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पंचायत चुनाव में खर्च का ब्यौरा ना देना पड़ा महंगा, सैकड़ों लोग तीन साल के लिए नहीं लड़ पाएंगे इलेक्शन

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Published : Apr 18, 2022, 6:04 PM IST

Updated : Apr 18, 2022, 7:26 PM IST

झारखंड में पंचायत चुनाव में खर्च का ब्यौरा देना ही पड़ेगा नहीं तो राज्य निर्वाचन आयोग की कार्रवाई का डंडा चलेगा. प्रदेश के सैकड़ों अभ्यर्थी इस बार राज्य में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में हिस्सा नहीं ले पाएंगे. क्योंकि उन्होंने पिछले चुनाव में अपने खर्च का ब्यौरा नहीं दिया था. निर्वाचन आयोग ने ऐसे लोगों के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है. ईटीवी भारत की रिपोर्ट से जानिए, जिलावार ऐसे अभ्यर्थियों की पूरी संख्या.

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पंचायत चुनाव

रांचीः झारखंड में पंचायत चुनाव की डुगडूगी बज चुकी है. इसके तहत पहले चरण में होने वाले चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया जारी है. इन सबके बीच इस बार के चुनाव में कई ऐसे अभ्यर्थी चुनाव मैदान में नहीं उतर पाएंगे, जिन्होंने पिछली बार हुए चुनाव में अपने खर्च का ब्यौरा नहीं दिया है.

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राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग ने पिछले चुनाव के दौरान खर्च का ब्यौरा नहीं देने वाले सैकड़ों ऐसे अभ्यर्थी पर कार्रवाई की है. इन पर तीन वर्ष के लिए चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया है. आयोग के इस निर्णय के बाद इस बार राज्य में हो रहे पंचायत चुनाव में वैसे अभ्यर्थी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. आयोग के आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा ऐसे अभ्यर्थी पलामू जिला में चिंहित किए गए हैं, जिनकी संख्या 91 है. वहीं सबसे कम जामताड़ा का है जहां मात्र 01 अभ्यर्थी पर आयोग ने कार्रवाई करते हुए डिबार किया है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट



राज्य निर्वाचन आयोग के प्रावधानः त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान खर्च का ब्यौरा नहीं देने पर राज्य निर्वाचन आयोग के पास कार्रवाई करने का अधिकार है. 2020 के पंचायत चुनाव में खड़े सभी अभ्यर्थियों को इस संबंध में निर्देश दिए गए थे. चुनाव के बाद भी आयोग और स्थानीय जिला प्रशासन के द्वारा चुनाव खर्च का ब्यौरा देने को लेकर आरोपियों को नोटिस भेजे गए थे उसके बावजूद अभ्यर्थियों ने इसपर गंभीरता नहीं दिखाई.

जिसपर जिला प्रशासन की अनुशंसा पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 10 क एवं पंचायती राज अधिनियम 2001 की धारा 68 क एवं 65 क के तहत ऐसे व्यक्तियों को त्रिस्तरीय पंचायत निकायों और स्थानीय नगर निकायों के किसी भी पद या स्थान के लिए चुने जाने और निर्वाचित होने के लिए आदेश की तारीख से 3 वर्ष की समय सीमा के लिए प्रतिबंध लगाई जाती है. राज्य निर्वाचन आयुक्त डीके तिवारी ने कहा है कि निर्वाचन प्रावधान के तहत आयोग ऐसे व्यक्तियों पर पूर्व से कार्रवाई करती रही है.

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प्रतिबंधित अभ्यर्थियों की जिलावार संख्या

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आयोग की कार्रवाई से खलबलीः राज्य निर्वाचन आयोग की इस कार्रवाई से खलबली मची हुई है. आयोग की इस कार्रवाई में वार्ड सदस्य से लेकर मुखिया और जिला परिषद सदस्य तक आ चुके हैं. रातू के जिला परिषद सदस्य आलोक उरांव का मानना है कि अभ्यर्थियों को नियम कानून का ज्ञान होना चाहिए नहीं तो कार्रवाई होगी ही. वहीं सामाजिक कार्यकर्ता एसअली के अनुसार राज्य निर्वाचन आयोग को लचीला रुख अपनाते हुए अभ्यर्थी को इसके प्रति जागरूक करना चाहिए तभी इसका समाधान हो सकेगा. वहीं इस बार के चुनाव में अपने प्रत्याशी को जीताने में लगे प्रदीप कुमार महतो का कहना है कि वो इस बार जो भी दिशानिर्देश आयोग का है उसे पूरा करेंगे.

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पंचायत चुनाव में खर्च का प्रावधान



बहरहाल राज्य में तीसरी बार हो रहे पंचायत चुनाव में एक बार फिर बड़ी संख्या में लोग किस्मत आजमाने चुनाव मैदान में उतरने वाले हैं. ऐसे में निर्वाचन आयोग के साथ-साथ सामाजिक संगठनों की भी जिम्मेदारी बनती है कि प्रत्याशियों को चुनाव के तौर तरीकों से अवगत कराएं. निर्वाचन आयोग की ये कार्रवाई एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा उदाहरण है.

Last Updated : Apr 18, 2022, 7:26 PM IST
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