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Shardiya Navratri 2022: गज पर सवार हो के धरती पर आईं जगदंबा, मां शैलपुत्री की आराधना में डूबे भक्त

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Published : Sep 26, 2022, 6:29 PM IST

Shardiya Navratri 2022:
गज पर सवार हो के धरती पर आईं जगदंबा

शारदीय नवरात्रि 2022 (Shardiya Navratri 2022) की सोमवार से शुरुआत हो गई. पहले दिन राजधानी रांची में मां शैलपुत्री की आराधना की गई. विद्वानों का कहना है कि इस साल मां गज पर सवार होकर धरती पर आईं हैं, जिसका शुभ परिणाम होगा.

रांची: शारदीय नवरात्रि 2022 (Shardiya Navratri 2022) की सोमवार से शुरुआत हो गई. अब पांच अक्टूबर को विजयदशमी को दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन तक मां दुर्गा की पूजा का उत्सव चलेगा. इसको लेकर राजधानी भक्तिमय हो गई है. घर से लेकर पंडालों तक में कलश स्थापना की गई है और व्रत किए जा रहे हैं. पहले दिन राजधानी रांची के अलग-अलग पूजा पंडालों में विधि विधान से कलश स्थापना की गई. साथ ही माता दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की आराधना की गई. विद्वानों का कहना है कि इस साल मां जगदंबा गज पर सवार होकर धरती पर आईं हैं और नौ दिन भक्तों के साथ रहेंगी. इसका शुभ परिणाम होगा.

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वाराणसी से रांची आए पंडित भवनाथ मिश्रा ने ईटीवी भारत की टीम से बताया कि मां जगदंबा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की आराधना से भक्त को मनोवांछित फल मिलते हैं. भवनाथ मिश्रा ने बताया कि शारदीय नवरात्रि में पहले दिन मां के पहले स्वरूप शैल पुत्री की पूजा की जाती है. प. मिश्रा ने बताया कि पर्वतराज हिम के घर मां के इस स्वरूप के जन्म के कारण ही इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है. भक्तिभाव से जो भी भक्त मां के इस स्वरूप की आराधना करते हैं, मां उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. पं. मिश्रा ने बताया कि मां शैलपुत्री की आराधना कन्याएं योग्य वर प्राप्ति, विद्यार्थी अच्छी शिक्षा दीक्षा के लिए और गृहस्थ धन, सुख और समृद्धि के लिए करते हैं.

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पं. भवनाथ मिश्रा ने बताया कि शैलपुत्री की पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करना चाहिए. इसके अलावा आरती पाठ भी करना चाहिए.ॐ ऐं हीं चामुंडाये विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नमः

शैलपुत्री की कृपा के लिए इस आरती का कर सकते हैं पाठ

नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ।
निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहु लोक फैली उजियारी।

गज पर हुआ है मां का आगमनः पं. भवनाथ मिश्रा ने बताया कि अलग-अलग दिनों में नवरात्रि की शुरुआत के अलग अलग अर्थ निकाले जाते हैं. पंडित भवनाथ मिश्रा ने बताया कि इस बार सोमवार को कलश स्थापना हुई है. मिश्रा का कहना है कि रविवार और सोमवार को शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होने पर मां का आगमन गज यानी हाथी आरूढ़ होना माना जाता है. इसका तात्पर्य है कि इस स्वरूप की पूजा से घर धन्य धान्य से परिपूर्ण होने वाला है. वहीं इस बार मां का गमन यानी विदाई मंगलवार को है.

पंडित भावनाथ मिश्रा के अनुसार मंगलवार और शनिवार को मां का गमन यानी विदाई होने को क्षत्रभंग माना जाता है. ऐसे में संभव है कि देश और दुनिया में तनाव की स्थितियां बढ़ें और विश्व स्तर पर ऐसा होता दिख भी रहा है. उन्होंने कहा कि कई मीडिया में रिपोर्ट में मां की विदाई मुर्गे पर होने जैसी बातें सामने आती हैं, लेकिन यह शास्त्र सम्मत नहीं है. क्योंकि अभी तक सनातन धर्म के किसी ग्रंथ में इस तरह का विवरण सामने नहीं आया है कि मां की सवारी मुर्गा हो.

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