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बांध सुरक्षा : यूपी, उत्तराखंड, हिमाचल, पंजाब, मणिपुर, नागालैंड को छोड़कर अन्य राज्य उदासीन

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Published : Jun 5, 2022, 6:19 PM IST

देश में बांधों की बेहतर सुरक्षा हो सके, इसके लिए केंद्र सरकार ने नया कानून लागू किया है. लेकिन इसके तहत अब तक मात्र छह राज्यों ने काम करना शुरू किया है. ये हैं उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, मणिपुर और नगालैंड. अन्य राज्यों को इस पर अमल करना बाकी है. कानून लागू होने के 60 दिन के भीतर अनिवार्य रूप से राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकार एवं राष्ट्रीय बांध सुरक्षा समिति स्थापित करने तथा छह महीने में राज्य बांध सुरक्षा संगठन (एसडीएसओ) एवं राज्य बांध सुरक्षा समिति गठित करने का प्रावधान किया गया है.

Idukki dam
इडुक्की डैम

नई दिल्ली : देश में बांधों की सुरक्षा का कानून लागू होने के पांच महीने गुजरने के बाद भी अब तक केवल छह राज्यों ने ही इसमें निर्धारित राज्य बांध सुरक्षा संगठन एवं समिति का गठन किया है. ऐसे में जल शक्ति मंत्रालय ने राज्यों को पत्र लिखकर प्रक्रिया तेज करने का अनुरोध किया है. इसके साथ ही मंत्रालय जल्द ही बांध सुरक्षा से जुड़े पक्षकारों के साथ संवाद भी करेगा. जल शक्ति मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी.

राष्ट्रीय बांध सुरक्षा अधिनियम में कानून लागू होने के 60 दिन के भीतर अनिवार्य रूप से राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकार एवं राष्ट्रीय बांध सुरक्षा समिति स्थापित करने तथा छह महीने में राज्य बांध सुरक्षा संगठन (एसडीएसओ) एवं राज्य बांध सुरक्षा समिति गठित करने का प्रावधान किया गया है. जल शक्ति मंत्रालय बांधों की सुरक्षा के विषय पर जागरूकता एवं संवाद कायम करने के लिए 16 जून को राज्यों, संबंधित विभागों एवं अकादमिक संस्थानों की एक कार्यशाला आयोजित करने जा रहा है.

मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, "राष्ट्रीय बांध सुरक्षा अधिनियम 30 दिसंबर 2021 से लागू हो गया है। इसके बाद फरवरी 2022 में राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकार एवं समिति का गठन हो गया है, हालांकि इसे वास्तविक आकार लेने में अभी समय लगेगा."

उन्होंने कहा, "अब तक केवल छह राज्यों ने ही राज्य बांध सुरक्षा संगठन और राज्य बांध सुरक्षा समिति का गठन किया है." अधिकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, मणिपुर और नगालैंड ने राज्य बांध सुरक्षा संगठन एवं समिति का गठन किया है. वहीं, कर्नाटक ने केवल राज्य बांध सुरक्षा संगठन का गठन किया है.

उन्होंने कहा कि 30 जून की समयसीमा को देखते हुए मंत्रालय ने राज्यों को पत्र लिखकर उनसे प्रक्रिया तेज करने का अनुरोध किया है क्योंकि कानून के तहत पूरे देश में बांधों की सुरक्षा एवं निगरानी के लिए व्यवस्थित तंत्र स्थापित करने के वास्ते इसे अनिवार्य बनाया गया है. अधिकारी ने बताया कि कानून के तहत सभी बांधों की मानसून पूर्व और मानसून बाद (दो बार) निगरानी एवं जांच करना अनिवार्य बनाया गया है, ऐसे में एक व्यवस्थित तंत्र जरूरी होगा.

केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के आंकड़ों के अनुसार, देशभर में 5700 बड़े बांध हैं, जिनमें से 400 बांध निर्माणाधीन हैं. इन बांधों में 2400 बांध (करीब 35 प्रतिशत) महाराष्ट्र में, मध्य प्रदेश 906, गुजरात में 600 और कर्नाटक में 200 बांध हैं. भारत में सबसे पुराना बांध तिरुचिरापल्ली में कराइकल स्थित बांध है, जिसे चोल राजवंश के शासन में बनाया गया था और यह अभी भी काम कर रहा है.

आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि दुनिया के बड़े बांधों की संख्या के हिसाब से भारत का तीसरा स्थान है. उन्होंने कहा कि सबसे अधिक बड़े बांध चीन में हैं और इसके बाद अमेरिका का स्थान आता है. अधिकारी ने कहा कि देश में 227 बांध 100 वर्ष से अधिक पुराने हैं. उन्होंने बताया कि देश में 43 बड़े बांध अब तक विफल हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि इनमें राजस्थान में 11, मध्य प्रदेश में 10, महाराष्ट्र में पांच, गुजरात में पांच, आंध्र प्रदेश में तीन तथा उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, ओडिशा, उत्तराखंड में 1-1 बांध विफल हुआ है.

अधिकारियों ने कहा कि 16 जून को दिल्ली में आयोजित होने वाली कार्यशाला में बांधों की सुरक्षा से जुड़े विविध आयामों, बजटीय प्रावधान से जुड़े कारकों, केंद्र एवं राज्यों की भूमिका आदि के बारे में पक्षकारों के साथ चर्चा की जाएगी. इस कार्यशाला को जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत संबोधित करेंगे. इसके अलावा इसमें राज्यों के जल संसाधन, बिजली मंत्रियों के अलावा संबंधित विभागों, बांध सुरक्षा से जुड़े बोर्ड, आईआईटी सहित अकादमिक संस्थानों के अधिकारियों को भी आमंत्रित किया गया है.

(PTI)

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