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इशरत एनकाउंटर की जांच करने वाले IPS अधिकारी एससी वर्मा बर्खास्त

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Published : Sep 13, 2022, 7:12 PM IST

Updated : Sep 13, 2022, 9:47 PM IST

गुजरात में इशरत जहां की कथित फर्जी मुठभेड़ में मौत के मामले की जांच में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की सहायता करने वाले 1986 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के (आईपीएस) अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा को 30 अगस्त को सेवा से हटा दिया गया था.

SC verma, IPS
आईपीएस अधिकारी एससी वर्मा

नई दिल्ली: गुजरात में इशरत जहां की कथित फर्जी मुठभेड़ में मौत के मामले की जांच में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की सहायता करने वाले वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा को उनकी सेवानिवृत्ति की निर्धारित तारीख से एक महीने पहले 30 अगस्त को बर्खास्त कर दिया गया. अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. अधिकारियों के अनुसार हालांकि, दिल्ली उच्च न्यायालय ने वर्मा की एक अर्जी पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय को निर्देश दिया कि बर्खास्तगी के आदेश को 19 सितंबर तक लागू नहीं किया जाए ताकि 1986 बैच के गुजरात कैडर के भारतीय पुलिस सेवा के (आईपीएस) अधिकारी राहत पाने के लिए किसी उच्च अदालत में जा सकें.

अगर वर्मा की बर्खास्तगी का आदेश लागू होता है, तो उन्हें पेंशन और अन्य फायदे नहीं मिलेंगे. अधिकारियों ने कहा कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की आखिरी पदस्थापना तमिलनाडु में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिरीक्षक के तौर पर थी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक विभागीय जांच के मद्देनजर वर्मा के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति दी थी जिसके बाद वह उच्चतम न्यायालय में गये. विभागीय जांच में उनके खिलाफ नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पॉवर कॉर्पोरेशन, शिलांग के मुख्य सतर्कता अधिकारी रहते हुए 'सार्वजनिक मीडिया से' बात करने समेत अन्य आरोप साबित हुए.

उच्च न्यायालय ने 30 अगस्त को अपना अंतिम आदेश जारी करते हुए कहा था कि वर्मा के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई यदि पक्षपात वाली है तो अदालत की अनुमति के बिना इसे लागू नहीं किया जाएगा. इस आदेश के बाद केंद्र सरकार ने एक बार फिर उच्च न्यायालय का रुख किया और वर्मा को सेवा से बर्खास्त करने के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की अनुमति मांगी. उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने कहा, 'निर्देश दिया जाता है कि 19 सितंबर, 2022 तक आदेश को लागू नहीं किया जाएगा ताकि याचिकाकर्ता बर्खास्तगी के आदेश के खिलाफ कानून सम्मत उपायों का उपयोग कर सकें.'

इसके बाद वर्मा ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया जहां अभी सुनवाई होनी है. वर्मा ने अप्रैल 2010 से अक्टूबर 2010 के बीच इशरत जहां मामले में जांच की थी और उनकी जांच रिपोर्ट के आधार पर एक विशेष जांच दल ने कहा था कि मुठभेड़ 'फर्जी' थी. बाद में गुजरात उच्च न्यायालय ने सीबीआई को मामले की जांच करने और वर्मा की सेवाएं लेने का निर्देश दिया था.

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Last Updated : Sep 13, 2022, 9:47 PM IST
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