Har Ghar Tiranga Campaign जुमेराती डाकघर पर CM Shivraj ने किया ध्वाजारोहण, जानिये क्यों आजादी के बाद भी गुलाम था भोपाल

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Published : Aug 13, 2022, 4:16 PM IST

Updated : Aug 13, 2022, 4:45 PM IST

Bhopal Jumerati Post Office

पूरा देश आजादी के 75 साल मना रहा है, लेकिन भोपाल 15 अगस्त 1947 को आजादी से अछूता रहा. भोपाल रियासत के नवाब हमीदुल्लाह ने भारत में विलय से इंकार कर दिया था. लेकिन भोपाल में एक ऐसी इमारत है जहां 15 अगस्त 1947 को आजादी के मतवालों ने तिरंगा फहराया था. अब आज यहां सीएम शिवराज ने ध्वजारोहण कर आजादी का अमृत महोत्सव मनाया. Bhopal Jumerati Post Office, Har Ghar Tiranga Campaign, Indian independence day

भोपाल। देश आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है, इसी मौके पर हर घर तिरंगा अभियान को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल के उस डाकघर में ध्वजारोहण किया, जहां पर 15 अगस्त 1947 को भोपाल रियासत में पहली बार झंडा फहराया गया था. देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया था, लेकिन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को आजादी दो साल बाद मिली थी. Bhopal Jumerati Post Office, Har Ghar Tiranga Campaign, Indian independence day

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सीएम ने कही ये बात: डाक बंगले पर ध्वजारोहण करने पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मुझे खुशी है कि, "आज मैं उस डाक बंगले में ध्वजारोहण कर रहा हूं, जहां पर भोपाल रियासत ने खुद को भारत में मिलने से इंकार कर दिया था और यही वह डाक बंगला था जिस पर पहली बार स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आजादी के रणबांकुरे ने झंडा फहराया था."

1947 में आजाद क्यों नहीं हुआ था भोपाल: 15 अगस्त 1947 को भोपाल को आजादी नहीं मिली थी. यहां पर नवाब हमीदुल्लाह का शासन था. नवाबी शासन होने के चलते ज्यादातर इमारतें और महल भोपाल स्टेट की थी. जब देश आजाद हुआ तो भोपाल रियासत ने भारत में शामिल होने का ऐलान किया. लेकिन अगले 2 साल तक भारत का तिरंगा नहीं बल्कि खुद का झंडा लहराया. 1949 को भोपाल रियासत का भारत में औपचारिक विलय हुआ. भोपाल रियासत के आखरी नवाब हमीदुल्लाह खान थे. माउंटबेटन और भारतीय नेताओं के बीच करार के बाद भारत को विभाजन और आजादी साथ मिल रही थी. तमाम रियासतों को यह विकल्प मिला था कि भारत या पाकिस्तान में से एक देश चुनें. हमीदुल्लाह खान मुस्लिम लीग के सक्रिय सदस्य थे. मोहम्मद अली जिन्ना के साथ हमीदुल्लाह की दोस्ती थी. लेकिन जब 1947 में किसी एक देश को चुनने का मामला सामने आया तब उन्होंने काश्मीर, हैदराबाद, सिक्किम जैसी रियासतों की तरह दोनों विकल्पों को नकारते हुए एक अलग रियासत की दलील दी. लेकिन जब नवाब ने देखा कि उनके दोस्त और कुछ रियासतें भारत के साथ विलय हो रही हैं तो 1947 में उन्होंने भारत के साथ विलय की सहमति दे दी. हालांकि अगले कुछ सालों तक वे अपनी कोशिशें जारी रखते रहे और उनको लगा कि भोपाल स्वतंत्र रियासत बनेगी. Bhopal Nawab Hamidullah Khan

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नवाब का विरोध, गोलीबारी में कई आंदोलनकारी शहीद: नवाब के अलग रियासत बनाने का विरोध भोपाल में शुरू हो गया. शंकर दयाल शर्मा भाई रतन कुमार गुप्ता जैसे नेताओं के नेतृत्व में भोपाल स्टेट के लिए विलीनीकरण आंदोलन शुरू हुआ. आंदोलन लगातार आगे बढ़ रहा था तब नवाब ने इस आंदोलन को कुचलने की कोशिश की. नवाब ने शंकर दयाल शर्मा सहित अन्य नेताओं को जेल में डाल दिया. इस आंदोलन के दौरान गोलियां चलाई गई, खून खराबा भी हुआ और कई आंदोलनकारी शहीद भी हुए. Bhopal Not independent 15 August 1947

Har Ghar Tiranga Campaign
जुमेराती डाकघर पर सीएम शिवराज ने फहराया तिरंगा

सरदार पटेल ने भोपाल नवाब पर बनाया दबाव: जब यह बात दिल्ली तक पहुंची तो सरदार पटेल ने नवाब पर दबाव बनाकर भोपाल स्टेट का विलीनीकरण कराया. 1 जून 1949 को भोपाल भारत में शामिल हो गया. भोपाल अपना स्थापना दिवस 1 जून को मनाता है. इतिहासकार रिजवान अंसारी के मुताबिक नवाब ने एग्रीमेंट तो कर लिया था. लेकिन वे चाहते थे कि भोपाल एक अलग स्टेट बने. इसी वजह से 1947 को भोपाल स्टेट आजाद नहीं हुआ था. तिरंगा फहराने के लिए करीब दो साल तक भोपाल से लोगों ने जमकर संघर्ष किया.

इमारत में आज भी डाकघर मौजूद: भोपाल के पुराने डाकघर की भी अपनी अलग कहानी है. इतिहासकारों के मुताबिक यहां नवाबों के जमाने से ही पत्रों का आदान-प्रदान हुआ करता था. बेगम ने इसे डाकघर का रूप दे रखा था. वक्त के साथ बदलाव होता गया और अंग्रेजों ने भी इसे डाकघर रखा और खास बात यह है की आज भी इस इमारत में भारतीय डाकघर मौजूद है.

Last Updated :Aug 13, 2022, 4:45 PM IST
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