ETV Bharat / state

पेसा रूल 2022 का सच! क्या आदिवासियों के साथ छलावा कर रही हेमंत सरकार, HC में हक की लड़ाई लड़ रहे विक्टर मालटो की ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत

author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 26, 2023, 5:47 PM IST

Updated : Sep 27, 2023, 10:57 AM IST

झारखंड में पेसा रूल 2022 को अंतिम रूप देने के मामले में बहस छिड़ गई है. एक तरफ बंधु तिर्की ने इसकी तारीफ की है, वहीं दूसरी तरफ आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के राष्ट्रीय संयोजक विक्टर मालटो ने इसे छलावा बताया है.

PESA Rule 2022 in Jharkhand is deception
PESA Rule 2022 in Jharkhand is deception

आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के राष्ट्रीय संयोजक विक्टर मालटो से बात करते ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह

रांची: झारखंड में पेसा रूल 2022 को अंतिम रूप देने के सरकार के फैसले पर बहस छिड़ गई है. कांग्रेस नेता बंधु तिर्की ने इस पहल की तारीफ की है तो दूसरी ओर आदिवासी बुद्धिजीवी मंच ने इसे आदिवासियों के साथ छलावा बताया है. इससे आदिवासियों के कस्टमरी लॉ, रीति रिवाज, संस्कृति और प्रशासनिक व्यवस्था पर संकट बरकरार रहेगा. इससे पांचवी अनुसूची वाले क्षेत्र के ग्रामसभा को वाजिब हक नहीं मिल पाएगा.

ये भी पढ़ें: झारखंड में पेसा रूल! ग्रामसभा करेगी स्वशासन को सुनिश्चित, अपराध पर आर्थिक दंड लगाने का होगा अधिकार, नेताओं की आने लगी प्रतिक्रिया

आदिम जनजाति समुदाय से आने वाले आरबीआई के अधिकारी रहे मंच के राष्ट्रीय संयोजक विक्टर मालटो का कहना है कि एक तो भ्रम फैला दिया गया है कि PESA (Panchayats Extensions to Schedule Area) की मांग हो रही है, जबकि संसद ने PPESA यानी The Provisions of the Panchayats (Extension to the Schedule Areas) Act, 1996 बनाया है. खास बात है कि तत्कालीन बिहार सरकार ने 6 मार्च 1998 को PPESA के प्रावधानों को स्वीकृत करते हुए संकल्प भी जारी किया था. लेकिन झारखंड बनने के बाद आजतक इसकी अनदेखी होती रही. इसके खिलाफ हाईकोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ी जा रही है.

उनका आरोप है कि सरकार ने कई बार हाईकोर्ट को भी इस मामले में गुमराह किया है. इन आरोपों को लेकर ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने विक्टर मालटो से कई सवाल किए, जिसका उन्होंने खुलकर जवाब दिया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पी-पेसा की धारा 4डी, 4ओ और 4एम पर केंद्रित कर नियमावली नहीं बनाई है. इसलिए राज्यपाल से आग्रह है कि वह इसको ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार को नियमावली बनाने का निर्देश दें. उन्होंने कहा कि देश के दस राज्यों के आदिवासी और मूलवासी समाज पी-पेसा नियमावली के हकदार हैं, लेकिन कहीं भी तीन धाराओं को केंद्र बिंदु मानकर नियमावली नहीं बनाई गयी है.

मंच के राष्ट्रीय संयोजक विक्टर मालटो के मुताबिक पी-पेसा कानून का उल्लंघन कर साल 2010, 2015 और 2022 में झारखंड पंचायती राज एक्ट के तहत त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराए जा चुके हैं. इस मुद्दे को विपक्ष के साथ-साथ सत्ताधारी दल के कई विधायक सड़क से सदन तक उठाते रहे हैं. इस बीच बढ़ते राजनीतिक दबाव को देखते हुए हेमंत सरकार के पंचायती राज विभाग ने 26 जुलाई 2023 को झारखंड पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार) नियमावली 2022 का औपबंधिक प्रारूप प्रकाशित कर एक माह के भीतर मंतव्य, सुझाव और आपत्ति मांगी थी. इसपर मंच की ओर से विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर आपत्ति भी जताई गई थी.

उन्हें बताया गया था कि झारखंड राज पंचायत अधिनियम, 2001 की धारा 131 की उपधारा (1) में स्पष्ट है कि जो भी नियमावली बनेगी, वह पंचायती राज अधिनियम के प्रयोजनकों को पूरा कर पाएगी. पंचायती राज विभाग ऐसी कोई नियमावली नहीं बनाएगा जो संसदीय अधिनियम PPESA, 1996 के उपबंधों यानी धारा 3, 4, 4(A) से (O) से असंगत होगी. मंच की दलील है कि PPESA, 1996 के ये उपबंध 24 दिसंबर 1997 से ही प्रभावी हो चुके हैं. लिहाजा, बिहार राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 85 के आलोक में झारखंड सरकार को भूतलक्षी प्रभाव से लागू करना चाहिए. लिहाजा, वर्तमान पेसा रूल ना सिर्फ पी-पेसा बल्कि संविधान के अनुच्छेद 243(M1), 243ZC, 243(M)4(b) और 244(i) का भी उल्लंघन है.

इससे पहले केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय के संयुक्त सचिव संजीव पटजोशी ने 16 जून 2016 को झारखंड पंचायती राज विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव एनएन सिन्हा को पत्र लिखकर जल्द से जल्द पांचवी अनुसूची वाले क्षेत्रों में पेसा (PESA) रूल बनाने को कहा था. उस पत्र में 4-5 फरवरी 2016 को पंचायती राज मंत्रालय की ओर से नई दिल्ली में हुए राष्ट्रीय सेमिनार में उठी बातों का हवाला दिया गया था.

यही नहीं नवंबर 2021 में केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा को जल्द से जल्द पेसा के तहत नियमावली बनाने को कहा था. इसको लेकर साल 2009 में ही एक ड्राफ्ट भी केंद्र की ओर से भेजा गया था. तब आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात और तेलंगाना ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया था. लेकिन झारखंड में मामला लटका रहा. अब पेसा रूल 2022 को तैयार करने के दौरान पी-पेसा के प्रावधानों की अनदेखी की बात उठने से यह मामला फिर गरमा गया है.

Last Updated : Sep 27, 2023, 10:57 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.