भारी पड़ रही पुलिसिया लापरवाही, दो हत्याकांड से हुई फजीहत

author img

By

Published : Jul 31, 2021, 5:08 PM IST

Updated : Jul 31, 2021, 5:21 PM IST

Two murder cases troubled ranchi police

पुलिस मुख्यालय से आदेश जारी किया गया है कि थाने में शिकायत दर्ज करने वाले हर शख्स को गंभीरता से लिया जाए, ताकि उसकी सुरक्षा की जा सके.

रांची: पुलिस की लापरवाही आम लोगों की जान पर भारी पड़ रही है. जान से मारने की धमकी को पुलिस का हल्के में लेना, कई लोगों की जान आफत में डाल चुका है. कई लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं. यही वजह है कि अब मुख्यालय स्तर से यह आदेश जारी किया गया है कि थाने में शिकायत दर्ज करने वाले हर शख्स की शिकायत को गंभीरता से लिया जाए.


इसे भी पढ़ें- झारखंड पुलिस मुख्यालय में आग से अफरा-तफरी, कई कागजात जलकर राख

क्या है मामला ?

राजधानी हो या फिर झारखंड का कोई दूसरा शहर, थाने में हर महीने एक दर्जन से अधिक मामले ऐसे आते हैं जिनमें पीड़ित थाने में इस बात की शिकायत करता है कि उसे किसी से जान का खतरा है. आवेदन देने के बाद ज्यादातर मामलों में पुलिस उस पर कोई कार्रवाई नहीं करती है, जिसका नतीजा यह होता है कि कई लोगों की जान चली जाती है. आंकड़ों के मुताबिक जान का खतरा बताकर हर महीने कई मामले अलग-अलग थानों में दर्ज किए जाते हैं. खासकर वैसे थाने, जहां जमीन विवाद के मामले सबसे ज्यादा आते हैं. वहां इस तरह के मामले अधिक दर्ज किए जाते हैं.

देखें पूरी खबर

दो हत्याकांड ने कराई पुलिस की फजीहत

हाल के दिनों में राजधानी में दो ऐसे बड़े मामले आए, जिसकी वजह से पूरे झारखंड पुलिस की बदनामी हुई. रांची सिविल कोर्ट के अधिवक्ता मनोज झा की 26 जुलाई को दिनदहाड़े तमाड़ में अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी. मनोज झा ने अपनी जान पर खतरा बताते हुए थाने में प्राथमिकी भी दर्ज करवाई थी, लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने इस पर ध्यान नहीं दिया और दिनदहाड़े मनोज झा की हत्या हो गई. वहीं, 14 जुलाई को दिनदहाड़े राजधानी के भीड़भाड़ वाले इलाके में जमीन कारोबारी अल्ताफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई. अल्ताफ ने भी अपनी जान पर खतरा बताते हुए डोरंडा थाने में शिकायत दर्ज करवाई थी, लेकिन पुलिस ने लापरवाही बरती. इसका खामियाजा अल्ताफ को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा. ऐसे कई मामले हैं, जिनमें पुलिस की लापरवाही की वजह से लोगों को जान गंवानी पड़ी या फिर उन्हें मारपीट के दौरान घायल होकर अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. वकील मनोज झा और अल्ताफ हत्याकांड को लेकर झारखंड पुलिस की हर जगह खूब फजीहत भी हुई.

Two murder cases troubled ranchi police
पुलिस मुख्यालय गंभीर



वकील के हत्यारे गिरफ्त से बाहर, अल्ताफ के हत्यारे सलाखों के पीछे

वकील मनोज झा की हत्या को पांच अपराधियों ने मिलकर अंजाम दिया था. 26 जुलाई को इस हत्याकांड को अपराधियों ने अंजाम दिया था और आज एक हफ्ता होने को है, लेकिन पुलिस की गिरफ्त से सभी हत्यारे दूर हैं. हालांकि 14 जुलाई को हुए अल्ताफ हत्याकांड (altaf murder case) में शामिल 14 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है.



आंदोलन पर वकील

रांची के वकील मनोज झा की हत्या के विरोध में 27 और 28 जुलाई को राज्य के 35 हजार से अधिक वकीलों ने न्यायिक कार्य नहीं किया. राज्य के किसी भी अदालत में वकील शामिल नहीं हुए. इस कारण से एक भी मामले की सुनवाई नहीं हो पाई. राज्य के 37 बार एसोसिएशन में 35 हजार से अधिक वकील प्रैक्टिस करते हैं. वकीलों ने मनोज झा की हत्या की पेशेवर तरीके से जांच करने और आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने की मांग की. उनके परिजनों को उचित मुआवजा देने की मांग की. झारखंड बार काउंसिल ने सभी वकीलों से न्यायिक कार्य बहिष्कार करने की घोषणा की थी.


जमीन विवाद में सबसे ज्यादा खून खराबा

राजधानी में सबसे ज्यादा जमीन विवाद की वजह से खूनी संघर्ष हाल के दिनों में देखा गया है. जमीन विवाद का लगभग हर मामला पहले थाना ही पहुंचता है. जो मामले थाना स्तर से सुलझाने लायक होते हैं, उसे पुलिस सुलझाने की पूरी कोशिश करती है. इस दौरान 144 धारा लगाने का काम भी पुलिस करवाती है, लेकिन जमीन माफिया के खिलाफ बड़ी कार्रवाई नहीं करने की वजह से आगे चलकर यही जमीन विवाद खूनी संघर्ष का रूप ले लेता है.

पुलिस के सामने भी है मुश्किल

वहीं, पुलिस अधिकारियों के मुताबिक थाने में अधिकांश ऐसे मामले आते हैं जिनमें किसी न किसी को पुलिस केस में फंसाने के लिए शिकायतकर्ता जान पर खतरा होने की बात कह कर प्राथमिकी दर्ज करवाता है. कई बार इसी वजह से जिनकी जान पर वाकई खतरा होता है, उस पर पुलिस ध्यान नहीं दे पाती है जिसकी वजह से वारदात घटित हो जाता है.


इसे भई पढ़ें- ADG Anil Palta: केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाएंगे, मुख्यालय की सहमति के बाद गृह विभाग भेजी फाइल

मामले को लेकर पुलिस मुख्यालय गंभीर

झारखंड पुलिस के प्रवक्ता आईजी अभियान अमोल होमकर के मुताबिक किसी भी शिकायत को गंभीरता से लेना पुलिस का फर्ज है. अगर कोई पुलिसकर्मी इन मामलों को गंभीरता से नहीं ले रहा है, तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. आईजी के मुताबिक पुलिस थानों में पहुंचने वाली शिकायतें दर्ज कार्रवाई की जाती है अगर आगे यह मामला संज्ञान में आया कि कोई थाना प्रभारी जमीन से जुड़े मामले या फिर दूसरे मामले में जान का खतरा बताने वाले लोगों को लेकर लापरवाह है तो उस पर जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.

Last Updated :Jul 31, 2021, 5:21 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.