Chhindwara Crop damage अतिवृष्टि से 80 फीसदी फसल बर्बाद, सर्वे के इंतजार में किसान, कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर साधा निशाना

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Published : Aug 27, 2022, 10:34 AM IST

Updated : Aug 27, 2022, 12:09 PM IST

Chhindwara Crop damage
अतिवृष्टि से 80 फीसदी फसल बर्बाद ()

छिंदवाड़ा जिले में अतिवृष्टि से करीब 80 फीसदी किसानों की फसल बर्बाद हो गई है. लेकिन अभी तक प्रशासन ने सर्वे शुरू नहीं कराया है. किसानों की मांग है कि सर्वे हो तो कम से कम उन्हें मुआवजा के नाम पर कुछ राहत राशि मिल सकेगी.Crop Damaged due to excess rainfall, Chhindwara Farmers Demand Compensation

छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में अतिवृष्टि किसानों के लिए आफत बनकर आई है. अतिवृष्टि के कारण फसलों को भारी नुकसान हुआ है. करीब 80 फीसदी किसानों की फसल बर्बाद हो गई है. फसलों के भारी नुकसान के बाद भी सर्वे करवाकर किसानों को मुआवजा देने की प्रक्रिया प्रारंभ नहीं की गई है. किसान सर्वे के लिए इंतजार कर रहे हैं. 80 Percent Crop Damaged in Chhindwara

2 लाख हेक्टेयर जमीन का मक्का हुआ प्रभावित: छिंदवाड़ा जिले में सबसे ज्यादा मक्के की फसल लगाई जाती है. कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार 3 लाख हेक्टेयर में मक्के की फसल लगाई गई है. किसानों का कहना है कि 2 लाख की मक्का की फसल 70 से 80 फीसदी अतिवृष्टि के चलते बर्बाद हो गई है. लेकिन अभी तक सर्वे का काम शुरू नहीं हुआ है.

कांग्रेस बोली किसानों के साथ छलावा कर रही भाजपा: पिछले दिनों छिंदवाड़ा के दौरे पर आए कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा था कि किसानों की फसलों की क्षति का सर्वे सेटेलाइट के जरिए किया जाएगा. लेकिन कांग्रेस का कहना है कि सर्वे शुरू नहीं हुआ है. भाजपा सरकार किसानों के साथ छलावा कर रही है.

  • “ मामाजी ये अधिकारी आपकी बात मानते तक नहीं है , आप पिछली बार भी आये थे , आज तक मुआवज़ा नहीं मिला…”

    ये हम नहीं स्थानीय जनता और खुद भाजपा के कार्यकर्ता ही कह रहे है… pic.twitter.com/4qh5lj22yF

    — Narendra Saluja (@NarendraSaluja) August 26, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

Chhindwara farmers Protest अतिवृष्टि से फसल बर्बाद, किसानों ने की मुआवजे की मांग

दो तरीके से हुआ है किसानों का फसल बीमा: जिन किसानों ने सेवा सहकारी समितियों के जरिए कर्ज लिया है उनका बैंक से ही बीमा कराया गया है. लेकिन कई किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत भी बीमा कराया था. सबसे बड़ी तकनीकी खामी सर्वे में आ रही है. कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कंपनियां अपने अपने अनुसार मापदंड तय करती हैं, इसलिए एक गांव में सभी किसानों को मुआवजा देना संभव नहीं हो पाता.

कलेक्टर ने दिये सर्वे करने के निर्देश: किसानों का कहना है कि जब गांव और जमीन एक ही रकबे की है तो दो प्रकार का व्यवहार कैसे किया जा सकता है. हालांकि कलेक्टर सौरव कुमार सुमन ने कहा है कि सभी राजस्व अधिकारियों को इस मामले में सर्वे करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं. जल्द ही रिपोर्ट सबमिट की जाएगी. ताकि किसानों को उचित मुआवजा मिल सके.
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Last Updated :Aug 27, 2022, 12:09 PM IST
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