सड़क से अछूता गांव, गर्भवती को झोली में डालकर आठ किमी पैदल चले परिजन

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Published : Jul 27, 2021, 7:59 AM IST

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के खामगांव में आज भी सड़क नहीं पहुंची है. यहां एक गर्भवती महिला की तबीयत खराब होने पर उसे झोली में डालकर आठ किमी तक पैदल चलकर एंबुलेंस तक पहुंचाया गया. जहां से महिला को उपचार के लिए भेजा गया.

बड़वानी : मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिले बड़वानी में आज भी सड़कें मुनासिब नहीं हैं, जिसके चलते बीमार लोगों को परिजन व ग्रामीण झोली में डालकर अस्पताल पहुंचाते हैं. इन समस्याओं को लेकर ग्रामीण मुख्यमंत्री से लेकर स्थानीय विधायक और सांसद तक गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोरे आश्वासन के सिवाय कुछ हासिल नहीं हुआ.

ताजा मामला पानसेमल विधानसभा का है. जहां तीन दिन में दूसरी बार बरसात के बीच कच्ची पगडंडियों से बरसाती नाले पार कर पैदल चल ग्रामीण गर्भवती महिला को झोली में डालकर आठ किलोमीटर लेकर चले, फिर जाकर एंबुलेंस नसीब हुई.

गर्भवती को झोली में डालकर आठ किमी पैदल चले परिजन

दरअसल, पानसेमल क्षेत्र की पन्नाली पंचायत के खामगांव में आज तक कोई पुलिया नहीं है और न कोई सड़क. ऐसी स्थिति में मरीजों को और गर्भवती महिलाओं को कपड़े की डोली में डालकर गांव से लगभग आठ किलोमीटर दूर कच्ची पगडंडी से होकर सड़क तक लाना होता है. इस दौरान लोगों को कई तरह की दिक्कतें आती हैं. वहीं समय पर इलाज नहीं मिलने पर कई लोगों की जान भी जा चुकी है.

इसी तरह एक गर्भवती महिला को कपड़े की डोली में डालकर गांव से आठ किलोमीटर दूर लाया गया, जहां से एंबुलेंस के माध्यम से महिला को पानसेमल अस्पताल पहुंचाया गया. ग्रामीणों का कहना है कि कई बार बारिश के दिनों में नालों में पानी ज्यादा होने से घंटों पानी उतरने का इंतजार भी करना पड़ता है. साथ ही रात के अंधेरे में और भी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है.

कई बार गुहार लगा चुके हैं ग्रामीण
यह घटना जिले के जनप्रतिनिधियों पर करारा प्रहार है. गांव में सड़क तक मौजूद नहीं है. इस कारण गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती. आजादी के बाद से आज तक ग्रामीण मूलभूत सुविधा के लिए तरस रहे हैं.

गांव के सवाई सिंह रावत बताते हैं कि वर्तमान विधायक से लेकर भाजपा के पूर्व विधायक दीवान सिंह पटेल, पूर्व मंत्री अंतरसिंह आर्य, पूर्व पानसेमल विधायक और पूर्व गृह मंत्री बाला बच्चन और पिछले 15 वर्षों से प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान तक वह गुहार लगा चुके हैं. इसके बावजूद समस्या का समाधान नहीं हुआ है.

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आदिवासी बाहुल्य बड़वानी की चारों विधानसभा सीटों पर जनजाति समाज से ही जननायक चुनाव जीत कर राज्य और केंद्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं. जननायक चुनाव जीतने तक ही क्षेत्र की समस्या और मूलभूत सुविधाओं को दूर करने के झूठे सपने दिखाते हैं और बाद में भूल जाते हैं.

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