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गुजरात एग्जिट पोल को कांग्रेस ने नहीं दी तवज्जो, लेकिन पार्टी रणनीतिकारों की बढ़ी चिंता

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Published : Dec 6, 2022, 4:04 PM IST

गुजरात एग्जिट पोल में भाजपा को बड़ी बढ़त और कांग्रेस की कम सीटे मिलती दिखाई दे रही हैं. हालांकि कांग्रेस एग्जिट पोल को कांग्रेस खास तवज्जो नहीं दे रही है (Congress plays down Gujarat exit polls). बावजूद इसके एग्जिट पोल ने पार्टी की चिंता बढ़ा दी है, उसे नए सिरे से समीक्षा करने को मजबूर किया है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट.

Congress plays down Gujarat exit polls
मल्लिकार्जुन खड़गे

नई दिल्ली : कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि गुजरात चुनाव में उसका प्रदर्शन उतना खराब नहीं हो सकता जितना विभिन्न एग्जिट पोल में दिखाया जा रहा है (Congress plays down Gujarat exit polls). पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एआईसीसी टीम से फीडबैक लिया है. सूत्रों के मुताबिक खड़गे ने गुजरात के प्रभारी एआईसीसी महासचिव रघु शर्मा से सोमवार शाम को प्रकाशित विभिन्न एग्जिट पोल के बाद मंगलवार को अपडेट के लिए कहा. एग्जिट पोल में पार्टी को 182 में से 35-40 सीटें मिलने की संभावना जताई है.

गुजरात के प्रभारी एआईसीसी सचिव बीएम संदीप कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि 'हालात इतने खराब नहीं हैं. एग्जिट पोल वास्तव में गलत हो सकते हैं. हम 8 दिसंबर को आने वाले नतीजों का इंतजार कर रहे हैं.'

कांग्रेस ने पश्चिमी राज्य में करीब 125 सीटें जीतने का दावा किया था, जिसके एक घंटे बाद ही एग्जिट पोल आए. गुजरात में पिछले 27 साल से भाजपा के पास सत्ता है. कांग्रेस वहां सत्ता के परिवर्तन के एजेंडे पर काम कर रही है.

संदीप कुमार ने कहा कि पिछले कई महीनों से हमारा जमीनी स्तर पर अभियान बहुत अच्छा चला. हम घर-घर जाकर मतदाताओं से मिले और उन्हें हमारी गारंटी और भाजपा की विफलताओं के बारे में बताया. इसकी तुलना में भाजपा के पास अभियान के दौरान अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाने के लिए कुछ था नहीं, यही वजह है कि पीएम को कई रोड शो करने पड़े.'

एआईसीसी सचिव ने बताया कि एग्जिट पोल ने 2017 के विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस को इतनी ही सीटें दी थीं, लेकिन पार्टी ने आखिरकार 77 सीटें जीतीं. हालांकि, एग्जिट पोल को लेकर भले ही AICC के नेता मजबूती से बात रख रहे हों लेकिन पार्टी के रणनीतिकारों के बीच चिंता है. यही वजह है कि वह 1 दिसंबर और 5 दिसंबर को हुए मतदान की समीक्षा करने के लिए कह रहे हैं.

हालांकि प्रभारी रघु शर्मा ने 4 दिसंबर को खड़गे को पार्टी की गुजरात चुनाव की संभावनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी थी. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष को स्थिति रिपोर्ट सौंपने से पहले मंगलवार को विभिन्न पदाधिकारियों के साथ तथ्यों और आंकड़ों की फिर से जांच की.

हर हाल में 60 सीटें मिलने की उम्मीद : पार्टी अध्यक्ष को साझा की गई आंतरिक समीक्षा के अनुसार, कांग्रेस को खराब से खराब स्थिति में कम से कम 60 सीटें मिलने की उम्मीद है. इसमें से सौराष्ट्र क्षेत्र को कम से कम 8 सीटें, दक्षिण गुजरात को 22, जबकि उत्तर और मध्य क्षेत्रों को 15-15 सीटें मिल सकती हैं.

हालांकि एआईसीसी के रणनीतिकार 8 दिसंबर को अंतिम आंकड़ों का इंतजार कर रहे हैं. समीक्षा प्रक्रिया में शामिल एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, 'हमें ईवीएम की भूमिका पर संदेह है, लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं कर सकते.' पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा, आप के प्रवेश से कांग्रेस की संभावनाओं को भी नुकसान हो सकता है.

पिछले महीनों में AICC ने बूथ स्तर पर गुजरात चुनावों की निगरानी के लिए भारी संसाधन और जनशक्ति का इस्तेमाल किया. इसमें बड़ी संख्या में एआईसीसी और राज्य पर्यवेक्षक शामिल थे जो नियमित रूप से बूथ स्तर की टीमों के संपर्क में रहते थे.

संचालन समिति के एक सदस्य ने कहा, जमीन स्तर पर प्रतिक्रिया सकारात्मक थी इसलिए हम एग्जिट पोल को लेकर आशंकित हैं. हालांकि, एआईसीसी के एक वर्ग का यह भी मानना ​​है कि जहां केंद्रीय टीम द्वारा पर्याप्त निगरानी की जा रही थी, वहीं राज्य की टीमें उम्मीदों पर खरी नहीं उतरीं.

राज्य के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पिछले वर्षों में राज्य इकाई में अंदरूनी कलह एक समस्या रही है और पार्टी छोड़ने वाले कई विधायकों ने कांग्रेस के बारे में नकारात्मक धारणा बनाने की कोशिश की है.

उन्होंने कहा कि इस अंतर को उन सीटों पर उम्मीदवारों को चुनने से पहले स्थानीय नेताओं के साथ व्यापक विचार-विमर्श के माध्यम से पाटा गया, जहां विधायकों ने कांग्रेस छोड़ दी थी. एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि वलसाड और कपराडा में उपयुक्त उम्मीदवारों को खोजने में हमें कोई समस्या नहीं हुई. एआईसीसी के रणनीतिकार उन अनुमानों से भी चिंतित हैं कि पार्टी दक्षिण गुजरात क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई है. यह वह क्षेत्र है जहां आदिवासियों का वर्चस्व है. इस क्षेत्र में राहुल गांधी का भी फोकस रहा है, हालांकि राहुल भारत जोड़ो यात्रा के कारण इस बार वह पर्याप्त समय नहीं दे सके.

यह हैरान करने वाला है कि आदिवासी क्षेत्रों ने वांछित परिणाम क्यों नहीं दिखाए हैं. एआईसीसी के एक नेता ने कहा, हमें इस बार दक्षिण गुजरात में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है.

नवीनतम आंतरिक समीक्षा से जो चिंता का विषय सामने आया है वह यह है कि जहां गांवों में वोटर कनेक्ट कार्यक्रम 80 प्रतिशत सफल रहे, वहीं शहरों में आउटरीच में ऊर्जा की कमी रही, जहां भाजपा परंपरागत रूप से मजबूत रही है.

पार्टी के एक रणनीतिकार ने कहा अगर ये सच हैं तो एग्जिट पोल चिंताजनक हैं. अभी के लिए, हम अपनी आंतरिक प्रणालियों की समीक्षा कर रहे हैं और अंतिम परिणामों की प्रतीक्षा कर रहे हैं. हमारे सभी फीडबैक में भाजपा के लिए भारी सत्ता विरोधी लहर दिखाई दी, लेकिन अगर उनकी अभी भी पकड़ है, तो ये पार्टी के लिए समीक्षा का विषय है.

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