MP News Satna गौरी नंदन की अद्भुत प्रतिमा निर्माण की आस्था से जगी गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड की आस

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Published : Sep 3, 2022, 6:04 PM IST

Updated : Sep 3, 2022, 10:56 PM IST

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MP News Satna गजानन के प्रति शिवेंद्र सिंह परिहार की आस्था और भक्ति का अनुमान आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि अभी तक वह करीब 70 गणेश प्रतिमाएं गढ़ चुके हैं. इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वह इन प्रतिमाओं को बाजार में बेचते नहीं है. उनका कहना कि वह ऐसा करके अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराना चाहते हैं. (Ganesh Devotee Guinness Book of world record) (mp news satana) (ganesha idol world record Satna)

सतना। देवा हो देवा गणपति देवा तुमसे बढ़कर कौन स्वामी तुमसे बढ़कर कौन. इस सत्य की भक्ति से अभिभूत हैं सतना जिले के शिवेंद्र सिंह. गौरी नंदन की अटूट भक्ति में लीन रहने वाले शिवेंद्र परिवहन विभाग में सहायक ग्रेड 2 पर पदस्थ हैं. सरकारी कमचारी होने के बावजूद प्रथम पूज्य गणेश के प्रति उनकी अपार श्रद्धा का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि वह अपनी नौकरी के साथ-साथ पूरे साल यानी 365 दिन गणेश प्रतिमा गढ़ने का काम निरंतर करते रहते हैं. शिवेंद्र की माने तो वह बचपन से ही परिवार में गणेश पूजा को देखते थे. इसके बाद रिद्धि सिद्ध के दाता की भक्ति में वह ऐसा रमे कि आज तक वह उनके आभामंडल से बाहर आने के बारे में सपने में भी नहीं सोच पाते. प्रतिदिन पूजा अर्चना करने के साथ साथ वह अपने हाथों से प्रतिमा गढ़ने का कार्य भी निर्बाध गति से करते चले आ रहे हैं. (Ganesh Devotee Guinness Book of world record) (MP News Satna)

अभी तक करीब 70 गणेश प्रतिमाएं गढ़ चुके हैं शिवेंद्र

शिवेंद्र सिंह परिहार का मानना है कि ऐसा करने से उन्हें तनाव से मुक्ति तो मिलती है. इसके साथ मन को भी अपार शांति मिलती है. गजानन के प्रति उनकी आस्था और भक्ति का अनुमान आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि अभी तक वह करीब 70 गणेश प्रतिमाएं गढ़ चुके हैं. इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वह इन प्रतिमाओं को बाजार में बेचते नहीं है. उनका कहना कि वह ऐसा करके अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराना चाहते हैं. (mp news satana) (ganesha idol world record Satna)

प्रतिमा निर्माण का अनाेखा अंदाजः शिवेंद्र गणेश प्रतिमाएं मिट्टी की नहीं बनाते. उनका तरीका बिल्कुल अलग है. वह खाली समय में पेड़ों की लकड़ियों से गणेश जी की अद्भुत प्रतिमाएं बनाते हैं. वैसे तो हर इंसान के अंदर कोई ना कोई शौक या कला जरूर होती है. अगर यह कला भक्ति के साथ जुड़ जाए तो उसका भाव ही बदल जाता है. हर व्यक्ति अपने रिक्त समय का उपयोग करने के लिए अलग तरह के शौक रखता है. कोई संगीत तो कोई डांस या कुकिंग में अपने समय का सदपयोग करते हैं. शिवेंद्र ने इसके लिए अलग रास्ता चुना है. उनका मानना है कि मानसिक तनाव और विभिन्न प्रकार की बाधाओं को दूर करने के लिए उनका शौक ही सबसे बेहतर माध्यम है. सतना के राजेंद्र नगर बसंत विहार कॉलोनी में रहने वाले शिवेंद्र सिंह परिहार के इस भक्ति और आस्था से ओत प्रोत शौक एवं कला से काफी लोग प्रभावित हैं और वह इसे प्रेरणादायी बता रहे हैं. (MP News Satna)

कैसे हुई शिवेंद्र के आस्था एवं शौक की शुरुआतः शिवेंद्र सिंह परिहार ने बताया कि वर्ष 2005 में उन्हें कार्यों का भार और परिवारिक तनाव बहुत था, ऐसे में वह भगवान गणेश को याद कर उनसे प्रार्थना करते थे. एक दिन उन्हें किसी कार्यक्रम में जाते समय गाड़ी के आगे लगे गणेश जी के स्टीकर को देखकर विचार आया कि हम इसे बना सकते हैं. उन्होंने लौटकर घर में रखे औजार पेंचकश, रेतमार, कागज, चाकू और कुछ नुकीली चीजों से उस स्टिकर के आकार की गणेश प्रतिमा को बनाना शुरु कर दिया. एक बार नहीं कई बार या यूं कहें लगातार वह प्रयास करते रहे. वह तब तक लगे रहे जब तक गणेश प्रतिमा को सही आकार नहीं मिला. उनका यह जूनून शौक और फिर आस्था में बदल गया. इसके बाद उन्हें इतनी खुशी मिली कि उसी क्षण से शिवेंद्र परिहार नौकरी के साथ-साथ प्रतिदिन ढाई घंटे का समय प्रतिमा को बनाने में देने लगे. वह अपने घर पर ही विभिन्न प्रकार के औजारों से आम, नीम, कदम, चंदन, सफेद मदार सहित अन्य पेड़ों की लकड़ियों से करीब 70 से अधिक प्रतिमाएं अभी तक बना चुके हैं। (mp news satana) (ganesha idol world record Satna)

प्रतिमाओं को वह बाजार में नहीं बेचतेः शिवेंद्र सिंह परिहार ने बताया कि वह मूर्तियों को बेचने का काम नहीं करते, अपने घर के चारों कोने में गणेश प्रतिमाओं को सजा कर रखा है. जब उनका मन कहता है तो वह अपनी प्रतिमाएं को इच्छानुसार लोगो को दान में दे देते हैं. वह अपना पूरा खाली समय मूर्तियां बनाने में व्यतीत करते हैं. जिससे कि मानसिक तनाव जैसी समस्याओं से राहत मिल सके. वह अभी तक सबसे बड़ी सात फीट की गणेश प्रतिमा बना चुके हैं. अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने की ओर वह अग्रसर हैं. इसके साथ ही शिवेंद्र सिंह परिहार समाज में लोगों को यह संदेश देना चाहते हैं कि व्यक्ति को अपने अंदर की कला को पहचानकर उससे रूबरू जरूर होना चाहिए. ताकि व्यक्ति अपने कार्य को शौक के जैसे पूरा कर तनाव मुक्त रह सके. (MP News Satna)

Last Updated :Sep 3, 2022, 10:56 PM IST
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