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आर्थिक तंगी से जूझ रहा स्कूल बस चालक, करोड़ों की संपत्ति हो रही बर्बाद

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Published : Jun 11, 2021, 9:56 AM IST

Updated : Jun 11, 2021, 2:04 PM IST

पिछले साल मार्च में जब कोरोना ने दस्तक दी तब से सारे स्कूल बंद कर दिए गए. ऐसे में स्कूल बसों का परिचालन भी बंद है. जिससे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बस चालकों के सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है.

school bus driver and conductor facing financial problem due to corona in ranchi
डिजाइन इमेज

रांची: कोरोना महामारी के प्रकोप से एक तरफ जहां सभी स्कूलों में ताले लटके हैं तो स्कूल बस के पहिए भी पिछले डेढ़ साल से थमा हुआ है. स्कूल बसों की हालत देख कर आंखों में आंसू आ जाएंगे. जहां हर रोज बच्चों के चहचहाहट गुंजा करती थी, आज वहां वीरानी है. स्कूल बसों के अंदर झाड़ियां उग आई है. यह नजारा देखकर वाकई में यह महसूस हो रहा है कि इस कोरोना ने तमाम क्षेत्र के साथ-साथ शिक्षा व्यवस्था को भी बेपटरी कर दिया है.

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इन तस्वीरों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि आखिर इस कोरोना महामारी ने कितना कहर बरपाया है. हर क्षेत्र के साथ-साथ शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है. बच्चे घरों में बैठकर मोबाइल के सामने ऑनलाइन क्लास करने को मजबूर है. स्कूल बसों में जहां बच्चों की चहचहाहट सुनाई देती थी, आज वहां सन्नाटा पसरा हुआ है. बसों के पहिए मिट्टी में धंस कर कहीं गुम-सी हो गई है. अब उन पहियों के नीचे काली सड़क नहीं बल्कि झाड़ियां उग रही है. यह नजारा वाकई में भयावह है और इससे यह पता चलता है कि किस कदर इन बसों के साथ संबंध रखने वाले लोगों की हालत काफी खराब है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
6000 सदस्य प्रभावितकोरोना काल में स्कूल बसों के ऑपरेटरों के सामने भी बड़ा संकट है. जिन ऑपरेटरों ने निजी स्कूलों के साथ अपनी बसों का करार किया है, उनकी स्थिति दयनीय हो गई है. अप्रैल 2020 से अब तक किसी भी बस ऑपरेटर को संबंधित स्कूल प्रबंधन से पैसा मिल ही नहीं रहा है. दूसरी तरफ स्कूल प्रबंधन का तर्क है कि जब वो बच्चों से बस किराया नहीं ले रहे हैं तो पैसे कहां से दे. आंकड़ों पर गौर करें तो राजधानी रांची में सीबीएसई बोर्ड के स्कूलों में 450 से अधिक बसें चलती है. वहीं आईसीएसई से मान्यता प्राप्त करीब 16 स्कूलों में 90 बसें चलती है. ऐसे कई स्कूल है जहां स्कूल बसों का परिचालन होता है. राजधानी रांची में लगभग 600 स्कूल बसों की संख्या है. प्रत्येक बस में कम से कम एक चालक और एक संचालक यानी खलासी होते हैं. इस तरह अगर सब को जोड़ा जाए तो उनकी संख्या 1200 से भी अधिक है. कुल आंकड़ों में अगर गौर करें तो परिवार के सदस्यों को मिलाकर 6000 से अधिक सदस्य हैं. बस चालकों के समक्ष भुखमरी की स्थिति बस संचालक पर स्कूलों की ओर से इन्हें कुछ पैसा शुरुआती दौर में दिया जा रहा था. लेकिन अब बस चालक, खलासी और कंडक्टर को ना तो स्कूल की ओर से पैसे दिए जा रहे हैं और ना ही बस संचालक इन्हें सैलरी के तौर पर कुछ रुपये मुहैया करा रहे हैं. हालांकि कुछ स्कूल प्रबंधकों का दावा है कि जो अपने स्तर पर बस चलाते हैं. वह ऐसे बस चालकों और खलासी को 50 फीसदी सैलरी दे रहे हैं. लेकिन बस चालकों की मानें तो उन्हें अप्रैल 2020 से पैसा दिया ही नहीं गया है. उनके परिवार के समक्ष भुखमरी की स्थिति है. कोई सब्जी बेच रहा है तो कोई किसी तरह दिन काट रहा है. एक-एक रोटी के लिए भी अब इनके समक्ष समस्या खड़ी हो गई है.बस ऑपरेटरों के सामने कई तरह की परेशानियां रांची बस ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कृष्ण मोहन सिंह बताते हैं कि करार के तहत निजी स्कूलों में दिए गए बस के ऑपरेटर काफी संकट में है. 13 महीने से अधिक समय से उन्हें एक भी पैसा कहीं से भी मिला नहीं है. बैंक का लोन, इंश्योरेंस, रोड टैक्स, स्टाफ का मानदेय वह कहां से दे पाएंगे, यह चिंता का विषय है. हालांकि राज सरकार की ओर से साल 2020 में अप्रैल से सितंबर तक के सिर्फ रोड टेक्स प्रति साल के हिसाब से 16,576 की छूट दी गई थी. जबकि हर साल एक ऑपरेटर पर करीब 9 लाख रुपये का भार है. इस स्थिति में ये बस ऑपरेटर कर्ज में डूब चुका है.

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बस ऑपरेटरों का सुध लेने वाला कोई नहीं

इंश्योरेंस के रूप में प्रति वर्ष के हिसाब से सालाना एक लाख रुपये का ईएमआई आ रही है, वहीं रोड टैक्स अलग है. ऐसे में बस ऑपरेटर भी काफी परेशान है और इनका सुध लेने वाला फिलहाल कोई नहीं है. जिन ऑपरेटरों ने बैंक से लोन लेकर पिछले वर्ष नई बसें खरीदी है और निजी स्कूलों को मुहैया कराया है, उनके समक्ष भी परेशानियां काफी है. इनकी मानें तो पिछले वर्ष यानी 2020 में अप्रैल से सितंबर तक 6 माह का रोड टैक्स झारखंड सरकार ने बस संचालकों को माफ किया था. इसके बाद से सभी तरह का टैक्स इंश्योरेंस लोन की ईएमआई बदस्तूर चालू है.

करोड़ों की संपत्ति हो रही है बर्बाद
कोरोना काल में हर क्षेत्र प्रभावित है. स्कूलों में जहां ऑनलाइन क्लास के कारण स्कूल बस की गतिविधि नहीं है. वहीं स्कूल बस से जुड़ा हर एक व्यक्ति परेशान है, चाहे चालक हो, संचालक हो, खलासी हो या फिर बस के कंडक्टर ही हो. ऐसे में इस दिशा में राज्य सरकार को भी उचित कदम उठाने की जरूरत है क्यूोंकि करोड़ों की संपत्ति रख-रखाव के अभाव में बर्बाद हो रहा है.

Last Updated : Jun 11, 2021, 2:04 PM IST
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