ETV Bharat / bharat

रविंद्र पुरी ने अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य मानने से किया इनकार, विरोध में अखाड़ा परिषद

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को ज्योतिष पीठ का शंकराचार्य मानने से इनकार कर दिया है. साथ ही शंकराचार्य की घोषणा को गलत करार दिया है. जिसके बाद मामला गरमा गया है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Sep 23, 2022, 7:37 PM IST

हरिद्वारः शारदा पीठ और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के बाद नए उत्तराधिकारी की घोषणा हो चुकी है, लेकिन इस घोषणा को लेकर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने विरोध जताया है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि शंकराचार्य की घोषणा के लिए इतनी जल्दबाजी आखिर क्यों गई? वो भी बिना किसी अखाड़े की सहमति के घोषणा की गई. वहीं, उन्होंने शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को शंकराचार्य मानने से इनकार किया है.

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (Akhil Bharatiya Akhara Parishad) के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी (Akhara Parishad President Ravindra Puri) ने ज्योतिष पीठ के नवनियुक्त शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का विरोध किया है. इतना ही नहीं उन्होंने अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य मानने से इनकार किया है. उन्होंने साफ लहजे में कहा कि वो कभी भी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य नहीं (Ravindra Puri Refuses to Accept Avimukteshwaranand As Shankaracharya) मानेंगे.

रविंद्र पुरी ने अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य मानने से किया इनकार.
ये भी पढ़ेंः कोर्ट कचहरी में रहा ज्योतिष पीठ का मामला, जानिए शंकाचार्य एवं उत्तराधिकारी बनने की प्रक्रिया

महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि ज्योतिष पीठ को लेकर काफी समय से विवाद (Jyotish Peeth in Uttarakhand) कोर्ट में चल रहा है. ऐसे में शंकराचार्य की घोषणा करना वो भी इतनी जल्दबाजी में बिना किसी संन्यासी अखाड़ों की सहमति के बहुत ही गलत है. जिसका हम विरोध करते हैं. इसके अलावा रविंद्र पुरी ने कहा कि जल्द ही इस नियुक्ति के विरोध में सभी अखाड़ों की बैठक करेंगे और आगे की रणनीति बनाएंगे.

गौर हो बीती 11 सितंबर को शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (Shankaracharya Swami Swaroopanand Saraswati) ने मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के परमहंसी गंगा आश्रम में अंतिम सांस ली थी. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. स्वरूपानंद सरस्वती को हिंदुओं का सबसे बड़ा धर्मगुरु माना जाता था. स्वरूपानंद सरस्वती शारदापीठ और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य थे.

स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के बाद ज्योतिष पीठ (ज्योतिर पीठ) के नए शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Swami Avimukteshwaranand Jyotish Peeth Shankaracharya) होंगे. जबकि, शारदा पीठ के नए शंकराचार्य सदानंद सरस्वती को बनाया गया है. स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के देह को समाधि देने से पहले पूरे विधि विधान के साथ उनके उत्तराधिकारी की घोषणा की थी, लेकिन अखाड़ा परिषद उन्हें शंकराचार्य ( मानने से इनकार किया है.
ये भी पढ़ेंः स्वरूपानंद सरस्वती के नाम पर हो जौलीग्रांट एयरपोर्ट का नाम, भारत रत्न देने की मांग भी उठाई

हरिद्वारः शारदा पीठ और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के बाद नए उत्तराधिकारी की घोषणा हो चुकी है, लेकिन इस घोषणा को लेकर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने विरोध जताया है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि शंकराचार्य की घोषणा के लिए इतनी जल्दबाजी आखिर क्यों गई? वो भी बिना किसी अखाड़े की सहमति के घोषणा की गई. वहीं, उन्होंने शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को शंकराचार्य मानने से इनकार किया है.

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (Akhil Bharatiya Akhara Parishad) के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी (Akhara Parishad President Ravindra Puri) ने ज्योतिष पीठ के नवनियुक्त शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का विरोध किया है. इतना ही नहीं उन्होंने अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य मानने से इनकार किया है. उन्होंने साफ लहजे में कहा कि वो कभी भी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य नहीं (Ravindra Puri Refuses to Accept Avimukteshwaranand As Shankaracharya) मानेंगे.

रविंद्र पुरी ने अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य मानने से किया इनकार.
ये भी पढ़ेंः कोर्ट कचहरी में रहा ज्योतिष पीठ का मामला, जानिए शंकाचार्य एवं उत्तराधिकारी बनने की प्रक्रिया

महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि ज्योतिष पीठ को लेकर काफी समय से विवाद (Jyotish Peeth in Uttarakhand) कोर्ट में चल रहा है. ऐसे में शंकराचार्य की घोषणा करना वो भी इतनी जल्दबाजी में बिना किसी संन्यासी अखाड़ों की सहमति के बहुत ही गलत है. जिसका हम विरोध करते हैं. इसके अलावा रविंद्र पुरी ने कहा कि जल्द ही इस नियुक्ति के विरोध में सभी अखाड़ों की बैठक करेंगे और आगे की रणनीति बनाएंगे.

गौर हो बीती 11 सितंबर को शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (Shankaracharya Swami Swaroopanand Saraswati) ने मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के परमहंसी गंगा आश्रम में अंतिम सांस ली थी. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. स्वरूपानंद सरस्वती को हिंदुओं का सबसे बड़ा धर्मगुरु माना जाता था. स्वरूपानंद सरस्वती शारदापीठ और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य थे.

स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के बाद ज्योतिष पीठ (ज्योतिर पीठ) के नए शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Swami Avimukteshwaranand Jyotish Peeth Shankaracharya) होंगे. जबकि, शारदा पीठ के नए शंकराचार्य सदानंद सरस्वती को बनाया गया है. स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के देह को समाधि देने से पहले पूरे विधि विधान के साथ उनके उत्तराधिकारी की घोषणा की थी, लेकिन अखाड़ा परिषद उन्हें शंकराचार्य ( मानने से इनकार किया है.
ये भी पढ़ेंः स्वरूपानंद सरस्वती के नाम पर हो जौलीग्रांट एयरपोर्ट का नाम, भारत रत्न देने की मांग भी उठाई

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.