ग्वालियर। मध्यप्रदेश में बढ़ती सर्दी के कारण अब कड़कनाथ मुर्गा की डिमांड भी बढ़ने लगी हैं. इस ठंड के बीच ग्वालियर से मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली से कड़कनाथ मुर्गे और उनके चूजों की भारी डिमांड है. अब हालात यह हो गए हैं कि, भारी डिमांड के चलते अलग-अलग राज्यों के लिए 10 हजार कड़कनाथ मुर्गा की वेटिंग है. यही कारण है कि ग्वालियर का कृषि विज्ञान केंद्र इन मुर्गों की पूर्ति नहीं कर पा रहा है. बता दें यूं तो कड़कनाथ मुर्गा मध्यप्रदेश के झाबुआ और अलीराजपुर में पैदा होता है, लेकिन ग्वालियर का कृषि विश्वविद्यालय हेचरिंग के जरिए अंडों से कड़कनाथ के चूजे तैयार कर पूरे अलग-अलग राज्यों में सप्लाई करता है.
ठंड में बढ़ती है डिमांड: मध्य प्रदेश में इस समय काफी सर्दी है. इसका सबसे बड़ा कारण यह माना जाता है कि, कड़कनाथ मुर्गे का चिकन सर्दियों में काफी गर्म होता है. सर्दियों में इसका चिकन खाना शरीर के लिए बेहद फायदेमंद है. यही कारण है कि, सर्दियों में कड़कनाथ मुर्गा की भारी डिमांड आ रही है. यह डिमांड मध्यप्रदेश से ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश राजस्थान और दिल्ली से है. राजमाता विजयराजे कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र में अभी एक महीने में लगभग दो हजार चूजे तैयार हो रहे हैं. जबकि यहां अभी करीब 10 हजार चूजों की डिमांड दिल्ली, राजस्थान, यूपी के साथ-साथ मध्य प्रदेश के अन्य जिलों से आ रही है.
कृषि विज्ञान केंद्र सप्लाई करता है कड़कनाथ मुर्गे: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित राजमाता विजयराजे विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाला कृषि विज्ञान केंद्र मध्यप्रदेश का तीसरा कड़क नाथ का हैचरी सेंटर है. यहां पर कडकनाथ के अंडे से हेचरी के जरिए चूजे तैयार किए जाते हैं. प्रदेश के साथ-साथ अलग-अलग राज्यों में सप्लाई किए जाते हैं. यही कारण है कि जब ठंड की शुरुआत होती है तो इनकी डिमांड काफी बढ़ जाती है. यहां से मध्य प्रदेश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश राजस्थान गुजरात महाराष्ट्र और हैदराबाद के भी लोग कड़कनाथ के चूजे और मुर्गा मुर्गी लेने पहुंचते हैं. कड़कनाथ मुर्गा का यह हेचरी सेंटर ग्वालियर के अलावा मध्यप्रदेश में दो अन्य जगह और स्थित है. जहां ग्वालियर में यह कृषि विज्ञान केंद्र हर साल लगभग 50 हजार कड़कनाथ मुर्गों के चूजे तैयार करता है और पूरे देश भर में सप्लाई करता है.
कड़कनाथ का उत्पादन: कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ साइंटिस्ट डॉ. राजेश सिंह कुशवाह ईटीवी भारत से बातचीत की और कहा कि ग्वालियर का कृषि विज्ञान केंद्र 2016 से कड़कनाथ का उत्पादन कर रहा है यहां पर झाबुआ से लाकर 200 चीजों की हेचरी बनाई गई थी. इसके बाद लगातार इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ाई जा रही है. कड़कनाथ का उत्पादन बढ़ाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी पालन करने वाले ग्रामीणों को ट्रेनिंग देकर इसका उत्पादन बढ़ाया जा रहा है. इसके साथ ही सर्दियों के सीजन में कड़कनाथ मुर्गा की डिमांड इतनी बढ़ जाती है कि इनकी पूर्ति भी नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन ज्यादातर प्रयास रहता है कि सभी लोगों को इसकी डिमांड पूरी की जाए.
कड़कनाथ की सर्दियों में होती है डिमांड: रिसर्च के अनुसार कड़कनाथ प्रजाति के मुर्गों की सामान्य प्रजाति की मुर्गों से अच्छी मेडिकेशन वैल्यू होती है. इसके साथ ही कड़कनाथ में प्रोटीन तत्व 25%, फैट 0.73 से 1.03% तक रहता है. इसके साथ ही लिनोलेनिक एसिड 24% और कोलेस्ट्रॉल 184 मिलीग्राम होता है. कड़कनाथ की चिकन में प्रोटीन मुर्गी की अन्य प्रजातियों से ज्यादा होती है जबकि फैट और कोलेस्ट्रॉल होता ना के बराबर होता है. अच्छी मेडिसिनल वैल्यू की वजह से इसमें बीमारियां भी नहीं होती है. और कड़कनाथ मुर्गा की प्रजाति का खून काले रंग का होता है. इसके अलावा मांस और हड्डियां भी काली होती है कड़कनाथ गर्म तासीर का होता है. इसी वजह से सर्दियों में इसके मांस का सेवन काफी लाभदायक और शरीर के लिए काफी हेल्दी माना जाता है.