दांपत्य जीवन की नींव हिला सकती है भावनात्मक दूरियां

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Published : Sep 12, 2021, 8:01 AM IST

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लंबे समय तक एक दूसरे के साथ रहते-रहते कई बार पति और पत्नी के बीच भावनात्मक दूरियां आने लगती हैं। ऐसा नहीं है कि उनमें प्यार कम हो जाता है, लेकिन वे दोनों ही अपनी रोजमर्रा की जिंदगी को जिम्मेदारियों के साथ जीते-जीते एक दूसरे के साथ के इतने आदी हो जाते हैं कि उन्हें दूसरे को अपना प्यार जताने की जरूरत महसूस नहीं होती है। नतीजतन रिश्तों में असंतोष, नीरसता और गुस्सा पनपने लगता है।

विवाह के कुछ सालों के उपरांत कई बार दांपत्य जीवन में भावनात्मक अलगाव जैसी घटनाएं देखने में आने लगती हैं और एक दूसरे पर विश्वास और आपसी सामंजस्य कम होने लगता है। पति-पत्नी दोनों को लगता है कि उनके साथी बदल गए हैं और उनकी बातों को समझ नहीं पाते हैं। नतीजतन रिश्ते में प्यार का स्थान झगड़े, समझौते, जिम्मेदारियां और घुटन ले लेती है।

रिलेशनशिप कंसलटेंट रचना माहेश्वरी की माने तो जब पति और पत्नी दोनों यह सोचने लगें कि उनके साथी उनके अनुसार सोचें और व्यवहार करें, वहीं से रिश्तो में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से खटास आनी शुरू हो जाती है। शादी के तुरंत बाद जब रिश्ते में केवल दो ही लोग होते हैं तो जिम्मेदारियां कम होती हैं, एक दूसरे को खुश और आकर्षित करने की कोशिश रहती है और साथ ही एक दूसरे के साथ बिताने के लिए बहुत सारा समय होता है। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है रोजमर्रा के काम, बच्चों की परवरिश और ससुराल वालों या अन्य रिश्तेदारों के साथ रिश्ता निभाने की जद्दोजहद पति और पत्नी दोनों का अधिकांश समय और ऊर्जा ले लेती है।

समय के साथ बदलते रिश्ते

शादी से पहले या शादी के बाद शुरुआती दिनों में जिस तरह पति-पत्नी एक दूसरे को आकर्षित करने के लिए उनकी बातों को ध्यान से सुनते हैं और उनकी पसंद नापसंद का ध्यान रखते हैं, शादी के कुछ साल बीत जाने के बाद सभी बातें उन्हें गैर जरूरी लगने लगती हैं। पति-पत्नी के बीच की यही दूरी उनमें भावनात्मक अलगाव की स्थिति उत्पन्न करने लगती है।

रचना महेश्वरी बताती है कि उनके पास सलाह लेने के लिए आने वाले लोगों में अधिकांश की एक शिकायत यह भी होती है कि उनके साथी उनकी तरफ ध्यान नहीं देते हैं या वे उनके साथ भावनात्मक जुड़ाव प्रदर्शित नहीं करते हैं। चुंकि शादी के बाद शुरुआती दिनों में उन्होंने अपने पति या पत्नी के साथ बेहद भावनात्मक नजदीकी देखी और महसूस की हुई होती है, ऐसे भी उनका बदला हुआ व्यवहार ज्यादा कष्ट पहुंचाता है और इन्हीं कारणों से कई बार महिला या पुरुष एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर की ओर भी आकर्षित हो जाते हैं।

जरूरी है संवाद

रचना जी बताती है कि किसी भी रिश्ते को बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है आपस में बातचीत होना और एक दूसरे की बात सुनना। यदि पति और पत्नी दोनों एक दूसरे से खुलकर बातें करते हैं तो उनके बीच की समस्याएं स्वत: ही काफी हद तक कम हो जाती हैं।

वह बताती हैं कि उनके पास आने वाले ज्यादातर लोगों को वह यही सलाह देती हैं कि वे आपस में संवाद बनाए रखें और एक दूसरे के साथ क्वालिटी टाइम बताएं। यह सत्य है कि किसी भी शादी की सफलता के लिए प्रेम और विश्वास के साथ आपसी सामंजस्य होना भी बहुत जरूरी होता है। लेकिन इसके अतिरिक्त एक और बात भी होती है जो रिश्तो को बहुत प्रभावित करती है वह है एक दूसरे को अपने रिश्ते में बराबरी का हक देना। यदि पति-पत्नी दोनों एक दूसरे के विचारों और व्यवहार को समझें और उन्हें अपने अनुरूप बदलने की कोशिश ना करें, तो काफी हद तक झगड़े अपने आप खत्म हो जाएंगे। जिस तरह गाड़ी दो पहियों पर चलती है उसी तरह शादी भी पति और पत्नी दोनों के प्रयासों से सफल होती है। कल्पना कीजिए कि यदि किसी गाड़ी का एक पहिया बड़ा हो और दूसरा छोटा, क्या वह गाड़ी सही तरह से चल पाएगी? इसीलिए बहुत जरूरी है कि इस रिश्ते में पति पत्नी एक दूसरे को बराबरी के अधिकार के साथ सम्मान दें। उनकी प्राथमिकता और जिम्मेदारियों को समझें और उनका सहयोग करें। साथ ही अपने साथी द्वारा किए जा रहे प्रयासों को सराहें और उन्हे महसूस कराएं की वे आपके लिए कितने जरूरी हैं।

रचना जी बताती है रोजमर्रा की जिंदगी में पति और पत्नी द्वारा किए गए छोटे-छोटे प्रयास , रिश्तों में बंधी गांठों को अपने-आप खोल देते हैं।

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