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इंश्योरेंस पॉलिसी जरूरी हैं मगर महत्वपूर्ण है यह जानना कि क्लेम कैसे लें ?

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Published : Dec 21, 2021, 4:53 PM IST

जीवन में न जाने कब क्या अप्रत्याशित हो जाए, इसलिए लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी लेना अनिवार्य है. लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी विपरीत परिस्थितियों में काम आती है, क्योंकि कोई भी यह नहीं देखता कि आपके घर में क्या है. लाइफ इंश्योरेंस से मिलने वाली रकम परिवार को सभी मुसीबतों से लड़ने का साहस भी देता है. लेकिन लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि पॉलिसी के क्लेम के बारे में जानना जरूरी है. बीमा कंपनियां विवरण गलत होने के कारण क्लेम का भुगतान नहीं करती है.

how to make life insurance claim
how to make life insurance claim

हैदराबाद : एक लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी दुर्घटना, गंभीर स्वास्थ्य स्थिति या जानलेवा बीमारी और बुढ़ापे से मौत के जोखिम से सुरक्षा प्रदान करती है. जब आप समय से इंश्योरेंस के प्रीमियम को जमा करते हैं, तब तक यह एक तय समय या एक परिभाषित अवधि के लिए कवरेज या सुरक्षा प्रदान करता है. साथ ही इससे इनकम टैक्स में भी छूट मिलती है.

जब बीमित व्यक्ति की मौत हो जाती है, तो जीवन बीमा पॉलिसी की शर्तों के आधार पर उसके नॉमिनी को दावे का भुगतान किया जाता है. इसलिए लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह आपकी मौत के बाद आपके अपनों की आर्थिक रूप से सुरक्षा करे. हालांकि, परिजनों की आर्थिक सुरक्षा के लिए सिर्फ इंश्योरेंस पॉलिसी लेना ही पर्याप्त नहीं है. जरूरी यह है हम सुनिश्चित करें कि कि क्लेम करते के बाद घरवालों को बिना किसी झंझट के पॉलिसी की रकम मिल जाए.

इंश्योरेंस पॉलिसी बीमा कंपनी और पॉलिसीधारक के बीच एक विश्वसनीय समझौता है, इसलिए पॉलिसी खरीदने वाले को सभी मामलों में पारदर्शी होना चाहिए. इससे कंपनी की तरफ से दीर्घकालिक सपोर्ट भी मिलता है. कंपनी को गलत जानकारी देने से न केवल पॉलिसी शून्य हो जाती है, बल्कि क्लेम के भुगतान नहीं होने का खतरा बना रहता है.

प्रीमियम का भुगतान समय से करें : पॉलिसी के आधार पर मौत, गंभीर बीमारी और दुर्घटनाओं के मामले में कई में पॉलिसी का दावा करना संभव है. पहले हमें समझना यह है कि हम किस तरह की पॉलिसी लेते हैं.? मुआवजे का भुगतान कब किया जाएगा? सबसे पहले हमें हमें पॉलिसी की बारीकियों को समझना चाहिए. बीमा राशि के क्लेम के लिए आपको ठीक से प्रोसेस को आगे बढ़ाना होगा. अपने बैंक अकाउंट का विवरण समय-समय पर इंश्योरेंस कंपनी को देना चाहिए. सभी प्रीमियमों का भुगतान समय पर किया जाना चाहिए. इसके अलावा कंपनी को दी गई जानकारी पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए. इसके बाद ही पॉलिसी क्लेम का भुगतान किया जाएगा.

बीमा पॉलिसी लेते समय पारदर्शिता बनाए रखें : पॉलिसी लेने के पीछे मुख्य उद्देश्य यह है कि जब पैसे की सख्त जरूरत होती है, उस समय लाभार्थी को पैसे मिल जाए. इसलिए पॉलिसी लेते समय सुनिश्चित करें कि इंश्योरेंस कंपनी को दी गई हर जानकारी सटीक और स्पष्ट हो. इसके बाद पॉलिसी समाप्त होने या पॉलिसीधारक की मौत के मामले में आसानी से मुआवजा दिया जा सकता है. बीमा कंपनी किसी व्यक्ति की आय, उसकी उम्र और अन्य फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए पॉलिसी देती है. जब पॉलिसीधारक गलत विवरण देता है और क्लेम की जांच में विवरण गलत मिलता है तो बीमा कंपनी मुआवजे का भुगतान करने से इनकार कर सकती है.

स्वास्थ्य इतिहास (health history) : लाइफ इंश्योरेंस कंपनियां बीमा पॉलिसी जारी करते समय पॉलिसीधारक के स्वास्थ्य की बारीकी से निगरानी करती हैं. इसलिए, पॉलिसीधारक को पॉलिसी लेते समय अपनी बीमारियों को छिपाना नहीं चाहिए. कई बीमारियों के कारण बीमा कंपनियां पॉलिसी जारी नहीं करती हैं. अगर बीमारी के बारे में छिपाकर पॉलिसी लेते हैं तो इंश्योरेंस कंपनी उसे रद्द करने का अधिकार रखती हैं. खासकर, जो लोग स्मोकिंग के आदी हैं, उन्हें इसकी जानकारी जरूर देनी चाहिए. इससे थोड़ा अधिक प्रीमियम देना पड़ सकता है लेकिन, भविष्य में क्लेम के दौरान कोई कठिनाई नहीं होगी.

जहां तक कोविड का सवाल है, बीमा कंपनियां पॉलिसी खरीदने के 90 दिनों के भीतर इसे कवर नहीं करती है. कुछ इंश्योरेंस कंपनियां उन लोगों के लिए बीमा प्रीमियम पर थोड़ी छूट प्रदान करती हैं, जो टीके की दो डोज ले चुके हैं.

उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि किसी व्यक्ति का वार्षिक वेतन 20 लाख रुपये है. एक बीमा कंपनी वार्षिक वेतन का10 गुना तक बीमा करती है, जिसका अर्थ है कि वह 2 करोड़ रुपये के बीमा कवर का हकदार है. इस पॉलिसी को लेने के बाद अगर कंपनी को पता चलता है कि वयक्ति की आमदनी सिर्फ 10 लाख रुपये है तो इंश्योरेंस कंपनी इस पॉलिसी को कवर करने से इनकार कर सकती है.

केवाईसी अपडेट करते रहें ( update your KYC) : आगर आपने पहले से पॉलिसी ली है तो आपको अपने बारे में जानकारी अपडेट करना चाहिए. समय-समय पर केवाईसी विवरण अपडेट करें. यदि पॉलिसी लेने के बाद फोन नंबर, ई-मेल और घर का पता बदल जाता है, तो इसकी जानकारी इंश्योरेंस कंपनी को दें. इन विवरणों को जाने बिना बीमा कंपनियां क्लेम को खारिज कर सकती हैं. इसलिए जरूरी है कि ऐसी स्थिति कभी उत्पन्न ही नहीं हो. अगर आपने पॉलिसी ऑनलाइन ली है तो इसकी हार्ड कॉपी अपने पास रखें. भुगतान किए गए प्रीमियम की रसीदें कॉपी के साथ संभालकर रखें.

नॉमिनी डिटेल (Nominee details) : इंश्योरेंस पॉलिसी में नॉमिनी का विवरण मांगा जाता है. नॉमिनी वह शख्स है, जो अप्रत्याशित परिस्थितियों में पॉलिसी का दावा कौन करेगा ? कई लोग नॉमिनी के विवरण बताने में लापरवाही करते हैं. आप सुनिश्चित करें कि आपकी पॉलिसी में नॉमिनी व्यक्ति का नाम सही है. पॉलिसी में दर्ज रेकॉर्ड के हिसाब से आधार और पैन कार्ड पर नॉमिनी का नाम, जन्म तिथि के विवरण से मैच करना जरूरी है. अगर आप बैंक अकाउंट में बदलाव करते हैं, तो उसके बारे में भी बीमा कंपनी को सूचित करें. क्लेम के समय बीमा कंपनियां नॉमिनी से कुछ सवाल पूछती हैं और पहचान सत्यापन का विवरण मांगती है. नॉमिनी को धोखाधड़ी से बचाने के लिए सवधानियां बरतनी जरूरी है. बीमा का क्लेम करते समय प्रासंगिक दस्तावेज, मृत्यु प्रमाण पत्र, केवाईसी दस्तावेज और बैंक विवरण बीमा कंपनी को प्रस्तुत किए जाने चाहिए.

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