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Jabalpur: 'महाकाल लोक' के बाद 'नर्मदा कॉरिडोर' पर भी राजनीति हुई शुरू, 260 करोड़ की लागत से बनने वाला प्रोजेक्ट सिर्फ फाइलों में

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Published : Oct 15, 2022, 2:21 PM IST

Updated : Oct 15, 2022, 4:02 PM IST

मध्यप्रदेश के उज्जैन में महाकाल कॉरिडोर के निर्माण ने आस्था और पर्यटन के नए आयामों को स्थापित कर दिया है. जिस भव्यता के साथ महाकाल लोक का लोकार्पण किया गया. उसके बाद प्रदेश के अन्य धार्मिक स्थानों पर भी इसी तरह विकास की मांग उठने लगी है. मध्य प्रदेश की जीवन रेखा कही जाने वाली नर्मदा नदी पर भी इसी तरह एक नर्मदा कॉरिडोर प्रस्तावित है, लेकिन राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते यह कॉरिडोर फाइलों में ही सिमट कर रह गया है.(Jabalpur Narmada River) (Jabalpur Narmada Corridor)(plan to build jabalpur narmada corridor)(Jabalpur Political Rivalry) (Mahakal Corridor in Ujjain) (Jabalpur Narmada Corridor)

Jabalpur Narmada Corridor
जबलपुर नर्मदा कॉरिडोर

जबलपुर। नर्मदा नदी...मध्य प्रदेश की जीवन रेखा ही नहीं बल्कि लाखों करोड़ों लोगों की लिए आस्था का केंद्र भी है. नर्मदा नदी के प्रति लोगों की आस्था का इसी बात से अंदाजा लगा सकता है कि, पूरे विश्व में नर्मदा ही एकमात्र ऐसी नदी है. जिसकी परिक्रमा की जाती है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए 2017-18 में जबलपुर में नर्मदा नदी के किनारे नर्मदा कॉरिडोर बनाने की योजना बनाई गई. इसकी डिजाइन को बहुत कुछ अहमदाबाद के साबरमती रिव्यू की तरह बनाया गया. जिससे नर्मदा के दर्शन करने वालों के साथ यहां आने वाले अन्य लोगों को मनोरंजन का एक नया पर्यटन स्थल मिल सके. कॉरिडोर को पर्यटन के साथ व्यावसायिक रूप से तैयार किया जाना था. जिसकी लागत करीब 260 करोड़ रुपये आंकी गई थी. लेकिन राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते यह कॉरिडोर फाइलों में ही सिमट कर रह गया है. (Jabalpur Narmada River) (Jabalpur Narmada Corridor)(plan to build jabalpur narmada corridor)(Jabalpur Political Rivalry) (Mahakal Corridor in Ujjain) (Jabalpur Narmada Corridor)
ऐसा बनना था कारिडोर:
- ग्राम भटौली से तिलवारा घाट के बीच कोरीडोर बनाने की योजना.
- करीब 2386 एकड़ जमीन में इसका निर्माण होगा.
- 655 एकड़ सरकारी जमीन अधिग्रहण की जाएगी.
- मौजूदा विकसित क्षेत्र 421 एकड़ है.
- नर्मदा से लगकर 300 मीटर तक चौड़ाई में आरक्षित हरित क्षेत्र.
- इस कोरीडोर में सात गांव की भूमि अधिग्रहित की जाती.
- इनमें तिलवारा, ललपुर, ग्वारीघाट, जिलहरी घाट, भटौली, परसवारा, गौरेया घाट गांव शामिल है.

क्या होगा कारिडोर में:
- 20 मीटर चौड़ा मार्ग.
- 8.5 किलोमीटर लंबाई.
- पैदल यात्रियों के लिए पाथवे.
- दिव्यांग और वृद्धों के लिए ई-रिक्शा साईकिल ट्रैक.
- मार्ग के बीच में बैठक व्यवस्था.
- नर्मदा दर्शन के लिए व्यू पाईंट.
- पथ में खान-पान के लिए स्टॉल.
- आराम करने के लिए आरामदायक चेयर.
- कॉरिडोर के किनारे गार्डन, हरियाली.
- नर्मदा नदी से जुड़ी कथाओं को दर्शाती प्रतिमाएं.

बीजेपी सरकार पर आरोप: इस मामले पर पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस विधायक तरुण भनोट का कहना है कि, यह प्रोजेक्ट कमलनाथ सरकार ने शुरू किया था इसलिए मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है. मामले पर मध्य प्रदेश पर्यटन निगम के अध्यक्ष विनोद गोटिया का कहना है कि, किसी भी प्रोजेक्ट को पूरा करने में वक्त लगता है, लेकिन निश्चित तौर पर नर्मदा कॉरिडोर का भी निर्माण जबलपुर में शुरू किया जाएगा.

फाइलों में ही बंद हुआ प्रोजेक्ट:नर्मदा कॉरिडोर परियोजना की शुरुआत करने के लिए प्रयास तो किए गए, लेकिन नगर निगम और जेडीए के बीच तालमेल नहीं बैठ सका और बजट का हवाला देते हुए इस प्रोजेक्ट को फाइलों में ही बंद कर दिया गया. अब इस मामले में नगर निगम महापौर का कहना है कि निश्चित तौर पर नर्मदा कॉरिडोर जबलपुर के पर्यटन विकास के लिए बेहद जरूरी है. लिहाजा जल्द ही जबलपुर नगर निगम नर्मदा कॉरिडोर पर काम शुरू करेगा.

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राजनीतिक प्रतिद्वंदिता: कुल मिलाकर कहा जाए तो नर्मदा कॉरिडोर राजनीतिक प्रतिद्वंदिता की भेंट चढ़ गया. नर्मदा के सौंदर्य और पर्यटन के विकास के लिए नर्मदा कॉरिडोर बेहद जरूरी है. अगर इस परियोजना पर काम होता है और जल्द ही यह आकार लेती है तो आने वाले भविष्य में जबलपुर भी उज्जैन की तरह पर्यटन के नक्शे पर एक अलग पहचान बना लेगा.

Last Updated : Oct 15, 2022, 4:02 PM IST
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