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Sagar Justice Hanuman: एक ऐसा गांव, जहां विवाद होने पर थाने-कचहरी नहीं जाते लोग, हनुमान मंदिर को न्यायालय और हनुमान जी को न्यायाधीश मानकर निपटाते हैं विवाद

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Published : Jun 17, 2022, 4:11 PM IST

मध्य प्रदेश के सागर के जैसीनगर विकासखंड में एक ऐसा गांव है, जहां सालों से परंपरा चली आ रही है कि ग्राम महुआ खेड़ा में यदि कोई भी विवाद थाने या कचहरी नहीं जाता. ग्रामीण विवाद होने की स्थिति में गांव के लोग हनुमान मंदिर को न्यायालय और हनुमान जी को न्यायाधीश (Sagar Justice Hanuman) मानकर विवादों का निपटारा करते हैं. गांव के बुजुर्ग लोग गांव के हनुमान मंदिर पर पंचायत बिठाकर विवाद का निराकरण करते हैं. पंचायत में सर्वसम्मति से जो तय होता है, उस आधार पर सजा या जुर्माने का प्रावधान किया जाता है.

Mahua Kheda village of Sagar got award under dispute-free scheme
सागर के महुआ खेड़ा गांव को मिला विवाद विहीन योजना के तहत पुरस्कार

सागर। अगर गांव में समरसता हो और एक दूसरे से परस्पर सहयोग की भावना हो, तो गांव की चौपाल की पंचायत काफी शक्तिशाली होती है. सागर के जैसीनगर विकासखंड के ग्राम महुआ खेड़ा में सालों से परंपरा चली आ रही है कि गांव में विवाद होने की स्थिति में गांव के लोग हनुमान मंदिर को न्यायालय और हनुमान जी को न्यायाधीश (Sagar Justice Hanuman) मानकर विवादों का निपटारा करते हैं. गांव के बुजुर्गों का कहना है कि हम सालों से देखते आ रहे हैं कि गांव का कोई विवाद कभी थाने नहीं गया है. वहीं नई पीढ़ी का कहना है कि बुजुर्गों से मिली विरासत को हम संभाल कर रखेंगे और हमारे गांव की पहचान आगे भी बरकरार रखेंगे. गांव वालों को मलाल है, तो सिर्फ इस बात का कि गांव में समरसता और अच्छाई होने के बावजूद भी विकास की दौड़ में पिछड़ गया है. जबकि यह गांव प्रदेश सरकार के कद्दावर मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के विधानसभा क्षेत्र सुरखी के अंतर्गत आता है.

सागर में हनुमान मंदिर न्यायालय और हनुमान जी न्यायाधीश

गांव के विवाद नहीं जाते थाने, बुजुर्ग करते हैं निपटारा: सागर जिला मुख्यालय से 50 कि.मी दूर जैसीनगर विकासखंड का महुआ खेड़ा भले ही एक छोटा सा गांव है और जंगली इलाके में बसा हुआ है. लेकिन इस गांव की खासियत बड़ी है और यही गांव की पहचान बन गई है. इस गांव में सालों से परंपरा चली आ रही है कि गांव में कोई भी विवाद होने पर गांव का कोई भी व्यक्ति पुलिस थाने या कचहरी नहीं जाता है. जो भी विवाद होता है, गांव के बुजुर्ग लोग गांव के हनुमान मंदिर पर पंचायत बिठाकर विवाद का निराकरण करते हैं. पंचायत में सर्वसम्मति से जो तय होता है, उस आधार पर सजा या जुर्माने का प्रावधान किया जाता है. आमतौर पर सजा के तौर पर मंदिर में दान की परंपरा रखी गई है, गांव के बुजुर्ग गोविंद सिंह राजपूत बताते हैं कि इस परंपरा की शुरुआत कैसे और क्यों हुई, यह हमें नहीं पता. लेकिन हम बचपन से देखते आ रहे हैं कि हमारे बुजुर्ग इस परंपरा को निभाते आए हैं, तो हम सभी ने भी निभाया और आगे भी निभाएंगे.

गांव में बढ़ती है वैमनस्यता, कोर्ट में बर्बाद होता है पैसा: गांव के बुजुर्ग गोविंद सिंह राजपूत बताते हैं कि हमारे बुजुर्गों ने ये परंपरा इसलिए बनाई थी कि, गांव में कोर्ट कचहरी के चक्कर में आपसी वैमनस्यता ना बढ़े. इसके अच्छे परिणाम आए, तो लंबे समय से परंपरा चली आ रही है. गांव में मामूली विवाद होने पर कई बार कोर्ट कचहरी के चक्कर में जिंदगी भर की दुश्मनी बन जाती है. इसके अलावा जो व्यक्ति थाने और कचहरी में अपने विवाद लेकर जाता है, तो उसमें काफी पैसा खर्च होता है.

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हनुमान मंदिर न्यायालय और हनुमान जी न्यायाधीश: युवा पीढ़ी इस परंपरा को आगे बढ़ा रही है. गांव के बृजेंद्र सिंह बताते हैं कि विवाद होने की स्थिति में कई बार ऐसा होता है कि लोग अपनी गलती मानने के लिए तैयार नहीं होते हैं. इसलिए गांव के हनुमान मंदिर पर दोनों पक्षों को बिठाकर सत्य बोलने के लिए कहा जाता है. हम जब मंदिर पर बैठकर पंचायत करते हैं, तो हनुमान जी की प्रेरणा होती है. ऐसी स्थिति में जो भी गलती करता है, वह अपनी गलती मान लेता है. कई बार सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है, हम लोग चाहते हैं कि हम मिलजुल कर रहें. हनुमान के इस दरबार में हम लोग ये सोच कर बैठते हैं और ऐसी भावना रखते हैं कि, हम लोगों से कोई गलती ना हो किसी के प्रति द्वेष भावना में आकर काम ना करें.

आगामी पीढ़ी भी परंपरा का निर्वहन करने के लिए तैयार: गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि बचपन से हमने इस परंपरा को देखा और हम भी इसको निभाने लगे. अभी तक हमारे गांव में कोई भी झगड़ा थाने की दहलीज पर नहीं पहुंचा है. गांव के युवा भी गांव की समरसता से प्रभावित हैं और इस परंपरा को आगे ऐसे ही जीवित रखना चाहते हैं. शैलेंद्र बताते हैं कि सभी के सहयोग से मिलजुल कर काम करते हैं और आपस में बैठकर चर्चा करते हैं. भविष्य में भी हम लोग कोशिश करेंगे कि ऐसी स्थिति ना बने की कोई थाने पहुंच जाए. आगामी पीढ़ी बुजुर्ग लोगों की प्रेरणा से परंपरा को जारी रखेगी और हमारे बुजुर्ग हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे.

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अलग पहचान के बाद भी विकास की दौड़ में पिछड़ गया महुआ खेड़ा: महुआ खेड़ा गांव जैसीनगर जनपद पंचायत की बांसा ग्राम पंचायत का हिस्सा है. ये इलाका प्रदेश के राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का विधानसभा क्षेत्र है. गांव के लोगों को इस बात का मलाल है कि हमारे गांव में अच्छाई होने के बाद भी विकास की दौड़ में पिछड़ गया है. गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि सब कुछ होने के बाद भी सरकार और प्रशासन की हमारे गांव पर बिल्कुल नजर नहीं है. हमारे गांव के लोग कई समस्याओं से जूझ रहे हैं, दूसरे क्षेत्रों में तो विकास नजर आता है, लेकिन हमारे गांव में ऐसा कुछ नजर नहीं आता. प्रशासन को आगे बढ़कर मदद करनी चाहिए, नहीं तो हमारी गांव की अच्छाई का कोई मतलब नहीं है. मंत्री गोविंद सिंह का क्षेत्र है, फिर भी हम विकास से दूर हैं. किसी तरह का विकास गांव में नहीं हुआ है, हमारा गांव पंचायत मुख्यालय से भी सड़क मार्ग से नहीं जुड़ा है. गांव में प्राइमरी स्कूल है, मिडिल स्कूल में पढ़ने बच्चे नदी पार कर के जाते हैं. बाढ़ आ जाती है, तो बच्चों का स्कूल जाना बंद हो जाता है. एक दो बार चुनाव के समय पर सुनने को मिला कि पुल बनने वाला है, लेकिन अभी तक नहीं बना.

गांव को मिला विवाद विहीन योजना के तहत पुरस्कार: जैसीनगर थाना अंतर्गत आने वाले गांव में आपसी विवाद या झगड़े का कोई भी मामला थाने में दर्ज नहीं हुआ है. 2017 में एक ग्रामीण के ऊपर अवैध शराब के मामले में आबकारी एक्ट के तहत कार्यवाही की गई थी. इसकी किसी ने शिकायत नहीं की थी, पुलिस ने अवैध शराब की सूचना पर एक व्यक्ति को गांव के सीमा क्षेत्र में पकड़ा था. गांव की खासियत सामने आने के बाद 2021 में जिला न्यायालय द्वारा गांव को विवाद विधि ग्राम योजना 2000 के अंतर्गत विभिन्न गांव घोषित करके डेढ़ लाख रुपए की राशि विकास कार्यों के लिए दी गई.

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