Positive Bharat Podcast: हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूमने वाले भगत सिंह ने सिखाया अपने दम पर जियो जिंदगी...

By

Published : Mar 23, 2022, 3:58 PM IST

thumbnail
()

23 मार्च साल 1931 का दिन इतिहास के पन्नों स्वर्ण अक्षरों में अंकित है. आज का दिन पूरे भारत में शहीदी दिवस के रुप में मनाया जाता है. शहीदी दिवस के मौके पर हम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी भगत सिंह से जुड़े कुछ किस्सों को आपसे साझा करेंगे. इस दिन लाहौर सेंट्रल जेल में शाम करीब 7 बजकर 33 मिनट पर शहीद-ए-आजम भगत सिंह और इनके दो साथियों सुखदेव व राजगुरु को फांसी दे दी गई थी. कहा जाता है कि भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को मृत्युदंड के लिए 24 मार्च की सुबह तय की गई थी, लेकिन किसी बड़े जनाक्रोश की आशंका से डरी हुई ब्रिटिश हुकूमत ने 23 मार्च की रात को ही इन क्रांति-वीरों को फांसी दे दी. 'लाहौर षड़यंत्र' के मुकदमे में भगतसिंह को फांसी की सजा दी गई (Positive Bharat Podcast) थी. महज 24 वर्ष की आयु में ही, 23 मार्च 1931 की रात में उन्होंने हंसते-हंसते, 'इंकलाब जिन्दाबाद' के नारे लगाते हुए फांसी के फंदे को चूम लिया. देश के लिए भगत सिंह का ये योगदान युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है. वे देश के समस्त शहीदों के सिरमौर थे. क्रांतिकारी भगत सिंह की जिंदगी से हमें कई तरह की प्रेरणाएं मिलती हैं. उनके कई विचार ऐसे हैं, जो हमारे जीवन को नई दिशा देंगे. भगत सिंह का मानना था कि जिंदगी तो सिर्फ अपने दम पर ही जी जाती है. भगत सिंह कहते थे कि आमतौर पर लोग जैसी चीजें हैं, उसी के आदी हो जाते (Positive Bharat Podcast on Bhagat Singh) हैं. वे बदलाव में विश्वास नहीं रखते और महज उसका विचार आने से ही कांपने लगते हैं. ऐसे में यदि हमें कुछ करना है तो निष्क्रियता की भावना को बदलना होगा. हमें क्रांतिकारी भावना अपनानी होगी. युवाओं को उनके जीवन से प्रेरण लेकर अपने लक्ष्य को महत्व देना चाहिए और देश के लिए जरुरत पड़ने पर हमेशा तत्पर रहना चाहिए, फिर चाहे हमें देश के लिए अपनी जान ही क्यों ना न्योछावर करनी पड़े.

ABOUT THE AUTHOR

author-img

...view details

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.