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बिरहोर जनजाति पर कहर बनकर टूटा लॉकडाउन, सरकारी सुविधाओं से भी हैं महरूम

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Published : May 8, 2020, 8:40 PM IST

पश्चिम सिंहभूम जिले के सारंडा बीहड़ स्थित मनोहरपुर प्रखंड के सुदूरवर्ती गांव समठा में 6 बिरहोर में से मात्र 4 परिवार के पास ही राशन कार्ड उपलब्ध है. राशन कार्ड नहीं होने के कारण उन्हें राशन डीलर के द्वारा सरकार से मिलने वाला चावल नहीं दिया जा रहा है. जिसके कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

birhor tribe not getting government facilities
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चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिले के सारंडा स्थित मनोहरपुर प्रखंड के सुदूरवर्ती गांव समठा में 6 बिरहोर परिवार घुटन की जिंदगी जीने को मजबूर हैं. ये जंगलों से रस्सी काट कर किसी तरह अपना जीवन यापन कर रहे हैं. भले ही सरकार की कोशिश है कि आज की स्थिति में कोई भी व्यक्ति भूखा ना रहे लेकिन बावजूद इसके ये सरकारी सुविधाओं से महरूम हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

सारंडा के बीहड़ स्थित समठा गांव में रहने वाले 6 परिवारों में से मात्र 4 परिवार के पास ही राशन कार्ड उपलब्ध है. दो परिवार के पास राशन कार्ड नहीं होने के कारण उन्हें राशन डीलर के द्वारा सरकार से मिलने वाला चावल नहीं दिया जा रहा है. इसके साथ ही जिन परिवारों के पास राशन कार्ड है, उन्हें भी राशन नहीं मिला है. इस कठिन परिस्थिति में ये परिवार किसी तरह अपनी जिंदगी काटने को मजबूर है.

आंधी-तूफान से उजड़ जाता आशियाना

वहीं, मौसम-बेमौसम आंधी तूफान भी 6 बिरहोर परिवारों के लिए किसी सुनामी से कम नहीं होता है. आंधी-तूफान और बारिश के कारण इनका आशियाना उजड़ जाता है. उनके घर के पास स्थित पुराना खंडहरनुमा पंचायत भवन ही इनका आसरा बनता है. इस परिवारों के लिए सरकारी सुविधा के नाम पर एक नलकूप सह जलमीनार के अलावा 6 परिवार के लिए 3 शौचालय बनाए गए हैं, जो पूरी तरह से उनके लिए उपयोगी साबित नहीं है.

लॉकडाउन में रस्सी काटने का काम का ठप

पेड़ों की छाल से रस्सी बना कर जीवन यापन करने वाले समठा के बिरहोर बताते हैं कि लॉकडाउन में रोक के कारण उनका रस्सी का काम भी नहीं कर पा रहे हैं और ना ही वे रस्सी बाजार ले जाकर बेच पा रहे हैं. रस्सी का कारोबार से जो पैसा आता था. उसे वे किसी तरह गुजारा किया करते थे. सरकारी सुविधा नहीं मिलने के कारण दो बिरहोर परिवार घर छोड़कर नोआमुंडी प्रखंड अंतर्गत टाटीबा ग्राम में रहने चले गए हैं.

बिरहोर की परेशानी

सलामी बिरहोर बताती हैं कि गांव में 6 बिरहोर परिवार रहते हैं जिनमें 4 परिवार के पास राशन कार्ड है बाकि 2 परिवार के पास राशन कार्ड उपलब्ध नहीं है. जिस कारण राशन डीलर उन्हें राशन नहीं देते हैं. वहीं, सुमी बिरहोर बताती है कि 'हम बिरहोर परिवारों को आवास की सुविधा नहीं मिली है. हम लोग पसीना बहा कर अपने-अपने घर किसी तरह खुद ही बनाए हैं. यहां सरकार की ओर से मिलने वाला सुविधा नहीं मिलने के कारण दो बिरहोर परिवार टाटीबा गांव पलायन कर गए हैं.

जानिए क्या कहा प्रखंड विकास पदाधिकारी ने

मनोहरपुर प्रखंड विकास पदाधिकारी जितेंद्र पांडेय से सवाल करने पर उन्होंने बताया कि समठा गांव के बिरहोरों को उनकी जानकारी अनुसार मुख्यमंत्री दीदी किचन के माध्यम से खाना दिया जा रहा है. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि उन्होंने पंचायत सेवक को प्रतिदिन प्रतिवेदन देने को कहा है, साथ ही उनके आवास की कितनी क्षति हुई है. उसकी जांच भी करवाई जाएगी.

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