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महंत नरेंद्र गिरी की मौत संतों की बड़ी क्षति, MP के संतों ने की CBI जांच की मांग कहा, समाज में गलत संदेश जाएगा, सच सामने आना जरूरी

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Published : Sep 21, 2021, 9:06 PM IST

Updated : Sep 21, 2021, 9:38 PM IST

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत से संत समाज शोक और आक्रोश में है. शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती और साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने नरेंद्र गिरि की मौत को संत समाज की बड़ी क्षति बताते हुए पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की है. साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का कहना है कि इस मामले की सच सामने आना ही चाहिए नहीं तो एक प्रसिद्ध संत की आत्महत्या से समाज में गलत संदेश जा रहा है.

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MP के संतों ने की CBI जांच की मांग कहा

भोपाल/सीहोर/ उज्जैन। प्रयागराज के बाघम्बरी गद्दी मठ और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत से संत समाज शोक और आक्रोश में है. संतो की तरफ से मामले की सीबीआई और एनआईए से जांच कराने की मांग की गई है. हालांकि इस पूरे मामले में नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि को मुख्य आरोपी माना जा रहा है. पुलिस ने उसे गिरफ्तार भी कर लिया है. संत समाज से जुड़े जितने में भी लोग नरेंद्र गिरि के संपर्क में रहे या आए हैं उन सभी का यह मानना है कि यह आत्महत्या नहीं बल्कि एक साजिश है. मध्य प्रदेश से जुडे शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती सहित बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने और उज्जैन के संत समाज ने मामले की जांच की मांग प्रमुखता से की है, लेकिन इस सब के बीच एक सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर शांति, समरसता का संदेश देने वाले और मोक्ष की राह दिखाने वाले संत तनाव में क्यों हैं ? ऐसी क्या वजह है कि वे आत्महत्या तक का रास्ता अपना रहे हैं या फिर साजिशन उन्हें मौत के घाट उतार दिया जा रहा है.

MP के संतों ने की CBI जांच की मांग कहा
MP के संतों ने की CBI जांच की मांग कहा

भय्यूजी महाराज ने किया सुसाइड, सामने आया संपत्ति का विवाद

मध्य प्रदेश के जाने-माने गृहस्थ संत भय्यूजी महाराज ने भी आत्म हत्या का रास्ता चुना. एक शानदार लग्जरी लाइफ जीने वाले, राजनीतिक गलियारों में पैठ रखने वाले और लगभग 1200 करोड़ की संपत्ति के मालिक ट्रस्ट के सर्वसर्वा रहे. महाराष्ट्र से संबंध रखने वाले भय्यूजी महाराज का नाम उदय सिंह देशमुख था. लग्जरी लाइफ जीने का शौकीन यह सख्स अपने रसूख और संबंधों के चलते. कई सियासी शख्सियतों से भी जुड़ा था. इसका खुलासा उस वक्त हुआ जब दिल्ली में अनशन पर बैठे अन्ना हजारे का अनशन तुडाने के लिए भय्यू जी महाराज ने मध्यस्ता की. इसके बाद ऐसा क्या हुआ कि उन्हें खुद को गोली मार का आत्म हत्या करनी पड़ी. हालांकि मामला अभी भी न्यायालय में है लेकिन जो वजहें सामने आईं उसमें विवाद की सामान्य वजह मानी जाने वाली जर, जोरू और जमीन की कहानी ही सामने आई. दो शादियां करने वाले भय्यूजी की बेटी कुहू और उनकी दूसरी पत्नी के बीच विवाद, सेवादारों का संपत्ति पर नजर रखना और संपत्ति से जुड़ा विवाद मुख्य वजह रहे हैं. ऐसे में यही सामने आता है कि समाज और लोगों को मोह-माया त्यागने की सीख देने वाले संतों का खुद ही इस जाल में फंस जाना ही उनके तनाव की बड़ी वजह के तौर पर सामने आ रहा है. जिसका नतीजा जाने माने संतों के आत्म हत्या करने जैसे मामलों के रूप में सामने आ रहा है.

मिर्ची बाबा, कंम्प्यूटर बाबा का भी विवादों से नाता

मध्य प्रदेश में सक्रीय मिर्ची बाबा और कम्प्यूटर बाबा को भी आए दिन जान से मारने की धमकियां मिलती रहती है. मिर्ची बाबा पर 1-2 दो बार जानलेवा हमला भी हो चुका है. बाबा की राजनीतिक महत्वाकांझा भी किसी से छुपी नहीं है. कांग्रेस नेताओं से करीबी रखने के चलते मिर्ची बाबा कई बार राजनीतिक विरोधियों के निशाने पर भी रहे हैं. इससे पहले कंप्यूटर बाबा भी सियासी गलियारों में अपना दखल दिखा चुके हैं. बीजेपी के खिलाफ चुनावों के दौरान बाबा ने 24 सीटों पर पार्टी के विरोध में प्रचार किया था. करोड़ों की संपत्ति के मालिक कम्प्यूटर बाबा की कई अवैध संपत्तियों पर बीजेपी सरकार आने के बाद बुलडोजर भी चलाया गया. प्रिवेंटिव डिटेंशन के तहत हिरासत मे लेकर उन्हें इंदौर सेंट्रल जेल में भी रखा गया. ऐसे में बड़ा सवाल यही खड़ा होता है कि आखिर साधु संतों की इतनी संपत्ति और राजनीतिक रसूख की जरूरत क्या और क्यों है. आखिर क्यों समाज के उद्धारक माने जाने वाले संत सियासत के दलदल में धंस जाते हैं.

MP के संतों ने की CBI जांच की मांग कहा

उज्जैन में भी अखाड़ा परिषद की संपत्ति पर हुई थी कब्जे की कोशिश

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महाराज नरेंद्र गिरी की प्रयागराज में हुई संदिग्ध मौत (Mahant Narendra Giri Maharaj Suspicious Death) के बाद अखाड़ा परिषद का नीलगंगा स्थित कार्यालय खाली पड़ा है. यहां के सभी साधु-संत दिवंगत गिरी के अंतिम दर्शन के लिए प्रयागराज रवाना हो चुके हैं, वंही बड़नगर रोड स्थित निरंजनी अखाड़े में भी सन्नाटा पसरा है. उज्जैन के ही नीलगंगा अखाड़े की जमीन पर कुछ गुंडों ने कब्जा करने का प्रयास किया था.करीब दो माह पहले कोर्ट में विचाराधीन प्रकरण से जुड़ी जमीन पर कब्जा करने के प्रयास के चलते विवाद हुआ था. इस मामले को लेकर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा उज्जैन कलेक्टर और एसपी से मुलाकात कर कब्जा करने वाले के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई करने की मांग की थी. नरेंद्र गिरि की मांग पर प्रशासन ने संतोष नाम के शख्स पर रासुका के तहत कार्रवाई कर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया था.

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और स्वरूपानंद सरस्वती ने बताया संत समाज की बड़ी क्षति, जांच की मांग

भोपाल से बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने महंत नरेंद्र गिरी की मौत की घटना को बेहद दुखद बताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मामले की एनआईए और सीबीआई से जांच कराने की मांग की है. उनका कहना था कि एक संत जो समाज को आशावादी ऊर्जा देता है
वह अगर इस तरह मौत को गले लगाएगा तो समाज मे ठीक संदेश नही जाएगा. ठाकुर ने कहा कि उन्हें यूपी के सीएम पर पूरा भरोसा है वे इस मामले में उचित जांच कराएंगे. शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती (Shankaracharya Swaroopanand Saraswati) ने भी अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरी की संदिग्ध आत्महत्या (Narendra giri suicide) पर दुख व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि संतों को विचलित नहीं होना चाहिए. सबसे बड़ा पाप आत्महत्या है. हत्या हुई या आत्महत्या दोनों गलत है. इस दौरान उन्होंने इस मामले में निष्पक्ष CBI जांच की मांग की है. शंकराचार्य ने नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत को संत समाज के लिए बहुत बड़ी क्षति बताया है.आज 13 अखाड़ों के कई संत प्रयागराज रवाना हो चुके हैं, निरंजनी अखाड़े के संत अपने गुरु को अंतिम विदाई देने के लिए निकले हैं, निरंजनी अखाड़े के महामण्डलेश्वर शांति स्वरूपानन्द जी ने बताया कि सिंहस्थ 2016 में कई जिम्मेदारियों को उन्होंने बखूबी निभाया था. कई फर्जी संतों पर कार्रवाई की और संतों के पक्ष में हमेशा खड़े रहते थे.

इस पूरे मामले में सीबीआई जांच होनी चाहिए. वहीं महाकाल मंदिर में महानिर्वाणी अखाड़े के संत विनीत गिरी महाराज ने इस घटना को दुखद बताया है और कहा कि इस पूरी घटना की उत्तर प्रदेश सरकार निष्पक्ष जांच कराए.

स्वामी स्वरूपानंद, उज्जैन के चारधाम मंदिर से निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर

संतों को मांगनी पड़ रही है सुरक्षा
अभी हाल ही में हरिद्वार में शंकराचार्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष व शाम्भवी धाम पीठाधीश्वर आनंद स्वरूप महाराज को सोशल मीडिया के माध्यम से जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं, जिस पर उन्होंने जिला प्रशासन से अपनी सुरक्षा की मांग की है. संत आनंद स्वरूप ने बीते रोज हिमालय क्षेत्र में गैर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित करने की बात कही थी. ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है. संतों पर आए दिन हो रहे हमले, राजनीतिक महात्वाकांझा, संपत्तियों का विवाद जिसके दलदल में फंसकर समाज को आशावाद की उर्जा से भरने वाले संतों की आत्म हत्या कर लेने जैसे कदम उठाने पड़ रहे हैं या फिर साजिशन उन्हें मौत के घाट उतार दिया जा रहा है. इस सब से समाज में गलत संदेश जा रहा है जिसपर खुद संत समाज को ही रोक लगानी होगी.

Last Updated :Sep 21, 2021, 9:38 PM IST
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