MP Municipal Election Result 2022: ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ में 57 साल बाद कांग्रेस की 'सरकार', बुरी तरह चूक गई BJP

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Published : Jul 19, 2022, 9:53 PM IST

congress won mayor seat in gwalior
ग्वालियर में कांग्रेस ने जीती मेयर की सीट ()

ग्वालियर नगर निगम चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. जिस सीट के लिए बीजेपी ने इतने मंथन किए वहीं से बीजेपी बुरी तरह हार गई है. कांग्रेस यहां 57 साल बाद जीती है. ग्वालियर चंबल अंचल बीजेपी का गढ़ माना जाता है, लेकिन दिग्गज नेताओं की गुटबाजी के चलते पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा. महापौर की कुर्सी पर कांग्रेस का कब्जा हो गया है. (BJP lost in Gwalior after 57 years)

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर नगर निगम में 57 साल बाद कांग्रेस ने इतिहास रचा है (BJP lost in Gwalior after 57 years). अब की बार कांग्रेस का ऐसा जादू चला जिसमें बीजेपी का सूपड़ा साफ कर दिया. कांग्रेस की महापौर प्रत्याशी शोभा सिकरवार ने भाजपा की सुमन शर्मा को 28,805 मतों से हराया. कांग्रेस को कुल वोट 2,35,154 मिले, तो वहीं भाजपा को कुल वोट 2,06,349 मिले. इस निकाय चुनाव में बीजेपी हारी ही नहीं है बल्कि शर्मनाक दौर से गुजरी है. इतिहास में पहली बार देखने को मिला है कि बीजेपी को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा है.(MP Nagar Nigam Election Results)

बीजेपी को मिली बुरी हार: ये पहली बार हुआ है कि मतगणना के दौरान पहले राउंड से लेकर अंतिम राउंड तक कांग्रेस बीजेपी से आगे निकल गई. मतगणना के दौरान पहले राउंड से लेकर अंतिम राउंड तक बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा. मतलब हर राउंड में कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी शिकस्त दी है. इसके साथ ही इस बार अंचल में बीजेपी के दिग्गज नेताओं का कोई भी असर जनता पर देखने को नहीं मिला है. हालात यह है कि ग्वालियर के दिग्गज कहे जाने वाले नेता भी अपने वार्ड को नहीं बचा पाए.(MP Municipal Election Result 2022)

कांग्रेस ने ढहाया भाजपा के 57 साल का किला: ग्वालियर के नगरीय निकाय चुनाव में बीजेपी के किले को कांग्रेस ने ढहा दिया. इतिहास में ऐसा पहली बार देखने को मिला है कि मतगणना के दौरान जब पहले राउंड की गिनती शुरू हुई तो उसी समय से बीजेपी की हार शुरू हो गई, और हालात ऐसे बने कि हर राउंड में कांग्रेस ने बीजेपी को आगे नहीं बढ़ने दिया. जब पहले राउंड की शुरुआत हुई तो बीजेपी के खाते में 13,674 वोट तो वहीं कांग्रेस को 12,297 वोट मिले. दूसरे राउंड में बीजेपी को 13,963 तो कांग्रेस 12,154 वोट मिले. ऐसे ही कुल 35 राउंड हुए और इन 35 राउंड में बीजेपी कांग्रेस से आगे नहीं निकल पाई.(Gwalior municipal election)

अपने वार्ड से ही हार गए बीजेपी दिग्गज नेता: ग्वालियर के नगर निगम चुनाव में कांग्रेस की ऐसी आंधी आई, जिसमें शहर के बीजेपी के दिग्गज नेता केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह, ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर(Pradyuman Singh Tomar), निगम के अध्यक्ष और सिंधिया समर्थक मुन्नालाल गोयल अपने वार्ड तक नहीं बचा पाए. इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया(Jyotiraditya Scindia) के वार्ड में बीजेपी ने अपनी सीट तो बचा ली, लेकिन सिंधिया की पोलिंग बूथ पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. इससे साफ जाहिर होता है कि जिन दिग्गजों के कंधों पर बीजेपी को जिताने की जिम्मेदारी थी वह अपने वार्ड को भी नहीं बचा सके.

अपने वार्ड से ही हारे तोमर: केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर शहर के वार्ड क्रमांक 27 में रहते हैं, और इसी वार्ड में सिंधिया समर्थक बीजेपी निगम के अध्यक्ष मुन्नालाल गोयल भी रहते हैं. यह इलाका बीजेपी का गढ़ माना जाता है, लेकिन इस बार इस वार्ड में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. वार्ड 27 से कांग्रेस की लक्ष्मी सुरेश सिंह ने भाजपा की यामिनी राणा को बुरी तरह से हराया है. इसके साथ ही ऊर्जा मंत्री और अपने कार्यशैली में अलग अंदाज से पहचाने जाने वाले मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की हकीकत भी सामने आ गई है. अपनी विधानसभा और अपने वार्ड में सबसे ज्यादा सक्रिय रहने वाले तोमर अपने ही वार्ड को नहीं जीता पाए. मंत्री के वार्ड क्रमांक 17 से भाजपा की रेनू शाक्य को कांग्रेस की किरण धर्मेंद्र शर्मा ने हरा दिया है. (Congress Shobha Sikarwar defeated BJP Suman Sharma)

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सिंधिया की मेहनत नहीं लाई रंग: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रचार प्रसार के दौरान जमकर मेहनत की, लेकिन उनकी मेहनत किसी काम की नहीं रही. इसके साथ ही सिंधिया अपने वार्ड 58 को तो जीत गए, लेकिन जिस पोलिंग बूथ पर वह मतदान करते हैं उस पोलिंग बूथ को बीजेपी बुरी तरह हारी है. मक्का साफ है कि इस नगरीय निकाय चुनाव में बीजेपी की तरफ से दिग्गज नेता कहे जाने वाले नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रद्युम्न सिंह तोमर को अब की बार जनता ने बुरी तरह नकारा है.

नेताओं की गुटबाजी वोट पर हुई हावी: ऐसा पहली बार देखने को मिला है कि बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर लगातार इस निकाय चुनाव में जी तोड़ मेहनत करते रहे, लेकिन इस बार उनका जादू जनता पर नहीं चल पाया. इसका सबसे बड़ा कारण पार्टी के अंदर की गुटबाजी रही. इन दोनों नेताओं में कहीं ना कहीं गुटबाजी हावी है. इसी गुटबाजी के कारण बीजेपी ने अपने 57 साल तक संभाले रखे इस अभेद सियासी दुर्ग को ढहा दिया. अब बीजेपी की इस करारी हार के बाद सिंधिया और तोमर की साख पर असर आगामी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है.

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