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झारखंड में ब्रेन मलेरिया का तांडव, अलर्ट मोड में स्वास्थ्य महकमा, NIMR की टीम रिसर्च में जुटी

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 29, 2023, 8:13 PM IST

Updated : Nov 29, 2023, 9:34 PM IST

Severe form of brain malaria in Jharkhand
Severe form of brain malaria in Jharkhand

Severe form of brain malaria in Jharkhand. झारखंड में मलेरिया ने तांडव मचा रखा है. गोड्डा पाकुड़ और पश्चिमी सिंहभूम जिले में इसके बढ़ते रूप को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है. इसके अलावा एनआईएमआर की टीम भी रिसर्च कर रही है.

रांची: झारखंड में गोड्डा, पाकुड़ और पश्चिमी सिंहभूम में ब्रेन मलेरिया के विकराल रूप ने स्वास्थ्य को लेकर विभाग के साथ साथ सरकार की भी चिंता बढ़ा दी हैं.
सरकारी आंकड़ों को ही देखें तो वर्ष 2018 में जहां राज्य में 57 हजार से अधिक मलेरिया के कंफर्म केस मिले थे. वहीं 2022 में यह आंकड़ा घटकर 19 हजार से कुछ अधिक पर रुक गया था. 2018 से 2022 के बीच के वर्षों में लगातार तीन वर्ष तक मलेरिया के संक्रमितों की संख्या में गिरावट दर्ज हुई थी. 2021 की तुलना में 2022 में जरूर कुछ केस बढ़े थे.

अक्टूबर 2023 तक के आंकड़े के अनुसार अभी भी राज्य में मलेरिया के केस तो 2018 की अपेक्षा कम है, लेकिन पाकुड़, गोड्डा और पश्चिमी सिंहभूम जिले के कुछ गांव और टोलों में ब्रेन मलेरिया के आउट ब्रेक और बच्चों की मौत की खबर ने स्वास्थ्य विभाग के साथ साथ सरकार की चिंता बढ़ा दी है. ऐसे में स्वभाविक सवाल उठता है कि कहां चूक हो गयी कि एक बार फिर मलेरिया, परेशानी का सबब बनकर रह गया है. राज्य के वेक्टर बोर्न डिजीज के स्टेट नोडल अधिकारी डॉ बी. के सिंह अभी विभागीय कार्य से दिल्ली गए हुए हैं. लिहाजा ईटीवी भारत ने उनसे फोन पर बात की और उन सवालों को पूछा जो राज्यवासियों के मन में उठ रहे हैं.

तीन जिलों में मलेरिया का आउट ब्रेक हुआ है, सभी जगह स्थिति काबू में: राज्य के वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल के हेड डॉ बीके सिंह ने माना कि पश्चिमी सिंहभूम के टोटो और गोयलकेरा में मलेरिया के संक्रमित मरीज मिले हैं. इस दुर्गम इलाके में मलेरिया रोगियों की पहचान होते ही मलेरिया प्रोटोकॉल का अनुसार एक्शन लिया गया है. VBDC के स्टेट हेड ने बताया कि पश्चिमी सिंहभूम के अलावा गोड्डा के सुंदरपहाड़ी और पाकुड़ जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड के बड़ा कुरलो में मलेरिया के केस मिले हैं.

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मौत हुई, लेकिन वह मलेरिया से हुई यह कंफर्म नहीं- डॉ बीके सिंह: राज्य में वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल के नोडल और स्टेट प्रोग्राम ऑफिसर डॉ बीके सिंह ने गोड्डा और पाकुड़ में मलेरिया से हुई मौत की मीडिया रिपोर्ट पर कहा कि अभी तक मलेरिया से सिर्फ दो मौत की पुष्टि हुई है. बाकी मौत किस वजह से हुई है इसकी वजह जानने की कोशिश की जा रही है. गौरतलब है कि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ब्रेन मलेरिया से पाकुड़ और गोड्डा जिले कुल मिलाकर दर्जन भर से ज्यादा बच्चों की मौत की खबर है, जिससे वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल के अधिकारी इंकार करते हैं.

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क्या रही फिर से मलेरिया के मारक बनने की वजह: राज्य के कई जिलों में मलेरिया का प्रकोप हर वर्ष रहता है. लगातार सर्विलेंस, मेडिकेटेड मच्छरदानी, लावारोधी दवाओं के छिड़काव और दवा की उपलब्धता के बल पर मलेरिया को काबू में रखने का दावा करने वाले डॉ बीके सिंह कहते हैं कि कहीं न कहीं IRS यानी (इंडोर रेसिड्यूएल स्प्रे) घर के अंदर छिड़काव में कमी की वजह से मलेरिया के मामले कुछ जिलों के कुछ खास इलाके में बढ़े हैं. उन्होंने कहा कि जहां कालाजार को रोकने के लिए साल में चार चार बार छिड़काव होता है वहां से भी मलेरिया के केस मिलना हैरत में डालने वाला है. मलेरिया अन्य जगहों पर न फैले, इसके लिए क्या कर रहा है विभाग: मलेरिया प्रभावित 03 जिलों गोड्डा, पाकुड़ और पश्चिमी सिंहभूम में मलेरिया की पहचान के लिए बड़ी मात्रा में डाइग्नोस्टिक किट भेजा गया है. रांची से डॉक्टरों की विशेष टीम तीनों जिले में तैनात हैं. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मलेरिया रिसर्च (NIMR) की टीम प्रभावित क्षेत्रों में जाकर यह रिसर्च कर रही है जिन क्षेत्र में मलेरिया संक्रमित मिल रहे हैं. उस इलाके में मच्छरों के लोड क्या है. इसके साथ साथ 2018-19 में केंद्र से मिले मेडिकेटेड मच्छरदानी में से जिन जिलों में यह बचा हुआ है, उसे गोड्डा, पाकुड़ और पश्चिमी सिंहभूम भेजा जा रहा है. भारत सरकार से भी दिसम्बर के अंत तक नए मेडिकेटेड मच्छरदानी मिलने की उम्मीद है. नोडल अधिकारी ने बताया की हाई रिस्क वाले इलाके में सामान्य मच्छरदानी की स्थानीय स्तर पर खरीद कर बंटवाने का आदेश सभी डीसी को दिया गया है. मलेरिया में इस्तेमाल होने वाली दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता राज्य में है. झारखंड में फिर से क्यों विकराल हुआ मलेरिया
  1. मच्छरों के रोकथाम में कहीं रह गयी कमी
  2. घरों के अंदर और दूरस्थ इलाकों तक संभवतः नहीं पहुंचीं स्वास्थ्य सेवाएं
  3. राज्य में कीटविज्ञान वेत्ता(EPIDEMOLOGIST) की कमी
  4. सिर्फ एक कीट विज्ञानवेत्ता के भरोसे पूरा राज्य
  5. हर तीन साल बाद नए मेडिकेटेड मच्छरदानी का होना चाहिए वितरण
  6. 2018-19 में राज्य के मलेरिया पॉकेट वाले क्षेत्र में बांटा गया था मेडिकेटेड मच्छरदानी
  7. 2022- 23 में अभी तक भारत सरकार से नहीं मिला है मेडिकेटेड मच्छरदानी
  8. मेडिकेटेड मच्छरदानी के पास भी नहीं फटकते मलेरिया फैलाने के जिम्मेवार एनोफिलीज मच्छर



क्या है मलेरिया के लक्षण: प्लाज्मोडियम नाम का प्रोटोजोआ मलेरिया की बीमारी का कारण बनता है. मादा एनोफिलीज मच्छर इसका वाहक बनता है. मलेरिया में संक्रमित व्यक्ति को तेज बुखार, शरीर मे ऐंठन, ठंड और बच्चों के चमकी और बेहोशी के लक्षण भी होते हैं. डॉ बीके सिंह के अनुसार मलेरिया के कई प्रकार होते हैं जिसमें प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम (PF) सबसे खतरनाक होता है और यही एडवांस कंडीशन में ब्रेन मलेरिया का रूप लेकर मारक बन जाता है. स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़े को देखें तो चिंता की बात यह है कि झारखंड में ज्यादातर मामले खतरनाक किस्म वाले इसी (PF) मलेरिया के ही मिलते हैं.

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Last Updated :Nov 29, 2023, 9:34 PM IST
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