिक पटाखे कहा जा सकता है, जो परंपरागत पटाखों की तुलना में कम प्रदूषण फैलाते हैं. ग्रीन पटाखों से निकलने वाली धूल दब जाती है, जिससे यह हवा में पटाखों के कण कम उत्सर्जित करते हैं.

Diwali 2022: कमल पर विराजमान मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा करें, नहीं तो हो सकता है आपका ये नुकसान

पर्यावरणविद् चिंतित : इन पटाखों को बनाने में बेरियम नाइट्रेट जैसे खतरनाक तत्व नहीं होते. पर्यावरणविद् सुभाष पांडे कहते हैं कि ग्रीन पटाखे हों या फिर परंपरागत पटाखे दोनों ही शहर की आवोहवा को नुकसान पहुंचाते हैं. यह अलग बात है कि ग्रीन पटाखे में कम पॉल्युशन होता है. हालांकि अधिकांश लोगों की डिमांड है कि उन्हें तेज आवाज वाले पटाखे ही चाहिए. वे कहते हैं कि इसके साथ ही वे ग्रीन पटाखे भी चलाएंगे. (Half stock of green crackers) (Fireworks shops Bhopal) (Pollution reduced 30 percent)

भोपाल। पटाखा बाजार के थोक विक्रेताओं के मुताबिक इस बार पिछले सालों के मुकाबले बाजार अच्छा है. इस बार पटाखों का बाजार करीब 20 करोड़ तक जाने की उम्मीद है.राजधानी के हलालपुर स्थित पटाखा बाजार से राजधानी के आसपास के शहरों के लोग थोक में पटाखा खरीदने पहुंचते हैं. इनके द्वारा ग्रीन पटाखों के साथ ज्यादा आवाज वाले पटाखों की डिमांग की जा रही है. दरअसल, ग्रीन पटाखों की आवाज 120 डेसिमल तक ही होती है, जबकि आम पटाखों की आवाज 160 डेसिमल तक होती है, जो ध्वनि प्रदूशण के मानकों के हिसाब से नहीं होती. हालांकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक पटाखा दुकानों की लगातार चैकिंग की जा रही है और यहां पटाखों की टेस्टिंग की जाती है, ताकि यह तय मानक से ज्यादा आवाज के न हों.

ग्रान पटाखों की कीमत कुछ ज्यादा : उधर, हलालपुर के थोक बाजार में पटाखा लेने पहुंचे ग्राहक जितेन्द्र सिंह का कहना है कि ग्रीन पटाखे की कीमतें आम पटाखों से ज्यादा है. यह एक वजह है कि इसे खरीदने में लोग कई बार तैयार नहीं होते. बता दें कि ग्रीन पटाखों से 30 फीसदी तक कम प्रदूषण होता है. सीएसआईआर ने इन पटाखों को इस तरह से तैयार किया है, जिससे प्रदूषण कम से कम फैले. पटाखों में बोरियम नाइट्रेट का उपयोग किया जाता है, जबकि ग्रीन पटाखों में इनका उपयोग नहीं किया जाता.

क्या होते हैं ग्रीन पटाखे : ग्रीन पटाखों को पहचानने के लिए इन पर ग्रीन लोगो और क्यूआर कोड भी होता है. ग्रीन पटाखे का नाम लेते हैं, सवाल उठता है कि क्या इनका कलर ग्रीन होता है, इसलिए इन्हें ग्रीन पटाखे कहा जाता है. पाल्युशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी अभय सक्सेना बताते हैं कि ग्रीन पटाखों को एक तरह से आधुनिक पटाखे कहा जा सकता है, जो परंपरागत पटाखों की तुलना में कम प्रदूषण फैलाते हैं. ग्रीन पटाखों से निकलने वाली धूल दब जाती है, जिससे यह हवा में पटाखों के कण कम उत्सर्जित करते हैं.

Diwali 2022: कमल पर विराजमान मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा करें, नहीं तो हो सकता है आपका ये नुकसान

पर्यावरणविद् चिंतित : इन पटाखों को बनाने में बेरियम नाइट्रेट जैसे खतरनाक तत्व नहीं होते. पर्यावरणविद् सुभाष पांडे कहते हैं कि ग्रीन पटाखे हों या फिर परंपरागत पटाखे दोनों ही शहर की आवोहवा को नुकसान पहुंचाते हैं. यह अलग बात है कि ग्रीन पटाखे में कम पॉल्युशन होता है. हालांकि अधिकांश लोगों की डिमांड है कि उन्हें तेज आवाज वाले पटाखे ही चाहिए. वे कहते हैं कि इसके साथ ही वे ग्रीन पटाखे भी चलाएंगे. (Half stock of green crackers) (Fireworks shops Bhopal) (Pollution reduced 30 percent)

Last Updated : Oct 28, 2022, 3:21 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.