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MP: 308 साल बाद वापस मिलेगी पहचान, जगदीशपुर को CM का इंतजार, केंद्र की मंजूरी फिर क्या मजबूरी

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Published : Jan 29, 2023, 10:17 PM IST

मध्यप्रदेश का जगदीशपुर गोंड राजा की राजधानी था. बताया जाता है कि, मोहम्मद खान ने धोखे से हड़पकर यहां पर कब्जा किया और यहां का नाम इस्लामनगर कर दिया. इस मामले में केंद्र की हरी झंडी मिलने के बाद भी राज्य सरकार नाम बदलने में नाकामयाब है.

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308 साल बाद वापस मिलेगी पहचान

308 साल बाद वापस मिलेगी पहचान

भोपाल। दो उक्तियां मुद्दत से दोहराई जाती हैं, पहली यह कि, 'नाम में क्या रखा है.? गुलाब का कोई भी नाम हो, वह उतनी ही मीठी खुशबू बिखेरेगा. दूसरी कबीर ने कहा था कि, 'जात न पूछो साधु की' क्योंकि, साधु संसार के बंधनों से मुक्त हो जाता है. इसलिए उसकी जाति शेष नहीं रहती, लेकिन क्या हकीकत इससे बिलकुल जुदा है.? क्या वास्तविक जीवन में अब नाम और जाति ही सबसे अधिक महत्वपूर्ण है.? मामला भोपाल के इस्लाम नगर का है. यहां का नाम जगदीशपुर करने की मांग की जा रही है. भोपाल में कथावाचक रामभद्राचार्य ने कहा कि, यदि भोपाल का नाम भोजपाल नहीं किया गया तो मैं भोपाल नहीं आऊंगा. इसके बाद सरकार ने इस पर सहमति दे दी, लेकिन मुद्दा यह है कि, पूर्व से जिस नाम को लेकर चर्चा चल रही है वह अब तक क्यों नहीं बदला गया.

सीएम का इंतजार: सितंबर 2022 में केंद्र सरकार की तरफ से इस बात को लेकर सहमति मिल चुकी है कि, इस्लाम नगर का नाम बदलकर जगदीशपुर कर दिया जाए. यानी 5 माह पहले सहमति मिलने के बाद भी सरकार इस पर अब तक एक नोटिफिकेशन जारी नहीं कर पाई. दूसरी तरफ तमाम नेता भोपाल को भोजपाल करने के लिए सोशल मीडिया से लेकर तमाम जगह कैंपेन चला रहे हैं. इस मामले में क्षेत्रीय विधायक विष्णु खत्री से जब बाकी तो बोले कि, यह बात सही है कि सहमति मिल गई है, बस सीएम कार्यक्रम के लिए समय दे दे तो हम विधिवत रूप से इसकी घोषणा कर देंगे. यानी जगदीशपुर को इंतजार हो रहा है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कि वे आए तो उसको अपना पुराना नाम मिल सके.

20 साल से चल रहा आंदोलन: इस्लाम नगर का नाम जगदीशपुर करने के लिए करीब 20 साल से आंदोलन चल रहा है. वर्ष 2001 में जब मध्य प्रदेश के भीतर कांग्रेस की सरकार थी. तब इस आंदोलन की शुरुआत हुई थी. इसके बाद वर्ष 2003 में भाजपा की सरकार बन गई और यदि तब से अब तक केवल 19 माह छोड़ दिए जाएं तो लगातार भारतीय जनता पार्टी सत्ता में रही. मजेदार बात यह है कि इस अवधि में होशंगाबाद का नाम बदलकर नर्मदा पुरम और हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन कर दिया गया, लेकिन इस्लाम नगर का नाम बदलकर जगदीशपुर नहीं हो पाया.

दस्तावेजों में नाम का अभियान: इस्लाम नगर के नाम परिवर्तन को लेकर वर्ष 2010 में जब राज्य की तरफ से केंद्र के साथ पत्राचार हुआ. केंद्र की तरफ से जवाब आया कि, सहमति देना संभव नहीं. उस वक्त केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी. दोबारा यह मामला उठा वर्ष 2018 में और इस बार केंद्र में भाजपा की सरकार थी, लेकिन राज्य कांग्रेस की सरकार थी. उसने वर्ष 2010 के लेटर के आधार पर इस्लामनगर को जगदीशपुर बनाने से इंकार कर दिया. सितंबर 2022 नोटिफिकेशन जारी हो गया. इसमें केंद्र ने स्पष्ट कर दिया कि उन्हें इस्लाम नगर का नाम जगदीशपुर किए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है.

गोंड राजा ने बसाई थी नगरी: अपर कलेक्टर भोपाल द्वारा आयुक्त राजस्व ग्वालियर को लिखे गए एक पत्र में स्पष्ट लिखा है कि, पूर्व में जगदीशपुर गोंड राजाओं की राजधानी हुआ करती थी. यह जगदीशपुर के राजा विजय राम गुण की राजधानी थी. इसका प्राचीन ऐतिहासिक नाम जगदीशपुरी ही है. इस पत्र में यह भी स्पष्ट लिखा कि ग्राम का नाम बदलने को लेकर ग्रामीणों को कोई आपत्ति नहीं है.

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इतिहास के पन्ने: मूल रूप से जगदीशपुर के नाम से जाना जाने वाला यह स्थान स्थानीय गौंड शासक राजा विजयराम द्वारा स्थापित किया गया था. 18वीं शताब्दी की शुरुआत में, भोपाल रियासत के संस्थापक दोस्त मोहम्मद खान द्वारा इस स्थान पर कब्जा कर लिया गया. इसका नाम बदलकर इस्लामनगर (" इस्लाम का शहर ") कर दिया गया. इस्लामनगर दोस्त मोहम्मद खान के राज्य की मूल राजधानी थी. 1723 में, दोस्त मोहम्मद खान को एक संक्षिप्त घेराबंदी के बाद इस्लामनगर किले को निजाम-उल-मुल्क को सौंपना पड़ा. एक शांति संधि के बाद खान को निजाम के तहत एक किलदार (किला कमांडर) के पद पर कम कर दिया गया था. वर्ष 1727 में उन्होंने अपनी राजधानी को भोपाल स्थानांतरित कर दिया.

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