सेना के भागने के बाद तालिबान को एयरफोर्स के साथ-साथ मिला 11 सैन्य बेस

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Published : Aug 16, 2021, 7:06 PM IST

Updated : Aug 16, 2021, 10:33 PM IST

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करीब 20 सालों के बाद अफगानिस्तान में फिर से तालिबान लौट आया है. उसने अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया. उम्मीद की जा रही थी कि तालिबान को काबुल पहुंचने में कम से कम तीन महीने का वक्त लगेगा. लेकिन उसकी गति ने पूरी दुनिया को चौंका दिया. आखिर तालिबान ने इतनी अधिक शक्ति कैसे प्राप्त कर ली. कहीं अनजाने में अमेरिका ने ही तो मदद नहीं की. पढ़िए वरिष्ठ संवाददाता संजीब बरुआ की रिपोर्ट.

नई दिल्ली : तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया है. काबुल स्थित राष्ट्रपति आवास पर भी तालिबान ने धावा बोल दिया. अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़ चुके हैं. यह सब इतनी तेजी से होगा, किसी ने इसका अंदाजा नहीं लगाया था. अब यहां सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि तालिबान ने इतनी तेजी से सफलता कैसे पाई. आज की तारीख में उसे बनी-बनाई एयरफोर्स भी मिल गई है. 11 सैन्य छावनियां हैं.

अगर कोई यह कहता है कि अफगानी सेना के भाग खड़े होने और अमेरिकी सेना जितनी तेजी से वहां से निकली, इन दोनों फैक्टर की वजह से तालिबान मजबूत हो गया, तो आपका आकलन गलत है.

अमेरिका ने सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से अफगान सरकार की मदद करने के लिए 30 जून 2021 तक लगभग 89 बिलियन डॉलर का निवेश किया था. अशरफ गनी के नेतृत्व वाली अफगान सरकार के अचानक पतन के बाद सुरक्षा के इन ढांचों पर तालिबान का कब्जा हो गया है.

अमेरिकी सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से जून 2021 तक के तीन महीनों में अमेरिका ने अफगान नेशनल डिफेंस एंड सिक्योरिटी फोर्स (ANDSF) को छह A-29 लाइट अटैक एयरक्राफ्ट, 174 हाई मोबिलिटी मल्टीपर्पज व्हील्ड व्हीकल (Humvees) को सौंपा था.

लगभग 10000 2.75 इंच उच्च-विस्फोटक रॉकेट, 61000 40-मिमी उच्च विस्फोटक राउंड, .50 कैलिबर बारूद के साथ 900000 राउंड और 7.62 मिमी की 2015600 राउंड गोलियों का जखीरा सौंपा था. मौजूदा परिस्थितियों के कारण युद्ध से तबाह देश में स्टॉक वापस लेने की कवायद अभी शुरू नहीं हुई है. इसका सीधा अर्थ है कि तालिबान के हाथों यह जखीरा लग चुका है.

मोटे तौर पर अफगानिस्तान से अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो की वापसी ने तालिबान को कुछ ऐसा दिया है जिसके बारे में विद्रोहियों के रैगटैग संगठन ने शायद कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा. उसे एक उन्नत वायु सेना, एक पेशेवर रूप से प्रशिक्षित और अच्छी तरह से सुसज्जित सेना, जिनमें से अधिकांश विद्रोहियों को उनके लड़ाकू उपकरणों और विशाल और अत्याधुनिक सैन्य ठिकानों के साथ दिया है.

वायु सेना की संपत्ति

अफगान वायु सेना (एएएफ) तीन प्रकार के हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल करती है. जिसमें 45 यूएच -60 ब्लैकहॉक्स, 50 एमडी -530 और 56 एमआई -17 हेलीकॉप्टर शामिल हैं. इसके अलावा ए -29 सुपर टूकानो लड़ाकू विमान (संख्या में 23), सी -130 हरक्यूलिस ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, C-208 यूटिलिटी एयरक्राफ्ट और AC-208 फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट शामिल हैं.

कुल मिलाकर AAF के पास 211 हवाई प्लेटफार्मों की एक सूची है जिनमें से 30 जून 2021 तक 167 संचालित थे. हालांकि एक समस्या जो तालिबान को इन प्लेटफार्मों के संचालन में परेशान कर सकती है. वह है ऑपरेटरों और एविएटर्स, मैकेनिक्स और पुर्जों का पता लगाना.

फौजी बेस

हाल ही में ANDSF को सौंपे गए 11 ठिकानों और सैन्य परिसरों में न्यू एंटोनिक, कंधार एयरफील्ड, कैंप मोरहेड, न्यू काबुल कॉम्प्लेक्स, ब्लॉकहाउस, कैंप स्टीवेन्सन, कैंप ड्वायर, कैंप लिंकन (कैंप मार्मल), कैंप एरिना, बगराम एयरफील्ड और रेसोल्यूट सपोर्ट शामिल है. मुख्यालय (RSHQ) जिसे 6 जून 2021 को अफगान सरकार को सौंप दिया गया था. नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि ANDSF कर्मियों की कुल संख्या 300699 थी.

रक्षा मंत्रालय में 182071 और आंतरिक मंत्रालय में तैनात 118628 सैनिक जिसमें 6312 महिला कर्मी शामिल हैं. वे सभी अफगानिस्तान में या भारत सहित विदेशों में आधुनिक सैन्य प्रशासन, रसद और रणनीति में प्रशिक्षित हैं.

अमेरिका के नेतृत्व वाली नाटो सेनाओं के साथ दूसरे सहयोगी की भूमिका निभाने के लिए ANDSF की ओर से प्रेरणा की कमी थी. बिना एक भी गोली चलाए तालिबान के सामने व्यापक आत्मसमर्पण में यह साफ-साफ परिलक्षित होता है.

अप्रैल से जून तक केवल तीन महीनों में कम से कम 26 अंदरूनी हमले हुए जिसमें कम से कम 81 ANDSF कर्मियों की मौत हो गई.

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लेकिन जो कुछ भी संभव और आसानी से चलने योग्य था उसे अमेरिका ने वापस ले लिया. 5 जुलाई 2021 तक यूएस सेंट्रल कमांड ने ANDSF को सौंपे गए अतिरिक्त उपकरणों के साथ 17074 से अधिक उपकरण लेकर अफगानिस्तान से 984 C-17 परिवहन विमान लोड किए थे.

Last Updated :Aug 16, 2021, 10:33 PM IST
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