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अफगानिस्तान में विकास चाहिए, तो पहले शांति बहाल करें : विशेषज्ञ

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Published : Sep 6, 2021, 7:21 PM IST

Updated : Sep 6, 2021, 7:56 PM IST

विदेश नीति विशेषज्ञ (foreign policy expert) कमर आगा (Qamar Agha) का कहना है कि शांति और स्थिरता के बिना कोई अन्य देश अफगानिस्तान के विकास के लिए आगे नहीं आ सकता है. अफगानिस्तान को किसी भी सहायता के लिए शांति और स्थिरता (peace and stability) स्थापित करनी होगी.

कमर आगा
कमर आगा

नई दिल्ली : अब जबकि विदेशी सैनिकों ने अफगानिस्तान छोड़ दिया है और तालिबान ने अफगानिस्ता पर कब्जा कर लिया है और नया नेतृत्व चीन से वित्तीय मदद (financial help from China) का भरोसा कर रहा है. ऐसे में विदेश नीति विशेषज्ञों (foreign policy experts) का मानना ​​है कि शांति और स्थिरता के बिना कोई अन्य देश अफगानिस्तान के विकास के लिए आगे नहीं आ सकता है.

ईटीवी भारत संवाददाता तौसीफ से बात करते हुए विदेश नीति विशेषज्ञ (foreign policy expert) कमर आगा (Qamar Agha) ने कहा कि सबसे पहले अफगानिस्तान को किसी भी सहायता के लिए, उन्हें शांति और स्थिरता (peace and stability) स्थापित करनी होगी. इसका मूल रूप से मतलब है कि लोगों को तालिबान को स्वीकार करना होगा.

ईटीवी भारत से बात करते कमर आगा

वर्तमान में उन्हें देश के भीतर बहुत कम समर्थन है और देश के कुछ हिस्सों में लोगों के बीच लड़ाई चल रही है. इसलिए शांति स्थापित करने के लिए कुछ समय लगेगा. इधर चीन भी अपनी नजर बनाए हुए है. अफगानिस्तान में चीन की बहुत हिस्सेदारी है, वे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (China-Pakistan economic corridor) का विस्तार करना चाहते हैं.

चीन भी उनके साथ व्यापार करना चाहता है, लेकिन सबसे पहले उन्हें शांति स्थापित करनी होगी, तभी ये चीजें हो सकती हैं.

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद कश्मीर सहित अन्य मुस्लिम भूमि को मुक्त करने के लिए वैश्विक मुस्लिम समुदाय (global Muslim community ) को साथ लाने के लिए अल-कायदा के बयान पर बोलते हुए, कमर आगा ने कहा कि अब अल-कायदा में फिर से उत्साह बढ़ गया है. इस बार उन्होंने भारत का चयन किया है खासकर कश्मीर का.

उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए समस्या पैदा करेगा. उनका अफगानिस्तान के साथ-साथ पाकिस्तान में भी आधार है और वे कश्मीर में हमारे लिए परेशानी पैदा करेंगे. विदेश नीति विशेषज्ञ ने आगे कहा कि भारत सरकार तैयार है और सुरक्षा तंत्र ऐसे तत्वों से बहुत लंबे समय से निपट रहा है.

वे जानते हैं कि स्थिति को कैसे संभालना है, लेकिन फिर भी यह सरकार के लिए एक बड़ी समस्या है, जो शायद भविष्य में समस्या पैदा कर सकती है.

आगा ने कहा 'हम एक वैश्वीकृत दुनिया (globalised world ) में रह रहे हैं, जहां कुछ संधियां हैं, जिनके तहत देश संयुक्त राष्ट्र चार्टर (United Nations charter) द्वारा शासित होते हैं, जो इस तरह के कृत्यों की अनुमति नहीं देते हैं.'

ये वे लोग हैं जिन्होंने सबसे ज्यादा मानवाधिकारों का उल्लंघन (human rights violations) किया है. जिस तरह से वे स्थानीय लोगों के साथ व्यवहार कर रहे हैं, वह सही नहीं है. यह वह नहीं है, जो उन्होंने वहां रहने वाले लोगों से वादा किया था, लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है.

ये वे चीजें हैं जिन पर उन्हें वैश्विक इस्लामिक (global Islamic) का समर्थन करने के बजाय काम करना चाहिए.

कतर में भारतीय राजदूत (Indian Ambassador to Qatar) दीपक मित्तक (Deepak Mittak) और तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई (Sher Mohammad Abbas Stanekzai) के बीच हुई बैठक पर बोलते हुए कमर आगा ने कहा कि अब्बास लगभग सभी बिंदुओं पर सहमत हो गए हैं.

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों (anti-Indian activities) और आतंकवाद के लिए नहीं किया जाएगा. इसके अलावा उन्होंने यह भी वादा किया कि वे अल-कायदा को संचालित नहीं होने देंगे.

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कमर आगा ने कहा कि ऐसा लगता है कि तालिबान का शीर्ष नेतृत्व कुछ मोडरेशन चाहता है. वे कुछ सऊदी या ईरानी की तरह की सरकार (Saudi or Iranian type of government) स्थापित करना चाहते हैं.

कुछ समूह अत्यधिक चरमपंथी हैं और वे अमेरिकियों के साथ उनके व्यवहार से खुश भी नहीं हैं.

अगर हम भारत की चिंता के बारे में बात करते हैं, तो भारत अन्य मध्य एशिया गणराज्यों जैसे बांग्लादेश, रूस, ईरान के साथ है.

भारत की तालिबान को एक मौका देने की नीति है, वे उम्मीद कर रहे होंगे कि वे अपने वादे के अनुसार शांति और स्थिरता स्थापित करेंगे, लेकिन वे इस तरह की भारत विरोधी गतिविधियों को जारी रखते हैं और मध्य एशिया गणराज्यों (Central Asia Republics) के साथ हस्तक्षेप करने की कोशिश करते हैं तो चीजें अलग होंगी.

Last Updated :Sep 6, 2021, 7:56 PM IST
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