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जानिए झारखंड के सपूत शहीद परमवीर चक्र विजेता अल्बर्ट एक्का की कहानी, जिनके नाम पर जारी हो रहा द्वीप

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Published : Jan 23, 2023, 1:49 PM IST

Martyr Param Vir Chakra winner Albert Ekka
जानिए झारखंड के सपूत शहीद परमवीर चक्र विजेता अल्बर्ट एक्का की कहानी

झारखंड के सपूत शहीद परमवीर चक्र विजेता अल्बर्ट एक्का के नाम अंडमान निकोबार में द्वीप होगा. इसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है. क्या है अल्बर्ट एक्का की कहानी... पढ़िए पूरी रिपोर्ट.

रांचीः नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के अमर शहीद परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर अंडमान निकोबार द्वीप समूह के 21 सबसे बड़े और अनाम द्वीपों का नामांकरण किया है. इसमें एक द्वीप झारखंड के परमवीर चक्र विजेता लांस नायक अल्बर्ट एक्का का नाम भी शामिल हैं. अल्बर्ट एक्का का जन्म 27 दिसंबर 1942 को झारखंड के गुमला जिले के जारी गांव में हुआ था. उन्होंने सन 1962 में सेना के बिहार रेजिमेंट से अपना सैनिक जीवन शुरू किए और साल 1971 में भारत-पाक युद्ध में शहीद हो गए थे.

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पिता ने दिया था द्वितीय विश्वयुद्ध में योगदानः अलबर्ट एक्का के पिता का नाम जूलियस एक्का था और वह भी सेना के जवान थे. वहीं, मां मरियम एक्का गृहिणी थी. पिता ने द्वितीय विश्वयुद्ध में योगदान दिया था. रिटायर होने के बाद इच्छा जताई कि उनका बेटा अलबर्ट भी सेना में भर्ती हो.

अल्बर्ट की प्रारंभिक शिक्षाः अल्बर्ट की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही सीसी पतराटोली और माध्यमिक शिक्षा भीखमपुर में हुई थी. घर की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण वे आगे की पढ़ाई नहीं कर सके. इसके बाद उन्होंने गांव में ही पिता के साथ खेती-बारी शुरू किया. इस दौरान अल्बर्ट ने दो वर्षों तक नौकरी की तलाश भी की. लेकिन कहीं नौकरी नहीं मिली. इसके बाद भारतीय सेना में शामिल हो गए. साल 1968 में अल्बर्ट एक्का का विवाह बलमदीना एक्का से हुआ. वर्ष 1969 में उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, जिसका नाम भिंसेंट एक्का है. भिंसेंट मात्र दो वर्ष के थे, तभी साल 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध में अल्बर्ट एक्का शहीद हो गए.

20 की उम्र में छुड़ाए थे चीनियों के छक्केः झारखंड के वीर सपूत और परमवीर चक्र विजेता लांस नायक शहीद अल्बर्ट एक्का ने महज 20 साल की उम्र में अपनी बुद्धि और बहादुरी का परचम लहराया. साल 1962 में चीन के खिलाफ हुई लड़ाई में उन्होंने बहादुरी का परिचय दिया था.

पाक सैनिकों को चटाई थी धूलः साल 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में अलबर्ट एक्का ने वीरता, शौर्य और सैनिक हुनर का प्रदर्शन करते हुए अपने इकाई के सैनिकों की रक्षा की. उनके हाथ में गंगासागर के पास भारतीय सेना का मोर्चा था. इसी दौरान पता चला कि रेलवे स्टेशन पर 165 पाकिस्तानी घुसपैठ अड्डा जमाए हुए हैं. 3 दिसंबर को रेलवे स्टेशन पार करने के दौरान पाकिस्तानी सेना के संतरी ने उन्हें रोकने की कोशिश की. भारतीय सैनिकों ने संतरी को मारकर दुश्मन के इलाके में जा घुसे. पाकिस्तानी सैनिकों ने एलएमजी बंकर से भारतीय सैनिकों पर जवाबी कार्रवाई की.

पाक सेना का उड़ाया बंकरः अल्बर्ट एक्का ने अपना ग्रेनेड एलएमजी में डाल और पाक सेना का पूरा बंकर उड़ा दिया. इसके बाद भारतीय सैनिकों ने 65 पाक सैनिकों को मार गिराया, जबकि 15 को कैद कर लिया. रेलवे के आउटर सिग्नल पर कब्जा करने के बाद वापस आने के दौरान टॉप टावर के ऊपर खड़े पाक सैनिकों ने अचानक मशीनगन से भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया. इसमें 15 भारतीय सैनिक शहीद हुए. यह देख अलबर्ट एक्का टॉप टावर पर चढ़ गए और मशीनगन को कब्जे में लेकर दुश्मनों को गोलियों से छलनी कर दिया. इस दौरान उन्हें भी करीब 25 गोलियां लगीं, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली.

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