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MP के विश्वविद्यालयों में 70 फीसदी शिक्षकों की कमी, अतिथि शिक्षकों के हवाले दर्जनभर विभाग

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Published : May 31, 2023, 10:58 PM IST

मध्य प्रदेश के लगभग सभी विश्वविद्यालय इन दिनों स्थाई शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं. हालात यह हैं कि इन विश्वविद्यालयों में दर्जनों भर ऐसे विभाग हैं, जिनमें स्थाई शिक्षक नहीं हैं और यह विभाग अतिथि शिक्षकों के हवाले हैं.

70 percent shortage of teachers in MP
शिक्षकों की कमी

विश्वविद्यालयों में 70 फीसदी शिक्षकों की कमी

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के लगभग सभी विश्वविद्यालय इन दिनों स्थाई शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं. हालात यह हैं कि इन विश्वविद्यालयों में दर्जनों भर ऐसे विभाग हैं, जिनमें स्थाई शिक्षक नहीं हैं और यह विभाग अतिथि शिक्षकों के हवाले हैं. यही हालत ग्वालियर की जीवाजी विश्वविद्यालय का है. जीवाजी विश्वविद्यालय अतिथि विद्वानों के भरोसे चल रहा है. विश्वविद्यालय के एक दर्जन से अधिक ऐसे विभाग हैं, जिनमें सालों से स्थाई शिक्षक नहीं है और इसका सीधा असर छात्रों के भविष्य पर पड़ रहा है. जीवाजी विश्वविद्यालय का तर्क है तो लगातार स्थाई शिक्षकों के लिए पत्राचार कर रहे हैं लेकिन इसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही.

कई विभागों में शिक्षक तैनात नहीं: ग्वालियर का जीवाजी विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का इकलौता ऐसा विश्वविद्यालय है. जिसे ए प्लस प्लस(A++) का दर्जा हासिल है, लेकिन इसके बावजूद यहां छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. पिछले कई सालों से एक दर्जन से अधिक ऐसे विभाग हैं, जहां पर कोई भी शिक्षक तैनात नहीं है और कुछ विभाग ऐसे हैं. जहां सिर्फ एक शिक्षक के हवाले है. वहीं जीवाजी विश्वविद्यालय की बात करें तो पिछले 3 साल से डिस्टेंस कोर्स संचालित करने की योजना बना रहा है, लेकिन शिक्षकों की भर्ती न होने के कारण हर साल यह प्लान अधर में लटक जाता है और हालात यह है कि डिस्टेंस के कोर्स अभी तक शुरू नहीं हो पाए हैं.

मध्य प्रदेश की जीवाजी विश्वविद्यालय में अभी 140 से अधिक शिक्षक और प्रोफेसरों की कमी है. मतलब दर्जनभर विभाग ऐसे हैं कि जहां पर शिक्षक नहीं है तो वहीं कुछ विभाग ऐसे हैं, जहां एक शिक्षक तैनात हैं इसलिए इनकी पूर्ति करने के लिए अतिथि शिक्षकों का सहारा लिया जाता है. शिक्षकों की कमी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जीवाजी विश्वविद्यालय में 250 से अधिक अतिथि शिक्षक हैं जो स्थाई शिक्षकों के जगह तैनात किए गए हैं.

जीवाजी विश्वविद्यालय के इस विभाग में शिक्षकों की कमी

  1. इकोनॉमिक्स विभाग में कोई भी स्थाई शिक्षक नहीं
  2. पॉलिटिकल साइंस विभाग में कोई भी स्थाई शिक्षक नहीं
  3. मैथमेटिक्स विभाग में कोई भी स्थाई शिक्षक नही
  4. स्पोर्ट्स में कोई भी स्थाई शिक्षक नहीं
  5. बायोकेमिस्ट्री विभाग एक स्थाई शिक्षक के हवाले
  6. बायो टेक्नोलॉजी विभाग में सिर्फ एक स्थाई शिक्षक
  7. फिजिक्स विभाग में सिर्फ एक स्थाई शिक्षक
  8. यह है मध्य प्रदेश के सरकारी विश्वविद्यालयों के हालात
  9. मध्य प्रदेश के 13 सरकारी विश्वविद्यालयों में 70 फीसदी शिक्षकों की कमी
  10. सभी विश्वविद्यालयों में दर्जनों भर ऐसे विभाग जहां पर कोई भी स्थाई शिक्षक नहीं है तैनात
  11. अतिथि शिक्षकों के सहारे चल रहे हैं एमपी के विश्वविद्यालय
  12. शिक्षकों की कमी को लेकर हाई कोर्ट भी कर चुका है टिप्पणी

कई शिक्षक होंगे रिटायर्ड: जीवाजी विश्वविद्यालय की जनसंपर्क अधिकारी विमलेंद्र सिंह राठौर ने बताया है कि विश्वविद्यालय में कुल 140 स्थाई शिक्षक और प्रोफेसरों की कमी है. इसको भरने के लिए जीवाजी विश्वविद्यालय की तरफ से कई बार पत्राचार हो चुके हैं, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है. इसके साथ ही उन्होंने बताया है कि जीवाजी विश्वविद्यालय में 250 से अधिक अतिथि शिक्षक तैनात है अतिथि शिक्षक जहां पर स्थाई शिक्षकों की कमी है वहां पदस्थ किए गए हैं, ताकि छात्रों को किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो. इसके साथ ही आश्चर्य की बात यह है कि साल 2025 में जीवाजी विश्वविद्यालय के एक दर्जन से अधिक विभागों में परमानेंट शिक्षक रिटायर्ड हो रहे हैं. ऐसे में अगर स्थाई शिक्षकों की भर्ती नहीं की गई तो छात्रों का भविष्य अंधकार में चला जायेगा.

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1428 पद खाली: वहीं बात मध्य प्रदेश के सभी सरकारी विश्वविद्यालय की की जाए तो उनमें अभी भी 75 फीसदी स्थाई शिक्षकों की कमी है. मध्य प्रदेश के 13 विश्वविद्यालयों में 1942 स्वीकृत है. इनमें से 1428 पद खाली है. इसको लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष दायर एक याचिका के माध्यम से जब यह जानकारी मिली तो उसने राज्य सरकार से दो टूक पूछ लिया कि क्यों न विश्वविद्यालयों के रिक्त पद पीएससी के माध्यम से भर दिए जाएं. इससे अच्छे उम्मीदवार आएंगे और विश्वविद्यालयों के शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार होगा.

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