खुद सरकार ने बढ़ाया खतरा, सरकारी स्कूलों का ड्रेस कोड हाफ पेंट- शर्ट, डेंगू के डंक से कैसे बचेंगे पौने 2 लाख बच्चे

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Published : Sep 22, 2021, 9:59 PM IST

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छिंदवाडा जिले में 3628 स्कूल हैं जिनमें लगभग पौने दो लाख बच्चे पढ़ते हैं. इनमें से 2601 प्राथमिक सरकारी स्कूल और 1027 मिडिल स्कूल हैं. इनमें कुल 1 लाख 72 हजार 929 बच्चे स्कूल जाना शुरू कर रहे हैं या कर चुके हैं. लेकिन सरकारी स्कूलों में हाफ पेंट ड्रेस कोड ने बच्चों और उनके परिजनों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, क्योंकि इस ड्रेस कोड में बच्चों के डेंगू के मच्छर का शिकार बनने की आशंका ज्यादा है.

भोपाल/छिंदवाड़ा. आधी -अधूरी तैयारियों के बीच प्रदेश सरकार ने प्राइमरी क्लासेस के स्कूल भी ओपन कर दिए हैं. दूसरी तरफ प्रदेश में डेंगू का कहर बढ़ता ही जा रहा है. आप जानते हैं कि डेंगू का सबसे ज्यादा खतरा छोटे बच्चों को होता है, क्योंकि वे स्कूल और घरों में ज्यादातर हॉफ पेंट और टीशर्ट में रहना पसंद करते हैं. घर में तो परिजन डेगूं से बचाव के लिए बच्चों को डांट कर या समझाकर फुल बांह वाले कपड़े पहना देते हैं, लेकिन जब उनकी स्कूल ड्रेस में ही हॉफ स्लीब वाली शर्ट शामिल हो तो आप क्या कहेंगे और कैसे छोटे बच्चों का डेंगू से बचाव करेंगे. प्रदेश सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग ने कुछ ऐसा ही किया जो बच्चों को मुसीबत में डाल सकता है.

ड्रेस कोड हाफ पेंट और हाफ शर्ट, डेंगू का खतरा अधिक

कोरोना के खतरे के बीच मासूमो के स्कूल तो खोल दिये गए हैं लेकिन छिन्दवाड़ा जिले में स्कूल खुलते ही छोटे बच्चों को खतरे में डाले का भी स्कूल शिक्षा विभाग ने पूरा इंतजाम कर लिया है. क्योंकि स्कूलों में बच्चों का ड्रेस कोड़ हाफ पेंट और हाफ शर्ट रखा गया है. जबकि डूेंगू से बचाव के पहले उपाय के तौर पर डॉक्टर पहले उपाय के तौर पर यही कहते हैं कि बच्चों को फुल स्लीव के कपड़े पहनाकर रखा जाए. डॉक्टरों के मुताबिक डेंगू का मच्छर घुटने से ऊपर लगभग 3 फीट की ऊंचाई तक ही उड़ सकता है.यानि इतनी ऊंचाई तक ही काट सकता और वह दिन में ही काटता जो स्कूल जाने बच्चों को बीमार कर सकता है. बावजूद इसके स्कूलों में हाफ पेंट और हाफ शर्ट का ड्रेस कोड अपनाया जा रहा है. जिससे बच्चों को डेंगू के मच्छर के काटने का खतरा अधिक बना हुआ है.

ड्रेस कोड ने लगभग पौने 2 लाख बच्चों को खतरे में डाला

छिंदवाडा जिले में 3628 स्कूल हैं जिनमें लगभग पौने दो लाख बच्चे पढ़ते हैं. इनमें से 2601 प्राथमिक सरकारी स्कूल और 1027 मिडिल स्कूल हैं. इनमें कुल 1 लाख 72 हजार 929 बच्चे स्कूल जाना शुरू कर रहे हैं या कर चुके हैं. लेकिन सरकारी स्कूलों में हाफ पेंट ड्रेस कोड ने बच्चों और उनके परिजनों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, क्योंकि इस ड्रेस कोड में बच्चों के डेंगू के मच्छर का शिकार बनने की आशंका ज्यादा है.

डॉक्टरों की सलाह और सरकार की अपील पूरे कपड़े पहनें
प्रदेश में लगातार बढ़ रहे डेंगू के प्रकोप के चलते खुद सरकार भी लोगों से शरीर को ढंककर रखने के साथ ही पूरी बांह के फुल कपड़े पहनने के लिए अपील कर रही है. डॉक्टर भी ऐसी ही सलाह देते हैं लेकिन लगता है छिंदवाडा के सरकारी स्कूलों को इस सबसे जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता. सरकारी रिकॉर्ड में छिंदवाड़ा में पिछले 4 सालों में इस साल सबसे ज्यादा डेंगू के मरीज सामने आए हैं. जिले में सरकारी आंकड़े के हिसाब से अब तक 205 मरीज हैं वहीं निजी अस्पताल और आसपास के अस्पतालों में भी कई मरीज अपना इलाज करवा रहे हैं. इसके बाद भी जिला प्रशासन बच्चों को होने वाले खतरे से लापरवाह बना हुआ है.

कौन है इसके लिए जिम्मेदार
दरअसल मध्य प्रदेश सरकार सरकारी स्कूलों में बच्चों को मुफ्त में यूनिफॉर्म वितरण करती है. जिसके चलते छिंदवाड़ा जिले में करीब पौने दो लाख बच्चों को ड्रेस वितरित की गई है. जिसमें से सभी हाफ पैंट और हाफ शर्ट हैं. ऐसे में बच्चों को स्वास्थ्य की अनदेखी करते हुए ड्रेस पहनकर स्कूल जाना जरूरी है. आपको बता दें कि प्रदेश में सरकारी स्कूलों में बच्चों की यूनिफार्म डिसाइड करने का की जिम्मेदारी राज्य शिक्षा केंद्र के होती है. ईटीवी ने हाफ ड्रेस कोड और बच्चों को इससे होने वाली स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को लेकर राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक एस.धनराजू से बात की तो उनका कहना था कि-

अभी तक ऐसा कोई मामला उनके पास नहीं आया है जिसमें हाफ पेंट पहनने से बच्चों को डेंगू का खतरा हो, लेकिन ईटीवी भारत ने इस बात पर उनका ध्यान दिलाया है, तो जब भी यूनिफार्म बनाने को लेकर कोई निर्णय लिया जाएगा तो नए सिरे से इसपर चर्चा की जाएगी.
एस.धनराजू ,संचालक,राज्य शिक्षा केंद्र

परिजन पेशोपेश में पढ़ाई भी और स्वास्थ्य भी जरूरी
परिजनों का कहना है कि पहले 2 साल तो कोविड-19 में बच्चे स्कूल नहीं गए अब सरकार ने स्कूल खोला भी है तो उनके सामने कई नियम कानून कायदे आ गए हैं. छिंदवाड़ा में डेंगू ने अपना कहर बरपाना शुरू कर दिया है, ऐसे में बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी बड़ा कठिन हो रहा है अभिभावक संघ का कहना है कि जिला प्रशासन को स्थानीय स्तर पर बच्चों को फुल पैंट पहनने के निर्देश जारी किए जाने चाहिए.

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