MP Election 2022: इस बार दिलचस्प जंग, चुनावी मैदान में उतरे किन्नर, पार्टियों की उड़ाई नींद

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Published : Jun 24, 2022, 11:38 AM IST

Third gender entry of MP civic elections

मध्यप्रदेश में होने वाले चुनावों में एक बार फिर किन्नारों की एंट्री हो गई है. किन्नर चुनावी दंगल में अपनी किस्मत आजमाएंगे. ग्वालियर में शहूर किन्नर राज ने बीजेपी कांग्रेस को टक्कर देने के लिए निर्दलीय पार्षद उम्मीदवार उतरने का फैसला किया है. वहीं छिंदवाड़ा जिले में एक साथ दो किन्नरों ने नामांकन दाखिल किया है, इसमें एक महापौर तो दूसरा पार्षद पद के लिए चुनावी मैदान में हैं.(MP Election 2022) (Third gender entry of MP civic elections)

भोपाल। मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव दिलचस्प होता जा रहा है. चुनाव में इस बार थर्ड जेंडर की भी एंट्री हो गई है. वह भी सियासी जंग में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. बीजेपी-कांग्रेस को चुनौती देते हुए नगर निगम, पालिका, जिला पंचायत, सरपंच और पंच पद के लिए फॉर्म भरा है. चुनाव चिन्ह आवंटित होने के बाद जुदा अंदाज में लोगों का दिल जीतने में जुट गए हैं. बता दें कि भारत का दिल कहलाने वाला मध्यप्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां से शबनम मौसी के तौर पर साल 2000 में देश को पहली किन्नर विधायक मिली थी.

दो किन्नरों ने आदिवासी सीट से भरा पर्चा: किन्नर भी त्रिस्तरीय चुनाव में अपना भाग्य आजमाने मैदान में उतरे हैं. कई किन्नर महापौर, पार्षद और सरपंच बनना चाहते हैं. तो कई जिला पंचायत सदस्य और पंच के लिए भी मैदान में आए हैं. जिसमें शहडोल में 2 सरपंच, नर्मदापुरम में एक सरपंच, कटनी में एक जिला सदस्य और रतलाम में एक पंच पद के लिए फॉर्म भरा है. इनमें से 4 ने सामान्य सीटों से पर्चा भरा, तो दो ने आदिवासी सीट से.

Third gender entry of MP civic elections
चुनावी मैदान में उतरे किन्नर

महिला सीट से किन्नर ने भरा पर्चा: कटनी जिला पंचायत सदस्य के लिए किन्नर दुर्गा मैदान में हैं. यह सीट आदिवासी महिला के लिए आरक्षित है. किन्नर समाज से आने वाली 34 साल की दुर्गा दीदी ने महामंडलेश्वर की पदवी ले रखी है और उन्हें गांव वालों ने ही चुनाव मैदान में उतारा है. उन्हें हस्ताक्षर करना आता है. दुर्गा ने बताया था कि निरक्षर होने से नियम-कायदे की समझ कम है, लेकिन दुनियादारी समझती हूं.

गांव की मौसी बनी सरपंच प्रत्याशी: नर्मदापुरम संभाग के केसला ग्राम पंचायत में सरपंच के 5 प्रत्याशियों में इस बार 35 साल की किन्नर राधा मौसी भी शामिल हैं. खास बात यह है कि इस ग्राम पंचायत में वे ही अकेली थर्ड जेंडर मतदाता हैं. सरपंच का पद आदिवासी महिला के लिए आरक्षित है, इस गांव की आबादी 2,750 है. चुनाव जीतने के बाद गांव की गलियां और शौचालय बनवाना राधा मौसी की पहली प्राथमिकता रहेगी.

ग्वालियर-उमरिया में भी दावेदारी: ग्वालियर में भी एक किन्नर ने पार्षद पद के लिए दावेदारी जताई है. उन्होंने निर्दलीय नामांकन भरा है. पहले कांग्रेस से टिकट की दावेदारी की लेकिन जब बात नहीं बनी तो नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है. वहीं, उमरिया नगर पालिका चुनाव में किन्नर ने पार्षद पद के लिए अपना नामांकन भरा है.

छिंदवाड़ा में पहली बार दो किन्नर चुनावी मैदान में: छिंदवाड़ा में 2 किन्नरों ने पर्चा दाखिल किया है. कांग्रेस ने किन्नर अंजलि को महापौर प्रत्याशी घोषित किया है. तो वहीं किन्नर जयश्री पार्षद प्रत्याशी हैं. छिंदवाड़ा में 2015 के पहले नगर निगम चुनाव में किसी भी किन्नर ने उम्मीदवारी के लिए अपना पर्चा नहीं डाला. लेकिन इस जिले में 2022 के चुनाव में किन्नरों को जनता के बीच वोट मांगते देखा जाएगा.

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किन्नरों ने कब-कब किया राजनीति में प्रवेश

  • 2000 में शबनम मौसी को शहडोल जिले की सुहागपुर विधानसभा से विधायक चुना गया.
  • 2001 में कमला जान कटनी के महापौर पद पर निर्वाचित हुई और उसी साल मीना बाई साहोरा शहर में नगर पालिका के अध्यक्ष निर्वाचित हुई.
  • सागर से 2009 के चुनाव में कमला बुआ महापौर बनीं.
  • किन्नर हीराबाई जबलपुर टैगोर वार्ड से 1999 से 2004 तक पार्षद रहीं.
  • नेहा किन्नर 2018 में मुरैना जिले की अंबाह विधानसभा सीट से चुनाव लड़ी. हालांकि, वे 7500 वोट से चुनाव हार गईं थीं.

सुप्रीम कोर्ट ने दिया किन्नरों के पक्ष में फैसला: बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल 2014 को ऐतिहासिक फैसले में किन्नरों को तीसरी लिंग श्रेणी का दर्जा दिया था. संविधान के आर्टिकल 14, 16 और 21 का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रांसजेंडर देश के नागरिक हैं और शिक्षा, रोजगार एवं सामाजिक स्वीकार्यता पर उनका समान अधिकार है. किन्नर पुरुष और महिला दोनों सीटों से चुनाव लड़ सकता है.

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