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CNT-SPT एक्ट को लेकर कांग्रेस ने उठाए सवाल, कहा- खत्म हो कानून की बाध्यता

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Published : Jul 25, 2019, 3:22 PM IST

विधानसभा के बाहर प्रदर्शन करते सुखदेव भगत

कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और लोहरदगा विधायक सुखदेव भगत के बयान के बाद एक बार फिर से सीएनटी-एसपीटी का मुद्दा गरमा सकता है. कांग्रेस नेता ने इस कानून की बाध्यता खत्म करने की मांग की है.

रांची: कांग्रेस ने सूबे में सीएनटी-एसपीटी एक्ट कानून में थाना क्षेत्र की बाध्यता को समाप्त करने की मांग की है. अपनी मांग को लेकर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और लोहरदगा से विधायक सुखदेव भगत ने गुरुवार को विधानसभा के बाहर जमकर प्रदर्शन किया.

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सुखदेव भगत ने प्रदर्शन के दौरान कहा कि सीएनटी-एसपीटी का मुद्दा उन्होंने ट्रैवल एडवाइजरी काउंसिल की बैठक में भी उठाया लेकिन राज्य सरकार इस मुद्दे पर शांत बैठी है. भगत ने कहा कि कानून में इस बात का उल्लेख है कि एक थाना क्षेत्र से जुड़े लोग ही वहां की जमीनों की खरीद-बिक्री कर सकता है, क्योंकि थाना क्षेत्र का सीमांकन पुराने समय में किया गया था जिस समय बमुश्किल गिनती के थाने थे. लेकिन अब हालत यह है कि थानों की संख्या बढ़ गई है ऐसे में स्थितियां अब पहले जैसी नहीं है और इस कानून से होगा कि अब लोगों को अपने बेटे को भी जमीन लेने-देने में दिक्कत आएगी. इसलिए इस तरह की बाध्यता समाप्त होनी चाहिए.
Intro:रांची। प्रदेश के जमीन संबंधी कानूनों में थाना क्षेत्र की बाध्यता को समाप्त करने की मांग को लेकर झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष और लोहरदगा से विधायक सुखदेव भगत ने गुरुवार को विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया। भगत ने कहा कि उन्होंने यह मुद्दा ट्रैवल एडवाइजरी काउंसिल की बैठक में भी उठाया लेकिन अभी तक राज्य सरकार इसको लेकर शांत बैठे हुए हैं। भगत ने कहा कि उन कानूनों में इस बात का उल्लेख है कि एक थाना क्षेत्र से जुड़े लोग ही वहां की जमीनों की खरीद बिक्री कर सकता है। भगत ने कहा ऐसे में वह अपने बेटे को जमीन न तो दे सकते हैं और ना उससे ले सकते हैं।


Body:उन्होंने कहा कि इस तरह की बाध्यता समाप्त होनी चाहिए, क्योंकि थाना क्षेत्र का सीमांकन पुराने समय में किया गया था। जिस समय बमुश्किल गिनती के थाने थे। अब हालत यह है कि एडमिनिस्ट्रेटिव पुलिस थानों की संख्या बढ़ गई है ऐसे में स्थितियां अब पहले जैसी नहीं है।
दरअसल राज्य में छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट के प्रावधानों के अनुसार अनुसूचित जनजाति के मालिकाना हक वाली जमीन है। उसी जनजाति के व्यक्ति को हस्तांतरित की जा सकती हैं बशर्ते की जमीन खरीदने और बेचने वाले एक ही थाना क्षेत्र के रहनेवाले हों।


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