Politics Over Cheetah बीजेपी को सियासी फायदे दिलाएंगे चीते, एक्सपर्ट को आशंका बोले- फिलहाल सिर्फ पर्यटन बढ़ाएंगे

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Published : Sep 19, 2022, 10:09 PM IST

Politics Over Cheetah
एमपी में चीतों पर सियासत तेज ()

पीएम मोदी ने अपने जन्मदिन के मौके पर चीतों को कूनो नेशनल पार्क में में छो़ड़कर संदेश दे दिया कि बीजेपी सरकार ईकोनॉमी से लेकर ईकोलॉजी जैसे हर क्षेत्र में काम कर रही है. उन्होंने यह भी जता दिया कि 70 साल पहले विलुप्त हो चुके चीतों की वापसी के लिए कांग्रेस ने कोई प्रयास नहीं किए. Politics Over Cheetah, BJP looking benefits

भोपाल। मप्र में चीेते लाने के बाद अब शिवराज सरकार जिराफ और जेब्रा लाने की तैयारी में है. चीता की सफल वापसी के बाद सरकार अब विदेश से कुछ और जानवरों के लाने का प्लान तैयार कर रही है. पीएम मोदी ने अपने जन्मदिन के मौके पर चीतों को कूनो नेशनल पार्क में में छो़ड़कर संदेश दे दिया कि बीजेपी सरकार ईकोनॉमी से लेकर ईकोलॉजी जैसे हर क्षेत्र में काम कर रही है. उन्होंने यह भी जता दिया कि 70 साल पहले विलुप्त हो चुके चीतों की वापसी के लिए कांग्रेस ने कोई प्रयास नहीं किए. मोदी के कूनो से चीतों की वापसी के जरिए दिए गए सियासी संदेश का बीजेपी को क्या कोई राजनीतिक फायदा भी होगा. आइऐ जानते हैं एक्सपर्ट क्या कहते हैं.

चीतों का सियासी फायदा लेने की कोशिश: पीएम मोदी ने चीतों के जरिए संदेश दे दिया कि बीजेपी की सरकार ने ही चीतों की कामयाब वापसी कराई है. पिछली कांग्रेस सरकारों ने इसमें खास रुचि नहीं दिखाई. जिसके बाद माना जा रहा है कि बीजेपी को इसका सियासी फायदा भी मिलेगा, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इससे ज्यादा कोई फर्क नहीं पड़ेगा. एक्सपर्ट कहते हैं कि हां इतना जरूर है कि मप्र ने इश मामले में अपना नाम सबसे ऊपर कर लिया है कि सत्तर साल बाद चीते आए और वो भी मप्र की धऱती पर. वरिष्ठ पत्रकार अरुण दीक्षित का कहना है कि पीएम ने कहा कि पहले कबूतर छोड़े जाते थे अब चीते छो़ेड़े जा रहे हैं , उनका ये बयान अलग संदेश देता है. दीक्षित मानते हैं कि कबूतरों को शांति का प्रतीक माना जाता है तो वहीं चीतों हिंसक होते हैं. ऐसे में सवाल यह है कि क्या ग्वालियर चंबल रीजन में चीते बीजेपी को सियासी फायदा दिला पाएंगे. एक्सपर्ट मानतें हैं कि इससे पर्यटन बढ़ेगा इतना तो तय है. ग्वालियर चंबल इलाके में 2018 के परिणामों पर नजर डालें तो पता चलता है कि यहां की जनता ने बीजेपी को पसंद नहीं किया है, बल्कि कांग्रेस पर अपना भरोसा जताया. एक्सपर्ट के मुताबिक संभावना कम ही है कि चीते बीजेपी को कोई सियासी फायदा पहुंचा पाएंगे.

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पहले चंबल में दस्यु रहा करते थे और अब चीते रहेंगे: एक वक्त था जब चंबल इलाका डाकुओं का गढ़ हुआ करता था, लेकिन अब शिवराज सरकार ने इस इलाके में अफ्रीका से चीते लाकर सारी दुनिया का ध्यान मप्र की तरफ खींचा है. दूसरी तरफ कांग्रेस ने पलटवार करते हुए बीजेपी पर श्रेय लेने की राजनीति करने का आरोप भी जड़ दिया है. कांग्रेस ने कहा कि भारत में चीते लाने की पहल उसने 2009 में कर दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के बैन के कारण वो आ नहीं पाए और अब बीजेपी सरकार इसका क्रेडिट ले रही है. दूसरी तरफ पीएम ने अपने भाषण में कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि सात दशक पहले विलुप्त हुए चीतों को लाने के लिए कोई कांग्रेस सरकार ने कोई रचनात्मक प्रयास नहीं किए.

कांग्रेस ने पूछा - गुजरात से कब लाओगो शेर: मध्यप्रदेश में चीते तो आ गए , लेकिन कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि बात तो गिर से शेर लाने की थी. पड़ौसी राज्य गुजरात ने अपने यहां के गिर शेर मप्र को क्यों नहीं दिए. कांग्रेस का कहना है कि गुजरात को पता है मध्यप्रदेश में बाघों का शिकार हो रहा है, टाइगर की लगातार मौतों से अब मप्र से टाईगर स्टेट का दर्जा भी छिन सकता है. कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि मप्र में चीते तो आ गए लेकिन अगले ही दिन हमने दो टाइगर खो दिए, हालांकि बीजेपी की तरफ से फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं की गई है. सूत्रों का कहना है कि प्रदेश बीजेपी के नेताओं को कुछ दिन तक चीतों पर चुप्पी बरतने की सलाह दी गई है.

वन विहार में लाए जाएंगे जेब्रा और जिराफ - चीतों की सफल लैंडिंग के बाद वन विभाग अब जेब्रा और जिराफ लाने की तैयारी भी कर रहा है. वन मंत्री विजय शाह ने बताया कि वन विभाग स्टडी कर रहा है. शाह का कहना है कि हमारे जंगल भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हैं. हमने भरोसा दिलाया है कि जो चीते आए हैं वे पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे. उन्होंने कहा कि वन विभाग जिराफ और जेब्रा भी लाने की भी स्टडी कर रहा है. अगर यह सफल रहा तो भोपाल के वन विहार में आने वाले कुछ दिनों में जिराफ और जेब्रा भी दिखाई देंगे .

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