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सारंडा के तीन वनग्राम क्षेत्र में जिला प्रशासन ने लगाई चौपाल, सुनी ग्रामीणों की परेशानियां

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Published : Jan 10, 2021, 8:31 AM IST

district administration reached in saranda in chaibasa
उपायुक्त ने ग्रामीण क्षेत्रों का लिया जायजा

चाईबासा के कुमडी, रांगरिंग और नुईयागढ़ा वनग्राम में सरकारी सुविधाओं की जानकारी और क्षेत्र का जायजा लेने उपायुक्त अरवा कमल पहुंचे. इस दौरान उन्होंने चौपाल लगाकर ग्रामीणों की परेशानियां सुनी और जल्द समाधान का आश्वासन दिया.

चाईबासा: सारंडा में बसे कुमडी, रांगरिंग और नुईयागढ़ा वनग्राम की तस्वीर अब बदलने लगी है. वनग्राम के लोगों को सरकारी सुविधा और लाभ मिलना शुरू हो गया है. ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं से लाभान्वित करने को लेकर जिला प्रशासन ने दूसरी बार सारंडा का दौरा कर चौपाल लगाया. इस दौरान उपायुक्त ने ग्रामीणों की परेशानियां सुनी और जल्द समाधान का आश्वासन दिया.

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मुख्यमंत्री के ट्वीट पर जायजा लेने पहुंचे उपायुक्त

मुख्यमंत्री के ट्वीट और निर्देशानुसार वनग्राम की शुद्धि लेने दूसरी बार पश्चिमी सिंहभूम जिला प्रशासन ने सारंडा के तीन वनग्राम में चौपाल लगाया. चौपाल में तीनों वनग्राम कुमडी, रांगरिंग और नुईयागढ़ा के ग्रामीण प्रशासन के समक्ष सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और पेयजल की समस्या सहित अपनी परेशानियां रखी. चौपाल में कुछ ग्रामीणों को उपायुक्त अरवा राजकमल और एसपी अजय लिंडा के हाथों राशन कार्ड व वृद्धा पेंशन का लाभ दिया गया. ग्रामीण युवाओं के बीच फुटबॉल का वितरण किया गया. जिला प्रशासन के अनुसार अगले दस महीनों में सारंडा के सेडल चौक से कुमडी तक 12 किमी सड़क, सारंडा क्षेत्र में 26 पुलिया और वनग्रामों में जलमीनार के साथ- साथ कुमडी में आंगनबाड़ी भवन का निर्माण का काम शुरू होगा.

जल्द होगी सड़कें दुरूस्त
पत्रकारों से बात करते हुए उपायुक्त ने बताया कि कुमडीह जाने के लिए सरकार ने सड़कों के लिए सैंक्शन किया है. पिछले दो-तीन माह पहले आयुक्त कोल्हान प्रमंडल और पुलिस उपनिरीक्षक के साथ क्षेत्र का भ्रमण कर किया गया था. उसके बाद यह आज दूसरी विजिट है. पहले किए गए दौरे में क्षेत्र के लिए रोड एक बड़ी समस्या है, जिसका कुछ हद तक समाधान कर दिया गया है. अभी स्यालडीह से लेकर कुमडीह 11.8 किलोमीटर की रोड बनने वाली है. 10 माह के अंदर रोड का कार्य समाप्त करने का प्रोजेक्ट है. उपायुक्त ने कहा कि इसके साथ-साथ कुछ टूटी हुई पुलिया को भी देखा गया है, करीब 26 पुलिया को बनाने का भी उल्लेख है. वन विभाग ने काफी सक्रियता से इस दिशा में कार्य किया है, फॉरेस्ट क्लीयरेंस एनओसी दी जा चुकी है. शीघ्र ही कार्य शुरू करते हुए कुमडीह तक बेहतर रोड की व्यवस्था हो जाएगी.

ग्रामीणों को योजनाओं का मिलेगा लाभ
उपायुक्त ने बताया कि रांगरिंग और नुईयागड़ा में हालात थोड़े अलग हैं. रांगरिंग सेल के लीज क्षेत्र में आता है और सेल प्रबंधन कहते रहे हैं कि सेल की जमीन पर अतिक्रमण कर लोगों ने वहां घर बनाए हैं. उन्होंने कहा कि लोगों को वन अधिकार पट्टा विधिवत किस प्रकार दिया जा सकता है यह विचारणीय है. लेकिन वहां के ग्रामीणों को शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल व्यवस्था, रोजगार की व्यवस्था मुहैया कराना हमारी प्राथमिकता है. हमारी जिम्मेदारी है कि चाहे वन क्षेत्र में लोग किसी भी तरह से रह रहे हैं उनको मूलभूत सुविधाएं और सभी कल्याणकारी योजनाओं को उन तक पहुंचाना है. इसी को आगे बढ़ाते हुए आज कई सारे ग्रामीणों को राशन कार्ड, पेंशन और अन्य सुविधाओं को देने की शुरुआत कर दी गई है. उन्होंने कहा कि किसी को कल्याण योजनाओं से इसलिए दूर नहीं रखा जाएगा कि वह वनग्राम में अवैध रूप से रह रहे हैं. ग्रामीण वन ग्राम में चाहे जिस भी तरह से निवास कर रहे हों राजस्व ग्राम वनाधिकार पट्टा रहित या सहित. उनको जरूर योजनाओं का लाभ मिलना जरुरी है.

वन ग्राम राजस्व ग्राम में होगा तब्दील
इस दौरान उपायुक्त ने बताया कि ये काफी दुर्गम क्षेत्र है और रोड बनने की संभावना भी काफी मुश्किल है. लेकिन जो वन ग्राम राजस्व ग्राम में तब्दील किया जाएगा. कुमडीह जहां सालों से लोग बसे हुए हैं जिसको वन विभाग की ओर से एक लीगल वन ग्राम का दर्जा दिया गया है. उसको जल्द ही राजस्व ग्राम में परिवर्तित करेंगे और उस ग्राम के साथ-साथ जितने भी वन्य ग्राम अन्य जगह पर बसे हुए हैं उनको एक टोला का दर्जा देते हुए कुमडीह का ही एक भाग मानते हुए प्रशासन की ओर से सभी मूलभूत सुविधाएं दी जाएंगी.

ववंचित लाभुकों की विस्तृत मैपिंग
उपायुक्त ने बताया कि पहली दौरे में आकलन किया गया था कि यहां के समाजसेवी, पत्रकार साथियों सहित सभी लोगों से वृहत विचार-विमर्श करके क्षेत्र के सम्यक विकास के लिए जो अनुकूल व्यवस्था की जा सकती हैं उस पर कार्य किया जाए. इस बार के भ्रमण में विस्तृत आंकलन किया गया है कि क्षेत्र में कितने लाभुक हैं, कितने घर हैं, क्या-क्या सुविधाओं से लोग वंचित रह गए हैं, कितने बच्चे हैं इन सब बातों की विस्तार से मैपिंग की गई है. अभी उनको योजनाओं से जोड़ने का काम शुरू हो गया है.


नैतिक दायित्व के तहत विकास की बात
उन्होंने कहा कि विगत 6 जनवरी को 5 वन्य ग्रामों में मेडिकल कैंप आयोजित की गई थी. उसमें से प्राप्त आवेदनों के तहत आज वितरण हुआ है. जितने भी आवेदन आज प्राप्त हुए हैं उन सभी को पात्रता के अनुकूल लाभ 15 दिनों में आच्छादित किया जाएगा. उपायुक्त ने कहा कि जो बच्चे वन्य ग्रामों में पढ़ रहे हैं, उनको किस प्रकार स्कूल में दाखिला कराया जाए उसकी भी व्यवस्था की जाएगी. सेल प्रबंधन के साथ विमर्श करके नैतिक दायित्व के तहत विकास कार्य का निर्वहन करने का आह्वान किया जाएगा. उपायुक्त ने कहा कि टाटा संस्था के चलाये जाने वाले एजुकेशन सेंटर को भी देखा गया. उसमे पक्का भवन की संभावना कम है लेकिन एक प्रीफैब्रीकेटेड बिल्डिंग का निर्माण करने की योजना विचाराधीन है. यहां स्कूल नहीं होने के कारण बच्चों को किरीबुरू जाने की जरूरत पड़ती है. बच्चों के स्कूल जाने के लिए बस की व्यवस्था पर भी विचार किया जा रहा है कि किस तरह से एक स्थान से बच्चों को स्कूल के लिए ले जाया जाए.

10 लाख की लागत से बनेगा सैनिट्री वेल
इस दौरान उन्होंने बताया कि इलाके में स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था है लेकिन उसको किस तरह से सेनेटाइज किया जाए इसके लिए एक सेनेट्री वेल बनाया जाएगा. 10 लाख रुपए की लागत से बनने वाली सैनेट्री वेल योजना काफी इनोवेटिव पहल है जिससे क्षेत्र के लोगों को नल के माध्यम से स्वच्छ जल प्राप्त होगा. योजना को शुरू करने के लिए एक चुआं को भी चिन्हित किया गया है. जहां से जल को उठाते हुए नल के माध्यम से आसपास के घरों को नल के माध्यम से पानी मिलेगा और नल के माध्यम से सभी ग्रामीण वहां से पानी ले सकते है.

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