ग्वालियर। देश और दुनिया में ऐतिहासिक नगरी के तौर पर पहचाने जाने वाले ग्वालियर से, भारतीय संस्कृति को देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों तक पहुंचाने के साथ सांस्कृतिक रिश्तों को मजबूत करने के अभियान ने गति पकड़ी है. इस अभियान में 'उद्भव सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा संस्थान' ब्रांड एंबेस्डर की भूमिका निभा रहा है. बीते दो दशकों से उद्भव सांस्कृतिक और क्रीडा संस्थान भारतीय कला और संस्कृति को देश और दुनिया के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचाने के अभियान में जुटा हुआ है. यह संस्थान जहां ग्वालियर में हर साल अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है, तो वहीं देश के विभिन्न हिस्सों के संस्कृति और लोक परंपराओं से जुड़े दलों को दूसरे देशों में आयोजित होने वाले समारोह में हिस्सा लेने के लिए भी भेजने में सेतु की भूमिका निभाता है.
खेल गतिविधियों को शुरु करने के लिए स्पोर्ट्स एसोसिएशन का गठन
संस्था के अध्यक्ष डॉ. केशव पांडेय बताते हैं कि उनके कुछ मित्रों ने मिलकर वर्ष 1997 में खेल गतिविधियां शुरू करने के मकसद से इंस्टीट्यूशनल स्पोर्ट्स एसोसिएशन का गठन किया था. यह संस्था तीन साल तक खेल गतिविधियां आयोजित करती रही, वहीं वर्ष 2000 में सांस्कृतिक कार्यक्रम और चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. उसके बाद संस्था से जुड़े लोगों ने भारतीय संस्कृति को देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों तक पहुंचाने और कला प्रेमियों को जोड़ने के मकसद से संस्था का नाम 'उद्भव सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा संस्थान' किया. उसके बाद से यह संस्थान लगातार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न आयोजन में हिस्सेदारी निभा रहा है.
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संस्थान को न कोई आर्थिक मदद न कोई सरकारी फंड
डॉ. पांडेय बताते हैं कि वैसे तो यह संस्थान एनजीओ के तौर पर पंजीकृत तो है, मगर बीते दो दशकों में किसी भी तरह की सरकारी अथवा अन्य किसी संस्थान से आर्थिक मदद नहीं मिली है. वर्तमान दौर में सरकारी फंड पाना आसान नहीं है, फंड हासिल करने के जो तरीके है वह उनके लिए संभव नहीं है. अब तक सभी तरह के आयोजन संस्थान से जुड़े पदाधिकारी और सामाजिक लोगों के सहयोग से किए जाते रहे हैं. यह संस्थान अक्टूबर माह में अंतरराष्ट्रीय स्तर का सांस्कृतिक समारोह ग्वालियर में करता है. इस आयोजन में हिस्सा लेने वाले दलों में प्रथम तीन स्थान प्राप्त करने वाले दलों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित समारोह में हिस्सा लेने के लिए भेजता है. अब तक इस संस्थान के ग्वालियर में होने वाले आयोजनों में ग्रीस, फ्रांस, रूस, साउथ कोरिया, चीन, यूक्रेन, बुलगारिया, इजिप्ट, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश सहित लगभग आधा सैकड़ा देशों के दल हिस्सा ले चुके हैं.
अभियान का उद्देश्य, भारतीय संस्कृति से दुनिया को अवगत कराना
ग्वालियर में होने वाले आयोजन में देश के विभिन्न हिस्सों के भारतीय संस्कृति, परंपरा के साथ लोक संस्कृति से जुड़े दल हिस्सा लेते हैं. इनमें से प्रथम तीन स्थान प्राप्त करने वाले दलों को अंतरराष्ट्रीय समारोह में हिस्सा लेने के लिए चयनित किया जाता है. उन्हें आर्थिक तौर पर भी संस्थान की ओर से सहयोग किया जाता है, तो वहीं जिस देश में आयोजित समारोह में हिस्सा लेते हैं. वहां घूमने से लेकर रहने खाने की व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करने वाला संस्थान उपलब्ध कराता है. डॉ. पांडेय का कहना है कि इस अभियान का मकसद भारतीय संस्कृति से दुनिया को अवगत कराना है, वहीं दूसरे देश की कला और संस्कृति से भारतीय लोगों को जोड़ना है. यही कारण है कि जो दल भारत से अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में हिस्सा लेने जाते हैं, वे वहां के स्थानीय निवासियों के आवास पर भी एक या दो दिन रुकते हैं. जिससे वे उनके खान-पान, रहन-सहन और रीति-रिवाज से परिचित होते हैं. कुल मिलाकर यह अभियान भारतीय संस्कृति को दुनिया में पहचान दिलाने का है.
इनपुट - आईएएनएस