भोपाल। रक्षाबंधन के एक दिन बाद भुजरिया जुलूस निकाला जाता है. कोरोना के कारण बीते दो सालों से भुजरिया जुलूस नहीं निकल रहे थे. भोपाल में किन्नरों ने भुजरियों का पारंपरिक जुलूस निकाला, इसमें देश के विभिन्न जगहों से किन्नर यहां पहुंचे. फैशन शो की तरह आयोजित इस कार्यक्रम में भोपाल से आसपास के किन्नर बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने पहुंचे. इस दौरान उन्होंने अच्छी बारिश के लिए दुआ भी की. चल समारोह को देखने के लिए लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई थी.(Bhopal Kinnar Bhujaria Procession)
किन्नरों का भुजरिया जुलूस: भोपाल में शनिवार दोपहर मंगलवारा बुधवारा के किन्नरों ने भुजरिया जुलूस निकाला. इस भुजरिया जुलूस में किन्नर सोने चांदी के भूषण से सज धज कर हाथों में तिरंगा और सर पर भुजरिया की टोपली लिए पीर गेट पहुंचे. इस त्योहार में एक फैशन शो भी किया जाता है, जिसमें हर एक किन्नर अपने हिसाब से सज धज कर तैयार होती हैं. भोपाल की कायनात किन्नर पूरे सोने से लदी हुई नजर आई. दूसरी तरफ भोपाल की मशहूर किन्नर भी बहुत ही सुंदर परिवेश में दिखाई दी. किन्नर सिमरन एक दुल्हन की तरह सजी तो वहीं अन्य किन्नर साथी भी एक से बढ़कर एक परिवेश और मेकअप और ज्वेलरी के साथ इस पूरे चल समारोह में शामिल हुए.
लोगों का हुजूम उमड़ा: स्थानीय लोगों और इतिहासकारों के अनुसार शहर में यह परंपरा नवाबी काल से चली आ रही है. कुछ लोग इसे राजा भोज के समय से भी जोड़ते हैं. बदलते दौर में किन्नरों पर बॉलीवुड का असर ज्यादा देखने को मिलता है. राजधानी में किन्नर भुजरिया का जुलूस निकालते हैं और जुलूस निकालने के लिए इनको लाइसेंस भी प्राप्त है. किन्नर सज-धज कर बाजार में निकलते हैं और इसमें शहरवासी भी शामिल होते हैं. किन्नर नाच-गाकर भुजरिया का जश्न मनाते हैं. इन्हें देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता है. व्यवस्था बनाने के लिए पुलिस का भी खासा इंतजाम किया जाता है.(Bhopal Chal Samaroh)