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लगातार घट रही गंगा नदी में मछलियों की संख्या, सरकार के बैरकपुर फिशरी इंस्टीट्यूट ने लगाई यह तरकीब

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Published : Feb 12, 2022, 10:46 AM IST

Updated : Feb 12, 2022, 11:28 AM IST

गंगा नदी में मछलियों की संख्या लगातार घट रही है. कम मछलियां मिलने का सीधा असर मछुआरा पर पड़ गया है. अपना गुजारा करने के लिए वे पलायन कर चुके हैं. स्थिति गंभीर होते देख भारत सरकार का फिशरी इंस्टीच्यूट बैरकपुर द्वारा गंगा नदी में मछली के बीज डाले जा रहे हैं. उम्मीद की जा रही है कि मछलियों का प्रजन्न हो और उनकी की संख्या बढ़े.

number of fishes in Ganga
number of fishes in Ganga

साहिबगंज: गंगा नदी को स्वच्छ और निर्मल रखने के लिए केंद्र सरकार करोड़ों की योजनाएं धरातल पर उतार रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं दिख रहा है. स्थिति यह हो गयी है कि गंगा नदी में मछलियों की संख्या लगातार घट रही है. कम मछलियां मिलने का सीधा असर मछुआरों की जीविका पर पड़ रहा है. जिसके कारण अपना गुजारा करने के लिए वे पलायन कर चुके हैं.

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गंगा नदी में डाले जा रहे मछली के बीज: जिला मत्स्य पदाधिकारी संजीव गुप्ता ने कहा है कि गंगा नदी का पानी दूषित हो चुका है. फैक्ट्रीज बढ़ने और गंगा नदी में केमिकल युक्त जहरीला पदार्थ छोड़ने से यह समस्या उत्पन्न हुई है. वहीं, स्थानीय लोग भी गंगा को दूषित कर रहे हैं. पिछले कई सालों से गंगा में मछली कम पायी जा रही है, जिससे समिति से जुड़े मछुआरों को परेशानी हो रही है. मत्स्य पदाधिकारी ने बताया कि जिला के नौ प्रखंड में मत्स्य समिति है, जिससे लगभग दो हजार से अधिक लोग जुड़े हैं. कुछ समिति के परिजन अपना गुजारा करने के लिए बाहर चले गये हैं.

देखें पूरी खबर

स्थिति गंभीर होता देख भारत सरकार के बैरकपुर फिशरी इंस्टीट्यूट गंगा नदी में मछली के बीज डाल रहा है. यह संस्था कोलकाता से लेकर बैरकपुर और साहिबगंज तक समय-समय पर गंगा नदी में मछली के बीज डाल रही है, ताकि गंगा में फिर से कतला, रेहू, मृगल की बड़ी-बड़ी मछलियां मिले. उम्मीद की जा रही है कि मछलियों का प्रजनन हो और उनकी संख्या बढ़े.

number of fishes in Ganga
गंगा नदी में डाले जा रहे मछली के बीज


पर्यावरणविद् रंजीत सिंह ने कहा कि गंगा नदी दूषित हो रही है, यह जगजाहिर है. राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों इसे लेकर गंभीर भी है. नामामि गंगे परियोजना के तहत गंगा को अविरल रखने के लिए साफ सफाई की जा रही है. लोगों को जागरूक किया जा रहा है, लेकिन गंगा शुद्ध होने की बजाय दिन प्रतिदिन दूषित होती जा रही है. गंगा में मोटरयुक्त मशीन चलाने से गंगा में रह रहे जलीय जीव अंतिम सांस ले रहे हैं. गंगा के उपरी सतह पर जला हुआ मोबिल फैल जाने से जलीय जीव को सांस लेने मे परेशानी हो रही है. सूर्य का प्रकाश पानी के अंदर तक जा नहीं पाता है. सरकार के करोड़ों रुपए पानी में बह रहे हैं. निश्चित रूप से जिस तरह मछली की संख्या घट रही है. डाॉल्फिन भी कम पाई जाने लगी है. इसके अलावा उन्होंने मछुआरों को कहा कि मच्छरदानी वाले जाल का उपयोग नहीं करना चाहिए, उससे छोटी मछलियां अधिक बाहर निकल जाती हैं. जिससे मछलियों का प्रजनन रुक जाता है.

Last Updated :Feb 12, 2022, 11:28 AM IST
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