Chaitra Navratri 2023 : घटस्थापना का ये है सर्वोत्तम तरीका व पूजा विधि

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Published : Mar 20, 2023, 2:05 PM IST

Gahtsthapana Puja Vidhi and Materials

चैत्र नवरात्रि के त्योहार की तैयारी अंतिम दौर में है. लोग चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना के सामान व पूजा विधि को जानना चाहते हैं. यहां आप कलश स्थापना का सही तरीका क्लिक करके जान सकते हैं...

अबकी बार नवरात्रि का त्योहार 22 मार्च 2023 दिन बुधवार से शुरू होने जा रहा है. इसके लिए पहले दिन घटस्थापना अर्थात् कलश स्थापना की जाती है. यह एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसे पूजा पाठ शुरू करने वाले लोग नवरात्रि के पहले दिन करते हैं. हमारे धर्म शास्त्रों में नवरात्रि की शुरुआत में एक निश्चित अवधि के दौरान घटस्थापना करने के लिए विधि विधान बताए गए हैं.

कहा जाता है कि घटस्थापना देवी शक्ति का आवाहन है और इसे गलत समय पर करने से वांछित फल की प्राप्ति नहीं होती है.

घटस्थापना करने के लिए सबसे शुभ समय दिन उस दिन पहला एक तिहाई प्रहर होता है, नवरात्रि में यह प्रतिपदा के दिन किया जाता है. यदि किन्हीं कारणों से इस समय कलश स्थापना संभव नहीं है तो अभिजित मुहूर्त में घटस्थापना की जा सकती है. हालांकि घटस्थापना के दौरान चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग से बचने की सलाह धर्मगुरु देते रहते हैं.

अबकी बार चैत्र नवरात्रि 2023 में घटस्थापना के लिए 22 मार्च के सबेरे 6 बजकर 23 मिनट से लेकर 7 बजकर 32 मिनट का समय सर्वोत्तम कहा गया है.

घटस्थापना के लिए आवश्यक सामग्री

  1. सप्त धान्य बोने के लिए साफ सुथरी जगह या बर्तन
  2. सप्त धान्य बोने के लिए स्वच्छ मिट्टी
  3. सप्त धान्य या सात विभिन्न अनाजों के बीज
  4. मिट्टी या पीतल का घड़ा
  5. कलश में भरने के लिए गंगा जल या साफ व पवित्र जल
  6. पवित्र धागा / मोली / कलावा
  7. सुगंध (इत्र)
  8. सुपारी (सुपारी)
  9. कलश में डालने के लिए सिक्के
  10. अशोक के वृक्ष या आम के पेड़ के 5 पत्ते
  11. कलश को ढकने के लिए एक ढक्कन
  12. ढक्कन में डालने के लिए अक्षत
  13. बिना छीला नारियल
  14. नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपड़ा
  15. फूल और माला
  16. दूर्वा घास
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घटस्थापना का समय

घटस्थापना की प्रक्रिया
चरण 1 - सबसे पहले अनाज बोने के लिए मिट्टी का चौड़ा बर्तन (जिसका उपयोग कलश रखने के लिए किया जाएगा) लें. जहां कलश स्थापित करना हैं, वहां पर मिट्टी की परत बिछा दें और फिर अनाज के बीज फैला दें. उसके ऊपर थोड़ी और मिट्टी और अनाज को डालें. फिर मिट्टी की तीसरी और आखिरी परत फैलाकर उस पर थोड़ा पानी डाल दें.

चरण 2 - अब कलश के गले में पवित्र धागा बांधें और इसे पवित्र जल से पूरा भर दें. जल में सुपारी, सुगंध, दूर्वा घास, अक्षत और सिक्के डालकर ढक्कन से ढकने से पहले उसके किनारे पर अशोक के 5 पत्ते लगा दें.

स्टेप 3 - अब बिना छिला हुआ नारियल लें और उसे लाल कपड़े में लपेटें. नारियल और लाल वस्त्र को पवित्र धागे से बांधें और कलश पर स्थापित कर दें.

देवी दुर्गा की शुरू करें पूजा
कलश स्थापना के बाद देवी दुर्गा का आह्वान करें और उनसे अपनी प्रार्थना स्वीकार करने की अपील करें और कहें कि हे मां अगले 9 दिनों तक कलश में रहकर भक्त की भक्ति को स्वीकार करें.

पंचोपचार पूजा
आखिर में पंचोपचार पूजा होती है, जिसको पांच पूजा की वस्तुओं के साथ किया जाता है. इसके बाद दीपदान करें और फिर धूप जलाएं और कलश पर चढ़ाएं. इसके उपरांत फूल और सुगंध दें. अंत में पंचोपचार पूजा संपन्न करने के लिए कलश को नैवेद्य अर्थात् फल और मिठाई अर्पित करें.

इसे भी देखें... Chaitra Navratri 2023 : घटस्थापना के लिए जानें चौघड़िया, बुधवार को इस समय करें कलश स्थापना

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