शराब के राजस्व से सरकार चलाना, वैसा ही है जैसे मां अपने बच्चे का खून पीकर घर चला रही हो: Uma Bharti

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Published : Nov 1, 2022, 10:16 PM IST

Uma bharti liquor ban campaign

पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती दिनों-दिन शिवराज सरकार के लिए चुनौती बनती जा रही हैं. भारती ने शराबबंदी को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि शराब के राजस्व को अर्थतंत्र का मूल आधार नहीं बनाना चाहिए. शराब से वसूले गये राजस्व से सरकार चलाना ऐसा ही है, जैसे मां अपने बच्चे का खून पीकर घर चला रही हो.(Uma bharti liquor ban campaign in MP)

छतरपुर। शिवराज सरकार के लिए पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती एक बड़ी चुनौती बनती जा रही हैं. मौका मिलते ही भारती राज्य में शराब बंदी को लेकर मध्य प्रदेश सरकार को निशाने पर ले लेती है. मना जा रहा है कि इसी बहाने एक बार फिर उमा भारती मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में अपनी राजनैतिक जमीन तलाश रही हैं. हालांकि वह सीधे तौर पर इस बात से इंकार भी करती है की वह शिवराज सरकार के खिलाफ हैं वह सिर्फ शराब नीति एवं शराब बंदी को लेकर ही शिवराज सरकार पर बात करती हैं. सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती छतरपुर में एक पेशी के लिए न्यालय में आई हुई थीं जिसके बाद उन्होंने पत्रकार वार्ता की इस दौरान उन्होंने ने मुख्यमंत्री शिवराज सरकार की शराब नीति को जमकर आड़े हाथों लिया.

उमा भारती शराब बंदी

शराब के राजस्व को अर्थतंत्र का मूल आधार नहीं बनाना है:
उमा भारती ने कहा की जब वह मुख्यमंत्री थीं तो उन्होंने भी पूर्ण शराब बंदी नहीं की थी, लेकिन जो हो सकता था वह किया था. शराब माफियाओं को मध्य प्रदेश में पूरी तरह से खत्म कर दिया था. मेरे शासन काल में शराब से केवल 900 करोड़ रुपए ही राजस्व आता था लेकिन आज लगभग 14,000 करोड़ है. शराब से आने वाले राजस्व को अर्थतंत्र का हिस्सा नहीं मानना चाहिए. उन्होंने कहा कि "शराब से वसूले गये राजस्व से सरकार चलाना ऐसा ही है, जैसे मां अपने बच्चे का खून पीकर घर चला रही हो. नशा एक रोग है हमें यह कोशिश करनी है की शराब कम से कम बिके बल्कि इसका नहीं कि लोग ज्यादा से ज्यादा शराब पिएं."

वर्तमान शराब नीति में त्रुटि: उमा भारती ने कहा की वर्तमान शराब नीति में त्रुटि है जिसमें बदलाव की ज़रूरत है. उमा भारती ने कहा कि "शराब कहां बिकनी है और कहां नहीं इसके लिए एक गाइड लाइन होनी चाहिए. साथ ही शराब कहां पी जा सकती है इसके लिए भी सरकार को मापदंड तय करने होंगे. आज बुंदेलखंड के हर गली गांव में शराब बिक रही है जिसका सीधा असर मजदूर वर्ग, महिलाओं एवं आने वाली पीढ़ी पर पड़ता है".

धार्मिक, शिक्षा एवं सरकारी संस्थानों के एक किलोमीटर दूर बिके शराब: पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कहा कि "वर्तमान में शराब की दुकानें कहीं पर खोल दी गई हैं जिससे राजस्व तो बढ़ रहा है, लेकिन सामाजिक माहौल खराब हो रहा है. मेरा मानना है कि जहां धार्मिक स्थल हैं जैसे मंदिर,मस्जिद, गुरुद्वार या चर्च, शिक्षा केंद्र जैसे स्कूल कॉलेज और ऐसी जगहें जहां पर महिलाओं का जमावड़ा लगता हो, साथ ही मजदूर बस्तियों में शराब की दुकानें नहीं होनी चाहिए और अगर होती भी है तो इन स्थानों से कम से कम एक किलोमीटर दूर शराब की दुकान हो ताकि आसानी से शराब न मिल सके".

शराब पीने के लिए भी बने नीति: उमा भारती ने कहा की शराब पीने के लिए भी एक नीति बननी चाहिए. अहाते बंद हों और बीयर बार भर में पीने की अनुमति मिले उस पर भी लगातार निगरानी रखी जाए जो भी नियमों का उलंघन करे उस पर सख्त कार्यवाही हो.

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उमा भारती का बचपन बुंदेलखंड के छतरपुर एवं टीकमगढ़ में बीता इसी लिए उन्हें इन दोनो जिलों से लगाव रहता है. मुख्यमंत्री बनने से पहले जब उन्होंने रामरोटी यात्रा शुरू की थी तब बुंदेलखंड से जबरदस्त समर्थन मिला था. यही वजह है की एक बार फिर उमा भारती बुंदेलखंड के इन जिलों में सक्रिय नजर आ रही हैं.(Liquor revenue should not be basis of economy)(Uma bharti liquor ban campaign in MP)

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