MP elephant Ruckus: मध्य प्रदेश में हाथियों के उत्पात को रोकने के लिए ली जाएगी ड्रोन की मदद

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Published : Jul 26, 2022, 10:27 AM IST

Wild elephant ruckus at borders of MP will be tackled with drones

मध्य प्रदेश में हाथियों का उत्पात दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है. पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ से आ रहे जंगली हाथियों के चलते राज्य की सीमा पर बसे लोगों को हाथियों के उत्पात का शिकार होना पड़ता है. ऐसे में अब हाथियों के मूवमेंट को मॉनिटर करने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जायेगा. (MP elephant ruckus)

भोपाल। मध्यप्रदेश में छत्तीसगढ़ राज्य से आ रहे जंगली हाथियों के समूह के उत्पात के कारण सीमा पर बसे ग्रामीणों और हाथियों में संघर्ष की स्थिति बनने लगी है. अब इन हालातों से निपटने के लिए ड्रोन की सहायता ली जाएगी. इसके पीछे मकसद यह है कि ड्रोन के माध्यम से जंगली हाथियों के मूवमेंट को मॉनिटर कर ग्रामीणों को समय से पहले आगाह किया जा सकेगा. आधिकारिक तौर पर बताया गया है कि वन विभाग हाथियों और ग्रामीणों के बीच संघर्ष की स्थिति से निपटने के लिये हाथी प्रभावित गांवों के लिये एक विस्तृत कार्य-योजना बना कर रणनीतिक गतिविधियां क्रियान्वित कर रहा है. इन समस्याओं से निपटने के लिए बनाई गई कोर समिति ने सुझाव दिया है.

एलीफेंट प्रूफ ट्रेंच की होगी व्यवस्था: बताया गया है कि प्रभावित क्षेत्रों में गांव के बाहर प्रायोगिक तौर पर एलीफेंट प्रूफ ट्रेंच या एलीफेंट प्रूफ सोलर फेंसिंग की व्यवस्था की जाएगी. हाथी गलियारे के किनारे स्थित गांव में मधुमक्खी पालन को प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे हाथियों को उन गांव की ओर जाने से रोका जा सके. ग्रामीणों को मधुमक्खी के लिए उपयुक्त फसलों को उगाने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा.

हाथियों के लिए विशिष्ट रहवास बनाया जाएगा: वन क्षेत्रों में 200 से 300 हेक्टेयर क्षेत्र में हाथियों के लिए विशिष्ट रहवास बनाया जाएगा, ताकि हाथी भोजन या जल की तलाश में गांव की ओर न आ पाएं. हाथी प्रभावित क्षेत्रों में स्थित कच्चे घरों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में विशेष परियोजनाएं स्वीकृत करवा कर पक्के मकान की स्वीकृति देने की भी योजना है. संजय टाइगर रिजर्व, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, मुकुंदपुर जू और जबलपुर में स्थापित रेस्क्यू स्क्वाड को रेपिड रिस्पांस टीम के रूप में स्थापित किया जाएगा.

हाथी मित्र दल का होगा गठन: इसके साथ ही हाथी मित्र दल का गठन कर उनके सक्रिय सहयोग लेने के लिये सदस्यों को लाउडस्पीकर, टार्च, पटाखे, यूनिफॉर्म आदि की व्यवस्था की जाएगी. वन विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों एवं स्थानीय जनता के बीच बेहतर समन्वय एवं विभिन्न स्तर पर जरूरी प्रशिक्षण की व्यवस्था भी की जा रही है.

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कर्नाटक के विशेषज्ञों का लिया जायेगा सहयोग: बताया गया है कि राज्य में कर्नाटक में हाथियों के प्रबंधन के लिये अपनाये गये उपायों को स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल अपनाया जायेगा. कर्नाटक के विशेषज्ञों का भी इसमें सहयोग लिया जायेगा. इसके अलावा छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के साथ समन्वय के लिये समन्वय समिति होगी. विषय विशेषज्ञों, गैर शासकीय संगठन, जन-प्रतिनिधियों और वैज्ञानिकों का सक्रिय सहयोग लिया जा रहा है. ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाकर प्रभावित क्षेत्रों में आवश्यक सावधानियां बरतने से अवगत करवाया जाएगा.

(आईएएनएस)

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