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कांग्रेस का आरोप केंद्र के इशारे पर एमपी में गिराई गई कमलनाथ की सरकार, अमित शाह ने कराई थी फोन टैपिंग

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Published : Jul 20, 2021, 6:54 PM IST

पेगासस फोन टेप मामले को लेकर मध्य प्रदेश कांग्रेस ने प्रदेश की शिवराज और केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि प्रदेश की कमलनाथ सरकार को गिराने के लिए भी केंद्र सरकार के इशारे पर फोन टैपिंग की गई थी.

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केंद्र के इशारे पर एमपी में गिराई गई कमलनाथ की सरकार

भोपाल। पेगासस फोन टेप मामले का खुलासा होने के बाद मध्य प्रदेश की सियासत में खींचतान शुरू हो गई है. पेगासस 'जासूसी' कांड की आंच मध्यप्रदेश तक भी पहुंची है. फोन टेपिंग को लेकर जो डेटाबेस और सूची जारी हुई है उसमें प्रदेश के कद्दावर नेता और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल का नाम सामने आया है. पेगासस खुलास के बाद मध्यप्रदेश कांग्रेस के नेता और पूर्व मंत्री गोविंद सिंह ने भी अपना फोन टैप किए जाने के आरोप लगाया है. गोविंद सिंह ने आरोप लगाया है कि प्रदेश में कमलनाथ सरकार गिराने के लिए केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के इशारे पर कांग्रेस नेताओं की भी फोन टैपिंग हुई थी. आपको बता दें कि मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार पर 2013 में भी फोन टेपिंग के आरोप लग चुके हैं.

केंद्र के इशारे पर एमपी में गिराई गई कमलनाथ की सरकार
अमित शाह के इशारे पर एमपी में हुई थी फोन टैपिंगकांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री डाॅ. गोविंद सिंह ने प्रदेश की बीजेपी सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है. गोविंद सिंह का कहना है कि मध्यप्रदेश में जिस दिन से कांग्रेस की सरकार बनी थी उसी दिन से बीजेपी उसे गिराने की कोशिश में जुट गई थी. इसके लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के इशारे पर मध्य प्रदेश कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं की फोन टैपिंग कराई गई थी. बीजेपी ने कांग्रेस की सरकार गिराने के लिए योजनाबद्ध तरीके से कांग्रेस नेताओं के फोन टैप कराए थे. सरकार ने इस बात की भी जासूसी कराई थी कि कौन नेता कहां जा रहा है, कहां रुक रहा है यह सब सरकार के रडार पर था.
केंद्र के इशारे पर एमपी में गिराई गई कमलनाथ की सरकार

संवैधानिक मूल्यों को खत्म कर रही है बीजेपी

पेगासस फोन टैपिंग मामले में बीजेपी नेता और केन्द्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल का नाम आने पर गोविंद सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी संवैधानिक मूल्यों को खत्म कर रही है. उसे अपने नेताओं पर भी भरोसा नहीं है, यही वजह है कि उन्होंने प्रहलाद पटेल का भी फोन टेप कराया. गोविंद सिंह ने कहा कि बीजेपी ने जब से केंद्र में सरकार बनाई है उसने हर संवैधानिक संस्था को कमजोर करने का काम किया है.

शिवराज सरकार पर 2013 में लगे थे फोन टैपिंग के आरोप
मध्यप्रदेश में साल 2013 में मंत्रियों, नेताओं और अधिकारियों के फोन टेपिंग का मामला सामने आया था. उस दौरान विधानसभा में तत्कालीन उपनेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता राकेश सिंह चतुर्वेदी ने शिवराज सरकार पर अपने मंत्रियों और विपक्षी नेताओं के फोन टेप करने के आरोप लगाए थे. मामला इतना बढ़ा कि तत्कालीन गृह सचिव मदनमोहन उपाध्याय ने पीएचक्यू से रिकाॅर्डिंग का ब्यौरा तक मांगा था, लेकिन पुलिस मुख्यालय ने गोपनीयता का हवाला देकर यह ब्यौरा देने से इंकार कर दिया था. फोन टैपिंग मामले में इंदौर की 'स्पंदन' नाम की एक प्राइवेट कंपनी का नाम आया था, जिसके जरिए सरकार पर फोन टेप कराए जाने के आरोप लगाए गए थे. व्यापमं घोटाला मामले में भी ब्हिसलब्लोअर प्रशांत पांटे ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए सरकार पर उनका फोन टैप कराए जाने के आरोप लगाए थे. जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस भी जारी किया था.

फुर्सत में है कांग्रेस, सिर्फ सवाल खड़े करती है- मिश्रा

फोन टैपिंग के कांग्रेस के आरोपों पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने उलटे कांग्रेस को ही घेरा है. उन्होंने कहा है कि केंद्र और राज्य में सदन का सत्र शुरू होने से पहले इस मुद्दे का आना अपने आप में कई सवाल खड़े करता है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के आरोप कल्पना पर आधारित हैं. मिश्रा का कहना है कि कांग्रेस फिलहाल फुर्सत के झण में है, इसलिए वह हमेशा कभी सेना पर कभी वैक्सीन तो कभी फोन टैपिंग जैसे मामले पर सवाल खड़े करती रहती है.

राज्य सरकार देती 200 फोन टैप कराने की परमीशन
- राज्य सरकार के खुफिया तंत्र से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक राज्य सरकार को सिर्फ 200 फोन टैप कराने की अनुमति है.

- इसके लिए राज्य का खुफिया विभाग हर साल 200 फोन टैप करने की अनुमति गृह विभाग से लेता है.

- यह अनुमति सिर्फ अपराधियों के फोन रिकॉर्ड करने के लिए ली जाती है.

- राज्य सरकार का खुफिया विभाग और पुलिस एक डिवाइस के जरिए किसी की भी बात सुन सकती है.

- यह उसका उपयोग करने वाले संबंधित अधिकारी की मर्जी पर निर्भर करता है. वह किसी का भी फोन सुन और टेप कर सकता है.

- वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक रोजाना ही दर्जनों लोगों के मोबाइल पर नजर रखी जाती है. अधिकारी मानते हैं कि अनधिकृत रूप से मंत्रियों, सरकार के विरोधियों और सत्ता में दखल रखने वाले शीर्ष लोगों के फोन भी सुने और रिकार्ड किए जाते हैं.

- पुलिस रिकॉर्ड में यह बातचीत अनुपयोगी होने पर तत्काल ही डिलीट कर दी जाती है.

- सरकार जरूरत होने पर ही कुछ समय के कुछ फोन नंबर पर नजर रखती है.

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