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Statue of Oneness: आदिगुरु शंकराचार्य का अद्वैत तीर्थ, 108 फीट ऊंची प्रतिमा के समक्ष 108 घंटे मंत्रोचार

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 16, 2023, 11:12 AM IST

Updated : Sep 16, 2023, 2:00 PM IST

आदिगुरु शंकराचार्य की तपोभूमि औंकारेश्वर में आदिगुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा के अनावरण को एतिहासिक बनाया जा रहा है. यहा 32 साधूओं 6 समूह 12 घंटे प्रस्थानत्रयी शंकर भाष्य का पारायण कर रहे हैं. 9 दिनों में 108 घंटे यहां 10 उपनिषद ब्रह्म सूत्र और भगवदगीता का पाठ होगा, तीन दिन वैदिक रीति से पूजन 21 कुंडीय हवन किया जाएगा.

Statue of Oneness
आदिगुरु शंकराचार्य का अद्वैत तीर्थ

आदिगुरु शंकराचार्य का अद्वैत तीर्थ

इंदौर। मध्य प्रदेश में आदि शंकराचार्य की तपोभूमि खंडवा जिले के ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण समारोह शुक्रवार से प्रारंभ हो गया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को यहां पहुंचकर मूर्ति के अनावरण के लिए आयोजित यज्ञ में आहुति छोड़कर यज्ञानुष्ठान का शुभारंभ किया, देश में अपनी तरह के इस अनूठे तीर्थ के अनावरण पर श्रृंगेरी मठ और महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान के मार्गदर्शन व संयोजन में वैदिक पद्धति से चतुर्वेद पारायण यज्ञ किया जा रहा है, जिसमें मंत्रोतचार एवं पूजा पाठ के लिए देश भर के करीब ढाई सौ विद्वान एकत्रित हुए हैं.

108 फीट ऊंची प्रतिमा के समक्ष 108 घंटे मंत्रोंतचार: दरअसल राज्य शासन की ओर से आदिगुरु शंकराचार्य की तपोभूमि ओंकारेश्वर में आदिगुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा के अनावरण को ऐतिहासिक बनाया जा रहा है. यहां 32 साधु 6 समूह 12 घंटे प्रस्थानत्रयी शंकर भाष्य का पारायण कर रहे हैं. नौ दिनों में 108 घंटे यहां 10 उपनिषद ब्रह्म सूत्र और भगवदगीता का पाठ भक्ति मय माहौल में संपन्न कराया जा रहा है. गौरतलब है सनातन धर्म के पुनरुद्धारक, भारत देश की सांस्कृतिक एकता के देवदूत व अद्वैत वेदांत दर्शन के प्रखर प्रवक्ता 'आचार्य शंकर' के जीवन और दर्शन के लोकव्यापीकरण के उद्देश्य के साथ मध्य प्रदेश शासन द्वारा ओंकारेश्वर को अद्वैत वेदांत के वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है.

ओंकारेश्वर आचार्य शंकर की ज्ञान और गुरु भूमि: इस भव्य और दिव्य 'एकात्म धाम' के अंतर्गत आचार्य शंकर की 108 फीट ऊंची 'एकात्मता की प्रतिमा', 'अद्वैत लोक' नाम का एक संग्रहालय व आचार्य शंकर अंतर्राष्ट्रीय अद्वैत वेदान्त संस्थान की स्थापना की जा रही है. दरअसल शास्त्रों के मुताबिक ओंकारेश्वर आचार्य शंकर की ज्ञान भूमि और गुरु भूमि है, यहीं उनको अपने गुरु गोविंद भगवत्पाद मिले और यहीं 4 वर्ष रहकर उन्होंने विद्या अध्ययन किया. 12 वर्ष की आयु में ओंकारेश्वर से ही अखंड भारत में वेदांत के लोकव्यापीकरण के लिए प्रस्थान किया, इसलिए ओंकारेश्वर के मान्धाता पर्वत पर 12 वर्ष के आचार्य शंकर की प्रतिमा की स्थापना की जा रही है. संपूर्ण निर्माण पारंपरिक भारतीय मंदिर स्थापत्य शैली में किया जा रहा है, यह प्रकल्प पर्यावरण अनुकूल होगा. अद्वैत लोक के साथ ही 36 हेक्टेयर में अद्वैत वन नाम का एक सघन वन विकसित किया जा रहा है.

आदि शंकराचार्य की मूर्ति की खासियत: मध्य प्रदेश में सर्वाधिक 108 फीट की बहु धातु प्रतिमा का निर्माण एलएनटी कंपनी द्वारा कराया गया है, मूर्ति हेतु बाल शंकर का चित्र मुंबई के विख्यात चित्रकार वासुदेव कामत द्वारा वर्ष 2018 में बनाया गया था. मूर्ति निर्माण के लिए वर्ष 2017-18 में संपूर्ण मध्यप्रदेश में एकात्म यात्रा निकाली गई थी, जिसके माध्यम से 27 हजार ग्राम पंचायतों से मूर्ति निर्माण के लिए धातु संग्रहण व जनजागरण का अभियान चलाया गया था. इस चित्र को मूर्तिकार भगवान रामपूरे ने एकात्मता की मूर्ति (Statue of Oneness) के रूप में साकार किया है.

इस मूर्ति में 12 साल के आचार्य शंकर को साकार किया गया है, जो लगभग 11.5 हैक्‍टेयर भूमि पर स्‍थापति की जा रही है. यह प्रतिमा 100 टन की है, जिसे 88 प्रतिशत कॉपर, 4 प्रतिशत जिंक व 8 प्रतिशत टिन के मिश्रण से बनाया गया है. मूर्ति कुल 290 पैनल को मिलाकर जीटीक्यू चाइना द्वारा निर्मित की गई है, इसके अलावा मूर्ति पत्थर निर्मित 16 फीट के कमल पर स्थापित है.

ओंकारेश्वर में इसलिए आदि शंकराचार्य की मूर्ति हुई स्थापित: आचार्य शंकर का जन्‍म केरल के कालड़ी ग्राम में हुआ, उनकी माता का नाम आर्याम्‍बा और पिता का नाम शिवगुरु था. 8 वर्ष की आयु में बाल शंकर अपनी मां से आज्ञा प्राप्‍त कर गुरु की खोज में निकल पड़े, बाल शंकर गुरु की खोज में नर्मदा किनारे चलते-चलते ओंकारेश्वर आए और ओंकारेश्वर में उन्‍हें गोविन्‍द भगवदपाद मिले. ओंकारेश्वर में गोविन्‍द भगवदपाद से बाल शंकर को गुरु दीक्षा मिली, बाल शंकर ने गुरु गोविन्‍द भगवदपाद के सानिध्‍य में रहकर लगभग 03 वर्ष तक शिक्षा ग्रहण की. इसके बाद आचार्य शंकर द्वारा नर्मदाष्टकम की रचना ओंकारेश्‍वर में ही की गई. गुरु आदेश पर 11 वर्ष की आयु में अद्वैत वेदान्‍त दर्शन के प्रचार-प्रसार के लिये ओंकारेश्‍वर से प्रस्‍थान किया. ओंकारेश्‍वर में स्‍थापित होने वाले एकात्‍म धाम को चिरस्‍थाई बनाने के लिये अद्वैत लोक व आचार्य शंकर अंतरराष्‍ट्रीय अद्वैत वेदान्‍त संस्‍थान की स्‍थापना की जा रही है.

कुछ ऐसा रहेगा संग्रहालय एवं परिसर: एकात्मता की मूर्ति के नीचे भवन में एक विशाल स्तम्भ है, जिसका नाम शंकर स्तम्भ है. स्तम्भ 45 फीट ऊंचा और इसका डाया लगभग 100 फीट है. स्तंभ पर आदि शंकराचार्य के जीवन की 32 घटनाओं को प्रदर्शित किया गया है, यहां विकसित किया जा रहे केन्द्र की क्षमता लगभग 300 होगी. इस केंद्र में मेडिटेशन विविध भाषाओं में कराया जायेगा, परिसर में ही प्रतिदिन लेजर लाइट वाटर एण्ड साउंड शो (Laser Light Water and Sound Show) श्रीयंत्र प्रांगण में 'लेजर, लाइट, वॉटर एण्ड साउण्ड शो' होगा. इस शो में उपनिषदों की कथाओं को रोचक ढंग से दर्शकों के लिए प्रतिदिन शाम में प्रस्तुत किया जायेगा, यहीं पर हाइस्क्रीन थियेटर (High Screen Theatre) बनाया जा रहा है. इसकी कुल क्षमता 500 होगी, इस थिएटर में आचार्य शंकर के जीवन और दर्शन को हाइस्क्रीन के माध्यम से दिखाया जायेगा.

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सृष्टि गैलरी एक वेदान्त व्याख्या का केन्द्र होगा, इसमें थ्रीडी होलोग्राम एवं अन्य आधुनिक तकनीक के माध्यम से ब्रह्म, सृष्टि, माया, जीव एवं जगत आदि सिद्धातों को कथानक के रूप में रोचक तरीके से प्रस्तुत किया जाएगा. यहीं पर कुल सात डायोरामा के माध्यम से आचार्य शंकर के सम्पूर्ण जीवन का सजीव प्रस्तुतीकरण किया जायेगा. परिसर में ही नर्मदा विहार संग्रहालय स्थित होगा, इसमें दर्शक स्वचलित नौकाओं के माध्यम से विहार कर सकेंगे. नौकाविहार का प्रारंभ (बोर्डिंग एरिया)- नर्मदा के उद्गमस्थल अमरकंटक से होकर अन्त भरुच की खाड़ी में होगा.

इसके अलावा यहां कला वीथिका भी विकसित की गई है, जिसमें आचार्य के जीवन, दर्शन व आचार्य की रचनाओं को चित्रों के माध्यम से दिखाया जायेगा. देश के विख्यात चित्रकारों से केरल म्यूरल, ओडिशा पट्टचित्र, कांगड़ा, मधुवनी व समकालीन विभिन्न शैलियों में चित्र बनवाये जा रहे हैं, यहां तैयार की जा रही अन्नपूर्णा भोजन शाला में लगभग 1500 लोगों के भोजन की व्यवस्था पारम्परिक एवं आधुनिक शैली दोनों में होगी.

अन्नपूर्णा में परिक्रमावासियों एवं अन्य भक्त जनों के लिये न्यूनतम मूल्य पर प्रसादी(खिचड़ी) एवं ले जाने के लिये प्रसाद उपलब्ध कराया जायेगा, इसके अलावा यहां विकसित किए जाने वाले कलाग्राम में मध्यप्रदेश एवं भारतवर्ष की समस्त लोक एवं क्षेत्रीय शिल्पों के प्रदर्शन तथा विक्रय हेतु यह केन्द्र विकसित किया जायेगा. जिसकी दुकानों की वास्तुशैली, पारम्परिक मन्दिर वास्तुशिल्प आधारित होगी, परिसर में तैयार होने वाले पंचायतन मन्दिर पूर्ण रूप से पत्थर से ही बनाया जाएगा. यहां पर नित्य पूजा अभिषेक होंगे व भक्त भी पूजा अभिषेक कर पायेंगे.

आचार्य शंकर अन्तरराष्ट्रीय अद्वैत वेदान्त संस्थान: अद्वैत वेदान्त दर्शन में शिक्षा, शोध एवं विस्तार के लिये यह अन्तरराष्ट्रीय स्तर का नेतृत्वकारी संस्थान होगा, इस संस्थान में आवश्यकतानुसार 3 माह, 6 माह आदि छोटी अवधि के सर्टिफिकेट कोर्स संचालित किये जाएंगे. इन पाठ्यक्रमों को न सिर्फ वेदांत पढ़ने वाले छात्र अपितु समाज के सभी वर्गों के लोग जैसे- इंजीनियर, खिलाड़ीवर्ग, अधिकारीवर्ग, डॉक्टर, पुलिस इत्यादि भी अद्वैत वेदान्त का अध्ययन कर सकेंगे.

इस संस्थान के 10 मुख्य घटक होंगे:

  1. दर्शन केन्द्र: इस केन्द्र में अद्वैत वेदान्त की परम्परा, वेदों से लेकर अब तक की उपलब्धियां तथा इस परम्परा के सभी आचार्यों की कृतियों पर अध्ययन-अध्यापन और शोध होगा.
  2. विज्ञान केन्द्र: इस केन्द्र में आधुनिक विज्ञान के माध्यम से अद्वैत वेदान्त की अवधारणा, वैज्ञानिक अवलोकन और उपनिषदिक ज्ञान के मध्य समानताओं पर अध्ययन-अध्यापन और शोध होगा.
  3. सामाजिक विज्ञान केन्द्र: इस केन्द्र में वर्तमान और भावी समाज के लिये अद्वैत वेदान्त की प्रासङ्गिकता, महत्त्व, और उपयोगिता पर अध्ययन-अध्यापन और शोध होगा.
  4. संगीत एवं कला केन्द्र: इसमें साहित्य, संगीत और कला की विभिन्न अभिव्यक्तियों में अद्वैत की स्थिति, तथा वेदान्तिक जागरण पर अध्ययन-अध्यापन और शोध होगा.
  5. महर्षि वेदव्यास ग्रंथालय: अद्वैत वेदान्त पर यह एक अन्तरराष्ट्रीय स्तर का संदर्भ ग्रन्थालय होगा. अद्वैत वेदान्त संबंधी सभी सामग्री प्रिंट और डिजिटल रूप में उपलब्ध होगी, पाण्डुलिपिओं को संरक्षित करते हुए उन्हें डिजिटल रूप में प्रस्तुत किया जायेगा.
  6. आचार्य गौडपाद विस्तार केन्द्र: इस केन्द्र का कार्य संस्थान के सभी केन्द्रों के कार्यों तथा अद्वैत वेदान्त को विभिन्न संचार माध्यमों से जनसाधारण के बीच उपलब्ध कराना होगा, साथ ही समाज के विभिन्न वर्गों के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर अद्वैत वेदान्त का लोकव्यापीकरण किया जायेगा.
  7. आचार्य भगवत्पाद गुरुकुल: अद्वैत वेदान्त के अध्ययन हेतु यह आवासीय गुरुकुल होगा, गुरुकुल में कुछ कक्षाओं की स्थाई व्यवस्था के साथ प्राचीन एवं पारम्परिक शैली के गुरुकुल शिक्षा पद्धति के महत्वपूर्ण घटकों को भी इस में सम्मिलित किया जायेगा.
  8. ओपन नियर थिएटर: परिसर में ही 2000 क्षमता का ओपन एयर थियेटर होगा, जिसपर आचार्य वेदान्त पर आधारित विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जायेगा.
  9. मेडिटेशन सेंटर: संस्थान में लगभग 200 क्षमता का एक मेडिटेशन सेन्टर/ साधना कुटीर होगा एवं 25 मेडिटेशन कॉटेज बनाये जायेंगे.
  10. शारदापीठ/सर्वज्ञपीठ: कश्मीर(POK) के शारदा पीठ की तर्ज़ पर चारों दिशाओं में प्रवेश द्वार समेत अध्ययन कक्ष युक्त परकोटा के बीच शारदा माँ का मंदिर स्थापित होगा, स्थापत्य शैली कश्मीरी मंदिर पर आधारित होगी.
Last Updated :Sep 16, 2023, 2:00 PM IST
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