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सात दिवसीय रंगोत्सव का हुआ शुभारंभ, मध्यप्रदेश के कई कलाकार देंगे प्रस्तुति

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Published : May 26, 2019, 12:11 PM IST

भारत भवन में मध्यप्रदेश रंगोत्सव समारोह का आयोजन किया जा रहा है. रंग विदूषक समूह के द्वारा रंग शिल्प की अवधारणा पर कार्य करने की कोशिश की गई है.

सात दिवसीय रंगोत्सव

भोपाल| राजधानी के भारत भवन में मध्यप्रदेश रंगोत्सव समारोह का आयोजन किया जा रहा है. यह समारोह 25 मई से 31 मई तक जारी रहेगा. शनिवार देर शाम इस समारोह का शुभारंभ किया गया. इस अवसर पर निर्देशक बंसी कौल द्वारा निर्देशित नाटक 'जिंदगी और जोंक' का मंचन किया गया. सात दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में प्रदेश के कई बड़े कलाकार अपने नाटक की प्रस्तुति देंगे.

सात दिवसीय रंगोत्सव

मध्य प्रदेश रंगोत्सव के प्रथम दिन नाटक 'जिंदगी और जोंक' हिंदी के मूर्धन्य कथाकार अमरकांत की एक चर्चित कहानी पर आधारित है. एक भिखमंगा परजीवी चरित्र कहानी के केंद्र में है, जो अपने गांव की विषम आर्थिक परिस्थिति से उखड़ कर शहर के एक मोहल्ले में अपना डेरा जमा लेता है. इसी मोहल्ले में रहने वाले शिवनाथ बाबू चोरी के संदेह के कारण उसे पीटते हैं, बाद में पता चलता है कि चोरी हुई साड़ी तो घर पर ही है. लेकिन एक उस समय तक उसे गलती की सजा मिल चुकी थी.

रंग विदूषक समूह के द्वारा रंग शिल्प की अवधारणा पर कार्य करने की कोशिश की गई है. रंग विदूषक समूह 1992 से लगातार रंग मंच पर अपनी विभिन्न प्रस्तुतियां दे रहा है.

Intro:सात दिवसीय रंगोत्सव का हुआ शुभारंभ मध्य प्रदेश के कई कलाकार देंगे प्रस्तुति



भोपाल | राजधानी के भारत भवन में मध्य प्रदेश रंगोत्सव समारोह का आयोजन किया जा रहा है यह समारोह 25 मई से 31 मई तक भारत भवन में आयोजित किया जा रहा है देर शाम इस समारोह का शुभारंभ किया गया और शुभारंभ अवसर पर निर्देशक बंसी कौल द्वारा निर्देशित नाटक "जिंदगी और जोंक " का मंचन किया गया 7 दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में मध्य प्रदेश के कई बड़े कलाकार अपने नाटक की प्रस्तुति देंगे .


Body:मध्य प्रदेश रंगोत्सव के प्रथम दिन नाटक " जिंदगी और जोंक " हिंदी के मूर्धन्य कथाकार अमरकांत की एक चर्चित कहानी है एक भिक मंगा परजीवी चरित्र कहानी के केंद्र में है जो अपने गांव की विषम आर्थिक परिस्थिति से उखड़ कर शहर के एक मोहल्ले में अपना डेरा जमा लेता है इसी मोहल्ले में रहने वाले शिवनाथ बाबू एक मंगे को चोरी के संदेह के कारण पीटते हैं बाद में पता चलता है कि चोरी गई साड़ी तो घर पर ही है लेकिन एक मंगे को उस गलती की सजा मिल चुकी थी जो उसने की ही नहीं थी परिणाम स्वरूप अब मोहल्ले वाले उसके प्रति सहानुभूति रखने लगे और बचा हुआ या झूठा खाना उसे खाने को दे देते एक दिन शिवनाथ बाबू उसे बुलाकर अपने घर ले जाते हैं और वही उसका नामकरण होता है" रजुआ" .


Conclusion:मोहल्ले के सभी लोग रजुआ पर अपना बराबर का हक समझते हैं वह पूरे मोहल्ले का नौकर बन गया था इस कारण अब रजुआ भी थोड़ा ढीठ हो गया था मोहल्ले की औरतों से हंसी मजाक भी करने लगा था शहर में गंदगी के कारण उसे है जा फिर खुजली की बीमारी होने से अब कोई उसे अपने यहां नहीं आने देता था इसी बीच एक लड़का कथावाचक को सूचना देता है कि रजुआ मर गया और वह एक चिट्ठी रजुआ के घर भेज कर सबको सूचित कर दें पूरा मोहल्ला रजुआ के जाने से शोकाकुल हो जाता है लेकिन दो दिन बाद रजुआ कथावाचक के समक्ष उपस्थित होकर बताता है कि उसके सिर पर कौवा बैठ गया था और इस अपशगुन को टालने का एक ही तरीका यह है कि संबंधित व्यक्ति के झूठ मुट मरने की खबर फैला दी जाए .कथावाचक यह नहीं समझ पाता है कि वह जिंदगी से जोंक की तरह लिपटा है या फिर खुद जिंदगी उससे ? वह जिंदगी का खून चूस रहा था या जिंदगी उसका ? इतने आभाव में जिंदगी के प्रति उसका मोह उसकी जिजीविषा को प्रकट करती है .

रंग विदूषक समूह के द्वारा रंग शिल्प की अवधारणा पर कार्य करने की कोशिश की गई है रंग विदूषक समूह 1992 से लगातार रंग मंच पर अपनी विभिन्न प्रस्तुतियां दे रहा है .
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