पंचायत चुनाव में उतरेगा आदिवासी संगठन 'जयस', बिगड़ेगा बीजेपी-कांग्रेस का समीकरण, जानें कैसी रहेगी स्थिति

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Published : Dec 5, 2021, 9:43 PM IST

tribal organization jayas contest in mp panchayat elections 2022

मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है. वहीं अब आदिवासी संगठन जयस ने मैदान में ताल ठोकने का एलान कर दिया है. जिससे बीजेपी-कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई हैं. दोनों ही पार्टियों को आदिवासी वोट बंटने का डर सता रहा है.

भोपाल। पंचायत चुनाव में आदिवासी संगठन जयस ने मैदान में ताल ठोकने का एलान कर दिया है. जिससे बीजेपी और कांग्रेस की धड़कन बढ़ गई है. जहां बीजेपी आदिवासियों को अपनी तरफ खींचने की कोशिश कर रही है, तो वहीं जयस के पंचायत मैदान में उतरने से आदिवासी वोट बैंक में बिखराव की आशंका है. यही वोट बंटने की आशंका अब बीजेपी को सताने लगी है. जयस के मैदान में उतरने से कांग्रेस के सामने भी मुश्किलें खड़ी हो गई हैं. (Tribal Organization Jayas Contest in MP Panchayat Elections)

पिछले चुनाव में 150 जयस सरपंच बने
पिछले चुनावों में जयस ने मालवा निमाड़ अंचल के धार, झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन सहित कुछ अन्य जिलों में प्रत्याशी उतारे थे. इसमें बड़ी संख्या में उन्हें सफलता भी मिली थी. जयस का कहना है कि पंचायत चुनाव दल आधारित नहीं है, इसलिए जयस समर्थक युवाओं को चुनाव मैदान में उतारा जाएगा. पिछली बार पंचायत चुनाव में इनके समर्थित 150 से ज्यादा सरपंचों ने जीत हासिल की थी. इस बार भी मालवा निमाड़ सहित अन्य आदिवासी जिलों में जयस के चुनाव लड़ने की तैयारी कराई जाने लगी है. (MP Panchayat Elections 2022)

वहीं विधायक हीरालाल अलावा का कहना है कि पंचायत चुनावों में जयस समर्थित प्रत्याशी उतारे जाएंगे. पिछले चुनाव में भी जयस समर्थित 150 से ज्यादा सरपंचों ने जीत हासिल की थी. इस बार ज्यादा ताकत से चुनाव में उतरेगी.

आदिवासियों के साधने की बीजेपी की पुरजोर कोशिश
आदिवासियों के बीच जनाधार बढ़ाने की रणनीति के तहत बीजेपी ने जबलपुर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में शंकर शाह रघुनाथ शाह की स्मृति में आयोजन किए. भोपाल में बिरसा मुंडा जयंती पर पीएम मोदी को बुलाकर जनजाति गौरव दिवस मनाया. उसके बाद पातालपानी में टंट्या भील के शहादत दिवस पर सरकार ने बड़ा आयोजन किया. आदिवासी गोंड रानी कमलापति के नाम पर रेलवे स्टेशन का नाम भी रखा गया. इंदौर में टन्ट्या भील चौराहा बन गया, पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की घोषणा भी की गई है.

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2023 चुनाव में बीजेपी की मुश्किल बढ़ाएगा जयस
पंचायत चुनाव के बाद विधानसभा 2023 की तैयारी भी शुरू कर दी है. इससे बीजेपी-कांग्रेस दोनों की चिंता बढ़ गई है. आदिवासियों की 47 सीटें हैं, जिनमें सभी 17 बीजेपी के पास है जबकि कांग्रेस के कब्जे में 30 है. उपचुनाव में जोबट सीट से उत्साहित बीजेपी विधानसभा चुनाव में आदिवासी वोटर्स पर फोकस कर रही है. हालांकि कोरोना को देखते हुए कांग्रेस ने चुनाव की तारीख टालने की मांग भी की थी, लेकिन निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव कराने का ऐलान कर दिया है. जयस पंचायतों में अपनी ताकत बढ़ाएगा और उसके बाद विधानसभा में अपने प्रत्याशी खड़ा करने की तैयारी में लगेगा.

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