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Sagar: अलसी की ऐसी किस्म जिसका बीज ही नहीं रेशा और तना भी बहुपयोगी, लिनेन के कपड़े और पैराशूट की रस्सियां बनाने के लिए कारगर

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Published : Nov 9, 2022, 10:45 PM IST

Updated : Nov 10, 2022, 10:11 PM IST

जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र सागर (Agricultural Research Center Sagar) में स्थित अखिल भारतीय समन्वित अलसी अनुसंधान परियोजना (All India Integrated Linseed Research Project) के अंतर्गत अलसी की ऐसी किस्में विकसित की जा रही हैं. जो किसान की आय को दोगुना ही नहीं बल्कि 4 गुना कर सकते हैं. इस अलसी को द्वि उद्देश्यीय अलसी के नाम से जाना जाता है. इसकी खास बात यह है कि, अलसी की इस किस्म के पौधे बीज के अलावा पौधे के रेशे और तना भी उपयोगी होता है. इस किस्म की अलसी से लिनेन के कपड़े बनाए जा सकते हैं, तो पेंट और वार्निश इंडस्ट्री में इसका उपयोग होता है. नोटों को ज्यादा समय तक चलने योग्य बनाने के लिए अलसी के पौधे से निकलने वाले रेशे और तना का उपयोग किया जाता है. यहां तक की पैराशूट की रस्सियां बनाए जाने में भी अलसी के रेशे और तने का उपयोग किया जाता है.

linseed plant Sagar
अलसी का पौधा

सागर। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र सागर (Agricultural Research Center Sagar ) और अखिल भारतीय समन्वित अलसी अनुसंधान परियोजना सागर (All India Integrated Linseed Research Project) के वैज्ञानिक डॉ देवेंद्र कुमार (Scientist Dr Devendra Kumar) प्यासी का कहना है कि, अनुसंधान केंद्र पर द्विउद्देश्यीय अलसी की फसल पर काम चल रहा है. हमारे किसान द्विउद्देशीय अलसी को अपनाकर किसान अपनी आय को बढ़ा सकते हैं. इसकी संरचना ऐसी होती है कि, ये फसल 130 से 140 दिन में पकती है.

अलसी के पौधे का उपयोग
Jawaharlal Nehru Agricultural University
जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय
Agricultural Research Center Sagar
सागर में अलसी की खेती

इस बात का रखें ध्यान: इसकी खास बात है कि इसमें बीज के साथ रेशा भी प्राप्त होता है. जब पौधा पूरी तरह से वृद्धि कर लेता है, तो कटाई के 15 दिन पहले हम उसकी नीचे से कटाई करते हैं. ध्यान रहे कि ऊंचाई 75 सेंटीमीटर होना चाहिए. इस पर हमें बहुत अच्छा रेशा मिलता है. इस रेशे का उपयोग नए कपड़े बनाने में होता है. खासकर लिनेन के कपड़े बनाने के लिए इस रेशे का उपयोग किया जाता है. अगर हमारे किसानों के पास पर्याप्त प्राकृतिक संसाधन हैं और पानी की समस्या नहीं है. तो हमारे किसान द्वि उद्देश्यीय अलसी का उत्पादन कर सकते हैं. जिसमें किसानों को बीज के साथ फाइबर भी प्राप्त होगा और किसानों की आय दोगुनी कर सकता है.

Agricultural Research Center Sagar
सागर में अलसी की खेती
Agricultural Research Center Sagar
सागर में अलसी की खेती

नोट की मजबूती के लिए अलसी के तने और रेशे का उपयोग: डॉ. देवेंद्र कुमार प्यासी बताते हैं कि, बीज और रेशे के अलावा द्वि उद्देश्यीय अलसी का उपयोग कई उद्योगों में होता है.द्वि उद्देशीय अलसी में हमें बीज के साथ रेशा भी मिलता है. रेशा निकलने के बाद जो तने का भाग निकलता है. उससे पेपर बनाया जा सकता है, जो अंकुरण परीक्षण के लिए महत्वपूर्ण होता है. इससे ग्रीटिंग कार्ड भी बनाए जा सकते हैं. खास बात यह है कि, हमारी करेंसी यानी नोट की मजबूती के लिए भी अलसी के रेशे का उपयोग किया जाता है. नोट लंबे समय तक चलें और खराब ना हो, इसलिए अलसी के महीन फाइबर और तने के भाग का उपयोग किया जाता है.

Agricultural Research Center Sagar
अलसी के बीज का उपयोग
Agricultural Research Center Sagar
सागर में अलसी की खेती

बहुआयामी उपयोग से मोटी कमाई: अलसी के एक पौधे का बहुआयामी उपयोग किया जा सकता है. एक ही फसल से 4 तरह से आय प्राप्त की जाती है. पहला हम बीज से आय प्राप्त कर सकते हैं. दूसरा तने से निकलने वाले फाइबर से आय प्राप्त की जा सकती है. तीसरा तने को गला कर अंकुरण का पेपर बना सकते हैं. प्लाईवुड और तारकोल बना सकते हैं. इसके अलावा अलसी का उपयोग पेंट इंडस्ट्री, वार्निश इंडस्ट्री और मशीनरी में उपयोग होने वाले लुब्रिकेंट तैयार करने के लिए उपयोग किया जाता है. इसके अलावा पैराशूट की रस्सियां, हेलीकॉप्टर का कांच तैयार करने के लिए अलसी के रेशे का उपयोग किया जाता है. व्यवसायिक दृष्टि से किसानों की आय दोगुनी करने के लिए अलसी की द्विउद्देशीय फसल सर्वोत्तम मानी जाती है.

Last Updated : Nov 10, 2022, 10:11 PM IST
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